रामानुजाचार्य जैसे संतों ने सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित राष्ट्र की अवधारणा का निर्माण किया: कोविंद |

रामानुजाचार्य जैसे संतों ने सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित राष्ट्र की अवधारणा का निर्माण किया: कोविंद

रामानुजाचार्य जैसे संतों ने सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित राष्ट्र की अवधारणा का निर्माण किया: कोविंद

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:15 PM IST, Published Date : February 13, 2022/8:39 pm IST

हैदराबाद, 13 फरवरी (भाषा) राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को कहा कि रामानुजाचार्य जैसे संतों, कवियों और दार्शनिकों ने देश की सांस्कृतिक पहचान, सांस्कृतिक निरंतरता और सांस्कृतिक एकता का निर्माण और पोषण किया है।

हैदराबाद में 11वीं सदी के संत रामानुजाचार्य की सहस्राब्दि जयंती समारोह में शामिल होने के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए कोविंद ने कहा कि संत-कवियों और दार्शनिकों ने सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित राष्ट्र की अवधारणा का निर्माण किया है।

कोविंद ने कहा, ”राष्ट्र की यह संस्कृति-आधारित अवधारणा पश्चिमी विचारों में परिभाषित तरीके से भिन्न है। सदियों पहले एक सूत्र में भारत को एकजुट करने वाली भक्ति परंपरा के संदर्भ पुराणों में पाए जाते हैं।”

उन्होंने कहा, ”इस परंपरा को रामानुजाचार्य से प्रेरित भक्ति संप्रदाय के रूप में देखा जा सकता है, जोकि तमिलनाडु के श्रीरंगम और कांचीपुरम से उत्तर प्रदेश के वाराणसी तक फैला। इस प्रकार भारतीयों की भावनात्मक एकता सदियों पुरानी है।”

कोविंद ने कहा कि रामानुजाचार्य का ‘विशिष्टाद्वैत’ न केवल दर्शन में एक योगदान है, बल्कि रोजमर्रा के जीवन में भी इसकी प्रासंगिकता को दर्शाता है।

राष्ट्रपति ने कहा, ”जिसे पश्चिम में दर्शनशास्त्र कहा जाता है, वह केवल अध्ययन के विषय में सिमट गया है। हालांकि, जिसे हम ‘दर्शन’ कहते हैं, वह केवल शुष्क विश्लेषण का विषय नहीं बल्कि दुनिया और जीवन को देखने का एक तरीका भी है। भारत में यह हमेशा प्रासंगिक रहा है, जिसके लिए रामानुजाचार्य जैसे दार्शनिक-संतों का आभार।”

उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय के पक्ष में खड़े रहे बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर ने साफ तौर पर कहा था कि देश के आधुनिक गणराज्य के मौलिक संवैधानिक आदर्श भारत की सांस्कृतिक विरासत पर आधारित हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि आंबेडकर ने भी रामानुजाचार्य के समतावादी आदर्शों का पूरे सम्मान के साथ उल्लेख किया था।

उन्होंने कहा, ”इस प्रकार, समानता की हमारी अवधारणा पश्चिमी देशों से नहीं ली गई है। यह भारत की सांस्कृतिक मिट्टी में विकसित हुई है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का हमारा दृष्टिकोण समानता पर आधारित है। समानता हमारे लोकतंत्र की आधारशिला है।”

इससे पहले, तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन और मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने यहां बेगमपेट में हवाई अड्डे पर राष्ट्रपति की अगवानी की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच फरवरी को शहर के बाहरी इलाके में रामानुजाचार्य की 216 फुट ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ का अनावरण किया था।

भाषा शफीक दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)