किशोरी के परिवार के कहने पर युवक पर पुलिस का पॉक्सो लगाना दुर्भाग्यपूर्ण : दिल्ली उच्च न्यायालय |

किशोरी के परिवार के कहने पर युवक पर पुलिस का पॉक्सो लगाना दुर्भाग्यपूर्ण : दिल्ली उच्च न्यायालय

किशोरी के परिवार के कहने पर युवक पर पुलिस का पॉक्सो लगाना दुर्भाग्यपूर्ण : दिल्ली उच्च न्यायालय

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:25 PM IST, Published Date : October 14, 2021/5:06 pm IST

नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर (भाषा) लड़की के संबंधों पर आपत्ति जताते हुए परिवार के कहने पर पुलिस द्वारा लड़के के खिलाफ यौन उत्पीड़न के प्रावधान लगाने के चलन को लेकर चिंता प्रकट करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून का दुरूपयोग हो रहा है।

उच्च न्यायालय ने एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के आरोपी 21 वर्षीय युवक को जमानत देते हुए कहा कि वह उन दोनों (युवक-लड़की) के बीच दोस्ती से इनकार नहीं कर सकता है। साथ ही, कहा कि ऐसा लगता है कि प्राथमिकी लड़की के परिवार के कहने पर दर्ज की गई, जो उसके गर्भवती होने के बारे में जानकारी मिलने पर शर्मिंदगी महसूस कर रहा था।

आरोपी ने लड़की के साथ प्रेम संबंध रहने का दावा किया था।

अदालत ने कहा, ‘‘आपसी सहमति से यौन संबंध कानून के अस्पष्ट क्षेत्र में है क्योंकि नाबालिग (लड़की) द्वारा दी गई सहमति को कानून की नजरों में वैध सहमति नहीं कहा जा सकता है। यहां यह सवाल उठता है कि याचिकाकर्ता (युवक) को जमानत दी जानी चाहिए, या नहीं।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा, ‘‘यह एक दुर्भाग्यपूर्ण चलन बन गया है कि पुलिस लड़की के परिवार के कहने पर पॉक्सो के मामले दर्ज कर रही है, जिसने युवक से उसकी दोस्ती और प्रेम प्रसंग पर आपत्ति जताई थी। इसतरह, कानून के प्रावधान का दुरूपयोग किया जा रहा है। ’’

अदालत ने कहा कि युवक और लड़की की उम्र, दोनों के बीच प्रेम संबंध होने की ओर इंगित करने वाली तस्वीरें और मेडिकल रिपोर्ट दर्ज किये जाते समय बयानों में विसंगतियां, प्राथमिकी, ये सभी ऐसे तथ्य हैं जो आरोपी को जमानत देने की ओर ले जाते हैं।

अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि समाज में शर्मिंदगी से बचने और गर्भपात कराने के लिए, इस प्राथमिकी के दर्ज कराये जाने ने इसे यौन शोषण का रूप दिया और इसे पॉक्सो कानून के दायरे में ला दिया।

अदालत ने इस बात का जिक्र किया कि लड़की को युवक को जमानत मिलने से कोई आपत्ति नहीं है। अदालत ने कहा कि वे दोनों ही तकरीबन हमउम्र हैं और इस तथ्य की अनदेखी नहीं की जा सकती कि आरोपी सिर्फ 21 साल का है, जिसका अभी पूरा जीवन शेष है।

अदालत को बताया गया कि जमानत पर रिहा होने के बाद व्यक्ति उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में अपने माता पिता के पास रहेगा और उसके पते का अभियोजन ने सत्यापन किया है।

अदालत ने युवक को 50,000 रुपये का एक निजी मुचलका और इतनी ही रकम की दो जमानत देने तथा अदालत में हाजिर होने के अलावा जिले से बाहर नहीं जाने का निर्देश दिया।

प्राथमिकी के मुताबिक, लड़की ने शिकायत की थी कि वह 16 वर्ष की है और पिछले साल जनवरी में 12वीं कक्षा की छात्रा थी तथा युवक उसका पीछा किया करता था और उससे दोस्ती करने का उसे प्रस्ताव दिया था लेकिन उसने इनकार कर दिया था।

दूसरी ओर, जमानत का अनुरोध कर रहे आरोपी का कहना था कि स्कूल में ही उसकी इस लड़की से दोस्तीहो गयी थी और इस लड़की की उम्र 18 साल और उसकी उम्र 21 साथ थी। आरोपी का यह भी कहना था कि शिकायतकर्ता को उसके परिवार के सदस्यों ने प्राथमिकी दर्ज कराने के लिये डराया धमकाया है।

भाषा

सुभाष अनूप

अनूप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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