कन्नूर, 16 सितंबर (भाषा) कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति गोपीनाथ रवींद्रन ने बृहस्पतिवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता एम एस गोलवलकर और हिंदू महासभा के नेता वी डी सावरकर की किताबों के कुछ अंश शासन एवं राजनीति पर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में फिलहाल नहीं पढ़ाए जाएंगे।
कुलपति ने कहा कि पाठ्यक्रम के चौथे सेमेस्टर में नए अंशों में आवश्यक बदलाव के बाद उन्हें पढ़ाया जाएगा। अभी के लिए विश्वविद्यालय समकालीन राजनीतिक सिद्धांत पेपर पढ़ाना जारी रखेगा जैसा कि वह पहले कर रहा था।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गठित दो सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने विश्वविद्यालय के नए पाठ्य विवरण में बदलावों का सुझाव दिया है। ये बदलाव करने के बाद पाठ्य विवरण समिति को भेजा जाएगा।
विश्वविद्यालय के फैसले को लेकर विभिन्न छात्र संघों ने आलोचना की थी और उन्होंने विश्वविद्यालय के भगवाकरण का आरोप लगाया था। केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने कहा था कि उनकी सरकार उन विचारों और नेताओं का महिमामंडन नहीं करेगी जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम से मुंह मोड़ लिया था।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने हालांकि विश्वविद्यालय का बचाव करते हुए कहा था कि दलगत राजनीति की वेदी पर बौद्धिक स्वतंत्रता की बलि नहीं चढ़ानी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपनी किताबों में सावरकर और गोलवलकर का व्यापक संदर्भ दिया है और उनका खंडन भी किया है।’’
उन्होंने फेसबुक पोस्ट में कहा ‘‘अगर हम सावरकर और गोलवलकर को नहीं पढ़ते तो उनके विचारों का विरोध किस आधार पर करेंगे ? कन्नूर विश्वविद्यालय गांधी और टैगोर के विचार भी पढ़ाता है।’’
छात्र संघों के अनुसार, विश्वविद्यालय ने गोलवलकर की ‘‘बंच ऑफ थॉट्स’’ समेत कई किताबों और सावरकर की ‘‘हिंदुत्व : हू इज अ हिंदू?’’ से कुछ हिस्सों को तीसरे सेमेस्टर के छात्रों के पाठ्यक्रम में शामिल किया था।
भाषा गोला मनीषा
मनीषा
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