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नयी दिल्ली, 20 मार्च (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जापान के उनके समकक्ष फुमियो किशिदा खाद्यान्न एवं ऊर्जा की बढ़ती कीमतों, हिंद-प्रशांत में शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने और समग्र द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार जैसी बढ़ती वैश्विक चुनौतियों से निपटने के तरीकों पर सोमवार को बातचीत करेंगे।
जापान के प्रधानमंत्री सोमवार सुबह करीब आठ बजे दिल्ली पहुंचे और करीब 27 घंटे की अपनी इस यात्रा के दौरान वह कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने और भारत की जी-20 की अध्यक्षता एवं जी-7 की जापान की अध्यक्षता के लिए प्राथमिकताओं पर भी चर्चा करेंगे।
दोनों पक्षों द्वारा सुरक्षा, व्यापार एवं निवेश तथा उच्च प्रौद्योगिकी सहित कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के मुद्दे पर बातचीत करने की संभावना है।
पिछले साल मार्च में भारत की अपनी यात्रा के दौरान किशिदा ने भारत में अगले पांच साल में पांच हजार अरब येन (3,20,000 करोड़ रुपये) के निवेश की घोषणा की थी।
एक समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, किशिदा ने उल्लेख किया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब एक ऐतिहासिक मोड़ पर है और उन्होंने खाद्य सुरक्षा, जलवायु और ऊर्जा तथा निष्पक्ष और पारदर्शी विकास को प्रमुख चुनौती बताया।
रिपोर्ट में लिखा है, ‘‘जापान और भारत इस साल क्रमश: जी-7 और जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करेंगे। इन चुनौतियों से निपटने में जी-7 और जी-20 की भूमिका पर मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ सार्थक चर्चा को लेकर आशान्वित हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस अवसर का इस्तेमाल दोनों देशों के बीच बहुस्तरीय द्विपक्षीय संबंध को गहरा करने में करना चाहता हूं, जो साझा मूल्यों एवं स्वतंत्रता के सिद्धांतों, लोकतंत्र, मानवाधिकार और कानून के शासन पर आधारित है।’’
उन्होंने कहा कि जापान-भारत के संबंध विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ रहे हैं और जापान भारत की ‘‘स्मार्ट सिटी’’ परियोजनाओं में उसके साथ सहयोग बढ़ाना चाहता है।
भारत की बढ़ती महत्वपूर्ण भूमिका के मद्देनजर जापान के प्रधानमंत्री अपनी इस यात्रा के दौरान क्षेत्र में ‘‘मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत’’ को लेकर अपनी योजना पर भी बात कर सकते हैं।
मोदी और किशिदा के बीच व्यापक वार्ता में चीन की बढ़ती सैन्य मुखरता की पृष्ठभूमि में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरती स्थिति के बारे में भी चर्चा होने की संभावना है।
जापान के प्रधानमंत्री दोपहर में एक प्रमुख थिंक-टैंक में व्याख्यान के दौरान ‘‘शांति के लिए मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत की योजना’’ पर अपने विचार रख सकते है। योजना में हिंद-प्रशांत को लेकर भारत के महत्व को रेखांकित किए जाने की संभावना है।
पिछले साल जून में सिंगापुर में प्रतिष्ठित शांगरी-ला वार्ता के दौरान किशिदा ने कहा था कि वह आगामी दिनों में हिंद-प्रशांत के लिए योजना तैयार करेंगे।
उन्होंने कहा था, ‘‘मैं आगामी दिनों में ‘शांति के उद्देश्य से एक मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत के लिए योजना’ तैयार करूंगा, जो गश्ती जहाज उपलब्ध कराने और समुद्री कानून को मजबूत करने, प्रवर्तन क्षमता, साइबर सुरक्षा, डिजिटल और हरित पहल तथा आर्थिक सुरक्षा पर जोर देने के साथ मुक्त व खुले हिंद-प्रशांत की सोच को बढ़ावा देने के जापान के प्रयासों को मजबूत करेगा।’’
योजना के जरिए हिंद-प्रशांत के प्रति जापान की नीति और दृष्टिकोण के बारे में विस्तृत जानकारी मिलने की संभावना है। पिछले कुछ वर्षों में लगभग सभी प्रमुख शक्तियां हिंद-प्रशांत पर अपनी रणनीतियों के साथ सामने आई हैं।
जापान हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय नियमों को बनाए रखने और मजबूत करने के मद्देनजर मुक्त एवं खुले हिंद प्रशांत पर जोर देता रहा है।
भाषा सुरभि सिम्मी
सिम्मी
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