चकमा व हजोन्ग शरणार्थियों को असम स्थानांतरित करने पर केंद्र से कोई बातचीत नहीं हुई है: हिमंत |

चकमा व हजोन्ग शरणार्थियों को असम स्थानांतरित करने पर केंद्र से कोई बातचीत नहीं हुई है: हिमंत

चकमा व हजोन्ग शरणार्थियों को असम स्थानांतरित करने पर केंद्र से कोई बातचीत नहीं हुई है: हिमंत

:   Modified Date:  April 23, 2024 / 04:52 PM IST, Published Date : April 23, 2024/4:52 pm IST

गुवाहाटी, 23 अप्रैल (भाषा) मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने मंगलवार को दावा किया कि केंद्र सरकार ने चकमा और हजोन्ग शरणार्थियों को असम में स्थानांतरित करने पर कोई चर्चा नहीं की है।

इससे पहले केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा था कि नागरिकता (संशोधन) कानून (सीएए) के लागू होने के बाद इन शरणार्थियों को अरुणाचल प्रदेश से असम स्थानांतरित किए जाने पर बातचीत हुई है।

शर्मा ने एक चुनावी सभा के इतर पत्रकारों से कहा, “मुझे नहीं पता है कि रीजीजू ने क्या कहा है, लेकिन भारत सरकार ने हमसे इन मामलों पर चर्चा नहीं की है। रीजीजू ने शायद अरुणाचल प्रदेश के राजनीतिक हालात को देखते हुए कुछ कहा होगा।”

मुख्यम‍ंत्री ने यह भी कहा कि शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए कोई भूमि उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा, “चकमा या हजोन्ग समुदायों में किसी ने भी मुझसे मुलाकात नहीं की है और न ही भारत सरकार ने इस बारे में मुझसे कोई चर्चा की है। मैं चुनाव के बाद रीजीजू से मामले पर बात करूंगा।”

शर्मा ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में रह रहे करीब छह-सात हजार असमियों को असम की सरकार स्थायी निवास प्रमाण पत्र देगी।

अरुणाचल प्रदेश से फिर से लोकसभा चुनाव लड़ रहे रीजीजू ने पिछले हफ्ते ईटानगर में एक प्रेस वार्ता में दावा किया था कि सीएए ‘बड़ा वरदान’ है, क्योंकि इसने उनके राज्य में किसी भी विदेशी या शरणार्थी के लिए नागरिकता के दरवाज़े बंद कर दिए हैं।

उन्होंने कहा था कि चकमा व हजोन्ग शरणार्थियों से राज्य से चले जाने का आग्रह किया गया है और भारत सरकार उनके स्थानांतरण में मदद करेगी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “हमने असम सरकार और अन्य लोगों से पुनर्वास के लिए बात की है, लेकिन हम (पुनर्वास के लिए भूमि की) पहचान होने से पहले इस बारे में ज्यादा चर्चा नहीं करना चाहते। मैं यह संकेत दे सकता हूं कि हमने असम सरकार से बात की है।”

रीजीजू ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में शर्मा से बात की है तथा शरणार्थियों को स्थानांतरित करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी बात की है।

चकमा बौद्ध धर्म का अनुसरण करने वाले लोग हैं, जबकि हजोन्ग हिंदू हैं। ये लोग तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के चटगांव पर्वत क्षेत्र में धार्मिक उत्पीड़न से बचकर 1964 और 1966 में भारत से आए थे और उत्तर पूर्वी फ्रंटियर एजेंसी में बस गए थे, जो अब अरुणाचल प्रदेश है।

रीजीजू के बयान पर असम में तीखी प्रतिक्रिया हुई है और सीएए विरोधी आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संगठनों ने इस संबंध में मुख्यमंत्री से स्पष्टीकरण की मांग की है।

रायजोर दल के अध्यक्ष और विधायक अखिल गोगोई ने कहा, “शर्मा को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या उन्हें भारत सरकार या अमित शाह से ऐसा कोई निर्देश मिला है। अगर रीजीजू झूठ बोल रहे हैं, तो शर्मा को उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के लिए मजबूर करना चाहिए।”

सीएए अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नगालैंड और मणिपुर में लागू नहीं होता है, जहां प्रवेश के लिए इनर लाइन परमिट की जरूरत है।

भाषा नोमान दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)