जमीन खरीद के मामले में सांसद बालाशौरी वल्लभनेनी के खिलाफ कोई सबूत नहीं:सीबीआई |

जमीन खरीद के मामले में सांसद बालाशौरी वल्लभनेनी के खिलाफ कोई सबूत नहीं:सीबीआई

जमीन खरीद के मामले में सांसद बालाशौरी वल्लभनेनी के खिलाफ कोई सबूत नहीं:सीबीआई

:   Modified Date:  January 3, 2023 / 08:10 PM IST, Published Date : January 3, 2023/8:10 pm IST

नयी दिल्ली, तीन जनवरी (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को आंध्र प्रदेश के वरिष्ठ नेता बालाशौरी वल्लभनेनी पर मुकदमा चलाने के लिए कोई सबूत नहीं मिला है। उनका नाम जमीन खरीदने के लिए वायु सेना के एक पूर्व अधिकारी के बैंक खाते से कथित रूप से 11.9 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि के हस्तांतरण के मामले में दर्ज प्राथमिकी में शामिल है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

एजेंसी ने कथित रूप से 11.9 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति रखने के मामले में 2016 में दर्ज एक प्राथमिकी में यहां पालम एयरफोर्स स्टेशन में तैनात पूर्व स्क्वाड्रन लीडर पोलू श्रीधर को आरोपी बनाया है। यह कदम इस संदेह पर उठाया गया था कि वायु सेना के पूर्व अधिकारी मामले में एक और आरोपी वल्लभनेनी की संपत्ति को छिपा रहे थे।

प्राथमिकी दर्ज किये जाते समय वल्लभनेनी पूर्व सांसद थे। इस समय वह वाईएसआर कांग्रेस के लोकसभा सदस्य हैं।

एजेंसी का आरोप है कि श्रीधर ने एक जनवरी, 2007 से 31 दिसंबर, 2010 के बीच एयरफोर्स स्टेशन, पालम में प्रभारी अधिकारी के रूप में कार्यरत रहने के दौरान जो संपत्ति अर्जित की थी, वह उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से 423 प्रतिशत ज्यादा मूल्य की थी।

अधिकारियों के मुताबिक यह संदेह बैंक खातों में जमा राशि पर आधारित था, जिसमें पाया गया कि श्रीधर के तीन बैंक खातों में कुल 11.96 करोड़ रुपये जमा हुए जबकि उनकी कुल आय करीब 23 लाख रुपये थी।

सीबीआई को संदेह था कि वल्लभनेनी ने इस धन का इस्तेमाल करते हुए नजफगढ़ में कृषि भूमि खरीदी थी और श्रीधर ने उनकी मदद की थी। अधिकारियों के अनुसार श्रीधर ने अपने बैंक खातों का इस्तेमाल करने दिया। अधिकारियों को यह भी संदेह है कि बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक मनीष सक्सेना ने भी कथित रूप से पैसा जमा कराने, निकालने या हस्तांतरण में सहायता की थी।

अधिकारियों के अनुसार जांच के दौरान श्रीधरन ने सीबीआई के समक्ष स्वीकार किया कि उनके बैंक खाते का उपयोग करते हुए जिस धन का लेनदेन किया गया, वह वल्लभनेनी का था।

हाल में दाखिल आरोप पत्र में कहा गया है कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 91 के तहत जारी नोटिस के जवाब में वल्लभनेनी ने भी स्वीकार किया था कि यह पैसा उनका था।

सीबीआई के अनुसार श्रीधर ने वल्लभनेनी का पैसा लौटा दिया, लेकिन उनके खाते में आय तथा संपत्ति से 40 लाख रुपये अधिक मिले।

सीबीआई ने कहा कि पूर्व सांसद और शाखा प्रबंधक पर मुकदमा नहीं चलाया जा सका क्योंकि रिकॉर्ड में किसी भी साजिश के अपर्याप्त सबूत थे, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने श्रीधर को अपराध को अंजाम देने के लिए उकसाया था क्योंकि जमीन वल्लभनेनी के नाम पर उनके पैसे से खरीदी गई थी और सक्सेना ने केवल आरोपी के बैंक खाते खोले थे।

एजेंसी ने आरोप लगाया कि बैंक जमा पर्ची, वाउचर आदि पेश नहीं कर सका और उसे दावा किया कि रिकॉर्ड पुराने थे।

आरोप पत्र के अनुसार, उस समय भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा ऐसे कोई दिशानिर्देश जारी नहीं थे जो किसी विशेष बैंक खाते या बैंक प्रबंधक के जरिये नकद निकासी को किसी सीमा तक प्रतिबंधित करते थे।

इसमें कहा गया कि सक्सेना को करोड़ों रुपये की नकदी निकासी की अनुमति थी।

सीबीआई ने केवल श्रीधर के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया और कहा कि वल्लभनेनी तथा सक्सेना पर मुकदमा चलाने के लिए साक्ष्य पर्याप्त नहीं हैं।

भाषा वैभव सुभाष

सुभाष

 

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