सर्कस में अपने माता-पिता के समक्ष प्रदर्शन करना कलाकारों के लिए अपनी आकांक्षा पूरी करने जैसा |

सर्कस में अपने माता-पिता के समक्ष प्रदर्शन करना कलाकारों के लिए अपनी आकांक्षा पूरी करने जैसा

सर्कस में अपने माता-पिता के समक्ष प्रदर्शन करना कलाकारों के लिए अपनी आकांक्षा पूरी करने जैसा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:50 PM IST, Published Date : March 18, 2022/6:47 pm IST

(सुष्मिता गोस्वामी)

गुवाहाटी, 18 मार्च (भाषा) गीता, रोशनी और रोंजू के लिए रस्सियों पर चलना, छल्लों के आर-पार जाना और दर्शकों की सराहना बटोरना रोजमर्रा की चीजें हैं, लेकिन उन्होंने अपने परिवार के समक्ष प्रदर्शन कर उन्हें इसके लिए मना लिया कि यह उनकी इच्छा वाला काम है।

वे तीनों असम के उन कई सर्कस कलाकारों में शामिल हैं जो देश के विभिन्न हिस्सों में सर्कस कंपनियों का हिस्सा हैं, लेकिन उन्हें अपने गृह राज्य में प्रदर्शन करने का अवसर बहुत कम ही मिल पाता है।

गीता तेरोंगपी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘यह पहला मौका जब हमारे माता-पिता ने हमें सर्कस में प्रदर्शन करते देखा। वे खुश हैं और गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। माता-पिता की उपस्थिति में दर्शकों से वाहवाही बटोरना एक ऐसा अनुभव है हमें आगे प्रेरित करता रहेगा।’’

गीता और उनकी बड़ी बहन रोशनी होजई जिले से हैं। वे केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा यहां आयोजित हुनर हाट में प्रदर्शन कर रही 35 सदस्यीय एक सर्कस दल का हिस्सा हैं।

गीता ने कहा कि वे दोनों पुणे के रैम्बो सर्कस की नियमित सदस्य हैं और असम में पहली बार प्रदर्शन कर रही हैं, जबकि उन्होंने महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों की यात्रा की है।

कोविड के चलते लॉकडाउन लगने के बाद से वे पहली बार अपने गृह राज्य में आई हैं।

गोलपारा जिले के रोंजू संगमा ने कहा कि सर्कस कंपनी में शामिल होने वाले वह अपने परिवार से तीसरे व्यक्ति हैं।

सर्कस कंपनी में करीब आठ साल से काम कर रहे संगमा ने कहा कि गरीबी ने उनके गांव से कई लोगों को इस पेशे में धकेल दिया और जब वे कई साल काम कर लेंगे तो वे अपना बेहतर जीवन सुनिश्चित कर लेंगे।

कई सर्कस कलाकार मणिपुर से हैं और उनमें से छह लोग यहां प्रदर्शन कर रहे सर्कस दल का हिस्सा हैं।

यहां प्रदर्शन कर रहे कलाकारों के नेतृत्वकर्ता बीजू नायर ने कहा, ‘‘सर्कस कंपनियां और कलाकार लॉकडाउन के दौरान बुरी तरह से प्रभावित हुए। ’’

केरल के रहने वाले नायर ने कहा, ‘‘मैं अपने बच्चों की शिक्षा का खर्च तक नहीं उठा पा रहा था। हमारे सर्कस के मालिक ने लॉकडाउन के दौरान हमारी पूरी मदद की, लेकिन उनकी भी सीमाएं हैं।

उल्लेखनीय है कि यह पहला मौका है जब पूर्वोत्तर में हुनर हाट आयोजित किया गया है।

भाषा सुभाष पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)