नयी दिल्ली, 14 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि लैंडफिल (अपशिष्ट भराव क्षेत्र) स्थल के बगल में डेरी होने से वहां रखे गए मवेशियों के दूध का उपभोग करने वाले लोगों की सेहत पर गंभीर असर पड़ सकता है। अदालत ने इसी के साथ दिल्ली के मुख्य सचिव को भलस्वा और गाजीपुर डेरी को घोघा के वैकल्पिक स्थान पर स्थानांतरित करने को लेकर ‘गंभीरता से विचार’ करने का निर्देश दिया।
अदालत ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के साथ-साथ शहर के अधिकारियों को ककरोला, गोएला, नंगली शकरावती, झरोदा, भलस्वा, गाजीपुर, शाहबाद दौलतपुर, मदनपुर खादर और मसूदपुर सहित सभी नौ नामित डेरी से दूध और दूध उत्पादों में रसायनों की उपस्थिति के लिए परीक्षण बढ़ाने और उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा दिल्ली की डेरी की स्थिति को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए आठ मई को जारी आदेश में इस तथ्य का संज्ञान लिया कि मवेशियों में होने वाली बीमारी इंसानों सहित अन्य प्रजातियों में फैल सकती है और कहा कि दुधारू मवेशियों को साफ जगह पर रखा जाना चाहिए।
अदालत ने कहा कि अधिकारी उस अपूरणीय क्षति के प्रति ‘आंखें मूंद रहे हैं’, जो लैंडफिल स्थल के पास संचालित होने वाली डेरियों से नागरिकों के स्वास्थ्य को हो सकती है। पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया वह दिल्ली के मुख्य सचिव की इस दलील से सहमत नहीं है कि लैंडफिल स्थल के पास मौजूद डेरियों में रखे गए मवेशियों को वहां पड़े खतरनाक अपशिष्ट खाने से रोका जा सकता है।
मामले में अगली सुनवाई 27 मई को होगी।
भाषा धीरज दिलीप
दिलीप
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