'न्यायालयों में स्थानीय भाषा के उपयोग जैसे सुधारों को एक दिन में लागू नहीं किया जा सकता' |

‘न्यायालयों में स्थानीय भाषा के उपयोग जैसे सुधारों को एक दिन में लागू नहीं किया जा सकता’

'न्यायालयों में स्थानीय भाषा के उपयोग जैसे सुधारों को एक दिन में लागू नहीं किया जा सकता'

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:09 PM IST, Published Date : April 30, 2022/9:39 pm IST

नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमण ने शनिवार को कहा कि अदालतों में स्थानीय भाषा का उपयोग करने जैसे सुधारों को एक दिन में लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि कई तरह की अड़चनों के कारण ऐसी चीजों के कार्यान्वयन में समय लगता है।

न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ”कई बार, कुछ न्यायाधीश स्थानीय भाषा से परिचित नहीं होते। मुख्य न्यायाधीश हमेशा बाहर के होंगे। वरिष्ठतम न्यायाधीश भी कई बार बाहर से होते हैं।”

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू के साथ संयुक्त प्रेसवार्ता के दौरान एक सवाल के जवाब में न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ”स्थानीय भाषाओं को लागू करने में कई तरह की बाधाएं और अड़चनें हैं।”

मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के बाद आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वर्ष 2014 के दौरान उच्चतम न्यायालय की पूर्ण पीठ ने उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें अदालतों में स्थानीय भाषा का उपयोग करने का अनुरोध किया गया था।

उन्होंने कहा, ”इसके बाद से उच्चतम न्यायालय के समक्ष कोई भी ठोस प्रस्ताव नहीं आया है। हाल में, स्थानीय भाषाओं को अनुमति देने संबंधी बहस शुरू हुई है।”

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि तमिलनाडु ने न्यायिक कार्यवाही में स्थानीय भाषा के उपयोग की मांग उठायी है।

साथ ही उन्होंने कहा कि गुजरात के एक वरिष्ठ नेता ने भी ऐसा ही आग्रह किया है, लेकिन उन्होंने अभी तक इस संबंध में कोई प्रस्ताव नहीं मिला है।

भाषा शफीक पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)