चुनावी घोषणापत्र के नियमन और उसे कानूनी तौर पर लागू करने के लिए न्यायालय में जनहित याचिका |

चुनावी घोषणापत्र के नियमन और उसे कानूनी तौर पर लागू करने के लिए न्यायालय में जनहित याचिका

चुनावी घोषणापत्र के नियमन और उसे कानूनी तौर पर लागू करने के लिए न्यायालय में जनहित याचिका

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:55 PM IST, Published Date : February 19, 2022/2:16 pm IST

नयी दिल्ली, 19 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर करके केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वे चुनावी घोषणापत्र के नियमन के लिए कदम उठाएं और उसमें किये गए वादों के प्रति राजनीतिक दलों को उत्तरदायी बनाया जाए।

वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में अनुरोध किया गया है कि निर्वाचन आयोग को इस बाबत निर्देश दिए जाएं कि अगर राजनीतिक दल अपने चुनावी घोषणापत्र में किये गए वादे पूरे नहीं करते हैं तो उनके चुनाव चिह्न जब्त कर लिये जाएं और पार्टी की मान्यता खत्म कर दी जाए।

अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के जरिये दायर याचिका में कहा गया कि केंद्र सरकार और भारत निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों के घोषणापत्रों के नियमन के लिए कोई कदम नहीं उठाया। याचिका में एक उदाहरण देकर कहा गया है कि आम आदमी पार्टी ने 2013, 2015 और 2020 के चुनावी घोषणापत्र में जनलोकपाल विधेयक-स्वराज विधेयक का वादा किया था, लेकिन इसे लागू करने के लिए कुछ नहीं किया।

वकील ने याचिका में एक अन्य उदाहरण देते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी बार-बार समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा करती रही है। याचिका में कहा गया, “राज्यसभा में कम संख्या होने के बावजूद लोकसभा में पार्टी पूर्ण बहुमत में है। ऐसी स्थिति में अगर कोई भाजपा को चुनावी वादा पूरा करने के लिए अदालत में चुनौती दे तो इसमें कौन सी कानूनी समस्या है? पार्टी कम से कम समान नागरिक संहिता विधेयक पेश करे और संसदीय लोकतंत्र की मशीनरी को आगे का काम करने दे।”

भाषा यश सुरेश

सुरेश

 

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