नयी दिल्ली, नौ मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को पंजाब में एससी/एसटी श्रेणी में प्राथमिक प्रशिक्षित शिक्षकों (ईटीटी) के खाली 595 पदों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के उम्मीदवारों से भरे जाने के निर्देश संबंधी याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि चयन सूची की अधिसूचना के छह साल बाद ऐसा करना ‘पूरी तरह गैर-न्यायोचित’ होगा।
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी की पीठ ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें उसने एससी/एसटी के लिए आरक्षित पदों पर ओबीसी के उम्मीदवारों की नियुक्ति की अनुमति का राज्य सरकार को निर्देश देने संबंधी याचिका निरस्त कर दी थी।
शीर्ष अदालत ने ‘पंजाब अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग (सेवा में आरक्षण) अधिनियम’ का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि प्रत्यक्ष भर्ती या पदोन्नति से भरी जाने वाली आरक्षित रिक्तियों को नियुक्ति अधिकारी अनारक्षित नहीं कर सकता।’’
पीठ के लिए न्यायमूर्ति माहेश्वरी द्वारा लिखे गये फैसले में कहा गया है कि यदि आरक्षित श्रेणी में पात्र उम्मीदवारों की कमी के कारण सीट खाली रह जाती है, तो ‘‘शिक्षा विभाग जैसे नियुक्ति अधिकरण संबंधित पदों को आरक्षण मुक्त करने के लिए अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग को लिखेगा।’’
न्यायालय ने कहा, ‘‘इस तरह के अनुरोध पर संतुष्ट होने के बाद, यदि ऐसा करना जनहित में होता है तो, आरक्षित रिक्तियों को अनारक्षित करने के लिए संबंधित विभाग द्वारा आदेश जारी किया जाना जरूरी होता है।’’
उच्च न्यायालय ने उस वक्त इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया था, जब ओबीसी श्रेणी के कुछ विद्यार्थियों ने टावर पर चढ़कर विरोध प्रदर्शन किया था और वे आरक्षित श्रेणी के खाली पदों पर अपनी भर्ती की मांग कर रहे थे।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय ने ठीक ही कहा था कि प्रदर्शनकारियों द्वारा उठाये गये कदम दुर्भाग्यपूर्ण, अनुचित और गलत थे।’’
भाषा सुरेश नरेश दिलीप
दिलीप
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