निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी बने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष |

निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी बने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष

निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी बने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:42 PM IST, Published Date : October 25, 2021/4:03 pm IST

प्रयागराज, 25 अक्टूबर (भाषा) अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की सोमवार को यहां हुई बैठक में निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी को अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुना गया। महंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु होने से अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष का पद रिक्त था।

यहां दारागंज के मोरी गेट स्थित निरंजनी अखाड़ा के परिसर में हुई बैठक के बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि ने संवाददाताओं को बताया कि इस बैठक में निरंजनी अखाड़ा के सचिव रवींद्र पुरी को अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया।

उन्होंने बताया कि बैठक में 13 अखाड़ों में से सात अखाड़ों के पदाधिकारी शामिल हुए और निर्मोही अनी अखाड़े की तरफ से समर्थन का पत्र आया था।

हरि गिरि ने बताया कि मंसा देवी मंदिर के महंत रवींद्र पुरी को कई इंजीनियरिंग कॉलेज, डिग्री कॉलेज, मेडिकल कॉलेज चलाने का 20 साल का अनुभव है। एक अनुभवी संत को अध्यक्ष पद पर आसीन करने का प्रस्ताव रखा गया। अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष पांच साल के लिए चुना जाता है। यह मध्यावधि चुनाव था और महंत रवींद्र पुरी का अध्यक्ष पद पर कार्यकाल वर्ष 2024 तक का होगा।

उन्होंने कहा कि सभी साधु संतों ने महंत रवींद्र पुरी के नेतृत्व में भरोसा जताते हुए सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए तन, मन, धन से सहयोग करने का संकल्प लिया।

अखाड़ा परिषद के महामंत्री ने कहा कि कुछ लोगों के षड़यंत्र के द्वारा देश का वातावरण खराब करने के लिए बद्रीनाथ धाम पर दावा ठोका गया है और बताया जा रहा है कि बद्रीनाथ मंदिर की मूर्ति एक दरगाह पर रखी गई है। उस दावेदारी को अखाड़ा परिषद पूरी तरह से खारिज करती है।

गाजियाबाद में हिंदुओं पर समुदाय विशेष द्वारा हमले के बारे में उन्होंने कहा, “वहां उस समुदाय की आबादी 25 लाख के करीब है। वहां हमारे सात महात्मा मार दिए गए हैं। वहां प्राचीन डासना देवी का मंदिर है। वहां हमने एक पुरुषार्थ वाले संत (यति नरसिंघानंद) को जूना अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया है।”

उन्होंने कहा कि उनके (यति) सिर पर 150 करोड़ रुपये का ईनाम रखा गया है। उन्होंने (यति) कहा कि हम तो कभी ना कभी मारे जाएंगे तो पहले ही क्यों ना अपना पिंडदान कर दें। हम हंसते-हसंते मरना चाहते हैं।

उल्लेखनीय है कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे नरेंद्र गिरि 20 सितंबर को अपने श्रीमठ बाघंबरी गद्दी में अपने कमरे में मृत पाए गए थे। पुलिस के मुताबिक, नरेंद्र गिरि ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है।

भाषा राजेंद्र प्रशांत

प्रशांत

 

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