पीटीआई फैक्ट चैक: खटकड़ कलां भगत सिंह का पैतृक गांव था, पर वह कभी वहां रहे नहीं |

पीटीआई फैक्ट चैक: खटकड़ कलां भगत सिंह का पैतृक गांव था, पर वह कभी वहां रहे नहीं

पीटीआई फैक्ट चैक: खटकड़ कलां भगत सिंह का पैतृक गांव था, पर वह कभी वहां रहे नहीं

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:21 PM IST, Published Date : March 23, 2022/4:07 pm IST

PTI fact check Hindi

नयी दिल्ली, 23 मार्च (भाषा) भारत के स्वतंत्रता संग्राम से स्थायी संबंध रखने वाले पंजाब के खटकड़ कलां गांव को वैसे तो हमेशा भगत सिंह के पैतृक स्थान के रूप में जाना जाता है, लेकिन न तो उनका जन्म उस गांव में हुआ था और न ही वे कभी वहां रहे।

भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को लायलपुर जिले के बंगा गांव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। बाद में लायलपुर का नाम बदलकर फैसलाबाद कर दिया गया था।

जानकारों ने बुधवार को भगत सिंह की शहादत की बरसी पर बताया कि उन्होंने अपने दादा अर्जन सिंह के साथ खटकड़ कलां के कई दौरे किए, लेकिन वहां रहे नहीं।

यह गांव पिछले हफ्ते उस समय सुर्खियों में आया था जब पंजाब के नए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने वहां हजारों लोगों की मौजूदगी में पद की शपथ ली थी।

लुधियाना में रहने वाले भगत सिंह के भतीजे जगमोहन सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ”अर्जन सिंह अपने पोते भगत सिंह और जगत सिंह, जिनकी 1916 या 1917 की शुरुआत में फ्लू के कारण मृत्यु हो गई थी, को हर गर्मियों में खटकड़ कलां और घर में लाया करते थे। मेरे परिवार में हर कोई इस बारे में जानता था।”

जगमोहन (77) ने कहा, ”मैंने खटकड़ कलां में भगत सिंह की उम्र के लोगों से बातचीत की, जिन्होंने इस बात को सही बताया। हां, यह निश्चित तथ्य है कि भगत सिंह कई बार गांव गए थे।”

भगत सिंह पर कई किताब लिख चुके इतिहासकार चमन लाल ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी ने भले ही गांव का दौरा किया हो, लेकिन अपने जीवन में कभी भी वहां नहीं रहे।

भगत सिंह केवल 23 वर्ष के थे जब उन्हें 23 मार्च, 1931 को सुखदेव थापर और शिव रामहरी राजगुरु के साथ, ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या के मामले में फांसी दे दी गई थी।

उन्होंने अपने गांव के स्कूल में कक्षा 5 तक पढ़ाई की, जिसके बाद उनके पिता ने लाहौर के दयानंद एंग्लो वैदिक (डीएवी) हाई स्कूल में उनका दाखिला करा दिया।

चमन लाल ने खटकड़ कलां के साथ भगत सिंह के परिवार के जुड़ाव के बारे में कहा कि परिवार साल 1900 के शुरुआती दिनों में गांव से लायलपुर में स्थानांतरित हो गया था, जब अंग्रेजों ने उनके परिवारों को दो नए बनाए गए जिलों – मोंटगोमरी (अब पाकिस्तान का साहीवाल) और लायलपुर में जमीन आवंटित की थी।

दशकों बाद, 1947 में विभाजन के दौरान, परिवार खटकड़ कलां में अपने घर लौट आया। भगत सिंह के पिता किशन सिंह की 1951 में मृत्यु हो गई, वहीं अंत तक अपने पुश्तैनी घर में रहीं उनकी मां विद्यावती का 1975 में निधन हो गया।

खटकड़ कलां में मकान का निर्माण भगत सिंह के परदादा सरदार फतेह सिंह ने 1858 में कराया था। ‘‘पंजाब प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्मारक एवं पुरातत्व स्थल तथा पुरावशेष अधिनियम’ (1964) के तहत इस मकान को 1982 में संरक्षित स्मारक का दर्जा दिया गया।

भाषा जोहेब मनीषा

मनीषा

 

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