PM Modi Big Statement on Relationship with China

PM Modi in America: अमेरिका में चीन के साथ संबंध को लेकर ये क्या बोल गए पीएम मोदी, कहा- अमेरिका के साथ रिश्ते पहले से अधिक मजबूत

अमेरिका में चीन के साथ संबंध को लेकर ये क्या बोल गए पीएम मोदी, कहा- अमेरिका के साथ रिश्ते पहले से अधिक मजबूत! PM Modi Big Statement on China

Edited By :   Modified Date:  June 21, 2023 / 12:09 PM IST, Published Date : June 20, 2023/1:34 pm IST

नयी दिल्ली: PM Modi Big Statement on China प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध पहले से कहीं अधिक मजबूत और गहरे हैं तथा दोनों देशों के नेताओं के बीच ‘अभूतपूर्व विश्वास’ है। हालांकि चीन के साथ सामान्य द्विपक्षीय संबंधों के लिए उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को ‘आवश्यक’ बताया। अपने अमेरिका दौरे की शुरुआत से पहले ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ को दिए एक साक्षात्कार में वैश्विक राजनीति के बारे में बात करते हुए मोदी ने यह भी कहा, ”भारत कहीं उच्च, गहरी और व्यापक स्तर की भूमिका का हकदार है।’’

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PM Modi Big Statement on China भारत-चीन संबंधों के बारे में मोदी ने कहा, ‘‘सामान्य द्विपक्षीय संबंधों के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता जरूरी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने, कानून के शासन का पालन करने और मतभेदों और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान में हमारा मूल विश्वास है। साथ ही भारत अपनी संप्रभुता और गरिमा की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार और प्रतिबद्ध है।’’ ज्ञात हो कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून, 2020 को भारत और चीनी सेनाओं के बीच संघर्ष हो गया था। यह पिछले पांच दशक में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इस तरह का पहला संघर्ष था और इससे द्विपक्षीय संबंधों में तनाव आ गया था।

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दोनों देशों के बीच इस सिलसिले में कई दौर की मंत्री व कमांडर स्तरीय वार्ता हो चुकी है लेकिन अभी तक स्थितियां पूरी तरह सामान्य नहीं हो सकी हैं। यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध को लेकर भारत की भूमिका की आलोचना से जुड़े एक सवाल पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हिंदुस्तान इस मामले में तटस्थ नहीं है बल्कि शांति के पक्ष में है। उन्होंने कहा, ‘‘सभी देशों को अंतरराष्ट्रीय कानून और देशों की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए। विवादों को ‘कूटनीति और बातचीत’ के जरिए हल किया जाना चाहिए, युद्ध के साथ नहीं।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग कहते हैं कि हम तटस्थ हैं। लेकिन हम तटस्थ नहीं हैं। हम शांति के पक्ष में हैं। दुनिया को पूरा विश्वास है कि भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता शांति है।’’ मोदी ने कहा कि उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से कई बार बात की है। उन्होंने कहा कि उन्होंने हाल ही में मई में जापान में जी-7 शिखर सम्मेलन के मौके पर जेलेंस्की से बात की थी। उन्होंने कहा, ‘‘भारत जो कुछ भी कर सकता है, वह करेगा। संघर्ष को समाप्त करने और स्थायी शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सभी वास्तविक प्रयासों का भारत समर्थन करता है।’’

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भारत-अमेरिका संबंधों की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच संबंध पहले से कहीं अधिक मजबूत और गहरे हैं और दोनों देशों के नेताओं के बीच ‘अभूतपूर्व विश्वास’ है। मोदी ने अपने साक्षात्कार में कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसी वैश्विक संस्थाओं को बदलना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘प्रमुख संस्थानों की सदस्यता को देखिए। क्या यह वास्तव में लोकतांत्रिक मूल्यों की आवाज का प्रतिनिधित्व करते हैं? अफ्रीका जैसी जगह… क्या इसकी कोई आवाज है? भारत की इतनी बड़ी आबादी है और यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक उज्ज्वल स्थान है, लेकिन क्या यह मौजूद है?’’

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का हिस्सा बनने की भारत की इच्छा पर प्रधानमंत्री ने दुनिया भर में शांति अभियानों में सैनिकों के योगदानकर्ता के रूप में देश की भूमिका की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि परिषद की मौजूदा सदस्यता का मूल्यांकन होना चाहिए और दुनिया से पूछा जाना चाहिए कि क्या वह चाहती है कि भारत वहां रहे? अमेरिकी अखबार ने कहा कि भारत सरकार ने शिक्षा और बुनियादी ढांचे में काफी निवेश किया है और इससे उसे फायदा होने की उम्मीद है क्योंकि बहुराष्ट्रीय कंपनियां भू-राजनीतिक तनाव के दौर में विनिर्माण और आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाना चाहती हैं।

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मोदी ने कहा, ‘‘मैं स्पष्ट कर दूं कि हम भारत को किसी देश की जगह लेने के रूप में नहीं देखते हैं। हम इस प्रक्रिया को भारत के दुनिया में अपना सही स्थान हासिल करने के रूप में देखते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज की दुनिया पहले से कहीं अधिक परस्पर जुड़ी हुई और एक दूसरे पर निर्भर है। लचीलापन पैदा करने के लिए, आपूर्ति श्रृंखलाओं में अधिक विविधीकरण होना चाहिए।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ है और यही कारण है कि उनकी विचार प्रक्रिया, उनका आचरण या फिर वह जो कहते और करते हैं, वह देश की विशेषताओं और परंपराओं से प्रेरित और प्रभावित है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे इससे अपनी ताकत मिलती है। मैं अपने देश को दुनिया के सामने वैसे ही पेश करता हूं जैसा मेरा देश है, और खुद को भी, जैसा मैं हूं।’’

 

 

 

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