26/11 हमले के दौरान नायक बनकर उभरे सदानंद दाते अब एनआईए प्रमुख |

26/11 हमले के दौरान नायक बनकर उभरे सदानंद दाते अब एनआईए प्रमुख

26/11 हमले के दौरान नायक बनकर उभरे सदानंद दाते अब एनआईए प्रमुख

:   Modified Date:  March 27, 2024 / 09:08 PM IST, Published Date : March 27, 2024/9:08 pm IST

नयी दिल्ली, 27 मार्च (भाषा) देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकवादी हमले के दौरान आतंकवादी अजमल कसाब और उसके सहयोगी अबू इस्माइल से बेहोश होने तक मोर्चा लेने वाले सदानंद वसंत दाते को उनकी उस बहादुरी के करीब 16 साल बाद प्रतिष्ठित एजेंसी राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) का प्रमुख बनाया गया है।

मुंबई आतंकवादी हमले के बाद एनआईए अस्तित्व में आई थी।

भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1990 बैच के अधिकारी दाते को 26/11 हमले के दौरान वीरता का प्रदर्शन करने के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया था। महाराष्ट्र कैडर के अधिकारी दाते उस एजेंसी के महानिदेशक का पदभार संभालेंगे जिसे विशेष रूप से आतंकवादी मामलों की जांच का काम सौंपा गया है।

दाते 26 नवंबर, 2008 के आतंकवादी हमले के समय मध्य क्षेत्र के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त के पद पर तैनात थे। उन्हें छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (रेलवे स्टेशन) के पास आतंकवादियों द्वारा अंधाधुंध गोलीबारी किए जाने की जानकारी फोन के जरिये मिली थी। हमले से कुछ समय पहले ही 10 आतंकवादी एक नाव से मुंबई में दाखिल हुए थे।

दाते और उनकी टीम जब तक छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पहुंची, तब तक लश्कर-ए-तैयबा के दोनों आतंकवादी कसाब और इस्माइल वहां से चले गए थे और पास के कामा अस्पताल की छत पर कब्जा कर लिया था। टीम ने उनका वहां तक ​​पीछा किया।

उस समय तक पुलिस टीम अनुमान के आधार पर कार्रवाई कर रही थी। उसे यही पता था कि दो लोग वहां हैं, लेकिन उसे आतंकवादियों के पास मौजूद हथियारों और गोला-बारूद के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। फिर भी, दाते के नेतृत्व वाली टीम ने दोनों से मुकाबला करने का फैसला किया।

पुलिस की कार्रवाई का जवाब आतंकवादियों ने उन पर हथगोले फेंक कर दिया जिससे दाते के हाथों और पैरों में में छर्रे लगे। घायल होने के बाद भी दाते ने अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को उनके स्थान के बारे में सूचित किया और दोनों आतंकवादियों पर गोलीबारी जारी रखी।

दाते ने करीब एक घंटे तक दोनों आतंकवादियों को उलझाए रखा लेकिन अधिक खून बहने की वजह से वह बेहोश हो गए।

उनकी टीम की त्वरित प्रतिक्रिया और कार्रवाई ने अस्पताल में मरीजों को संकट से बचाने में अहम भूमिका निभाई। हमले के समय अस्पताल में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे थे।

उस रात मुंबई पुलिस के 18 जवान शहीद हो गए जिनमें वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हेमंत करकरे और अशोक काम्टे के अलावा मुठभेड़ विशेषज्ञ विजय सालस्कर और सहायक उप-निरीक्षक तुकाराम ओंबले शामिल थे जिन्होंने पाकिस्तान से संचालित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी कसाब को गिरफ्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। कसाब को नवंबर 2012 में फांसी दी गई जबकि ओंबले ने इस्माइल को मार गिराया था।

दाते (57) बुधवार तक महाराष्ट्र आतंकवादी रोधी दस्ते (एटीएस) के प्रमुख थे। उन्होंने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) में पुलिस उप महानिरीक्षक, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में महानिरीक्षक (अभियान) और मुंबई के नजदीक मीरा-भयंदर और वसई-विरार के पुलिस आयुक्त के रूप में भी कार्य किया।

उन्होंने एमकॉम के साथ ही पुणे विश्वविद्यालय से आर्थिक अपराध विषय में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है

भाषा धीरज अविनाश

अविनाश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)