न्यायालय निषेधाज्ञा आदेशों को रद्द करने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत

न्यायालय निषेधाज्ञा आदेशों को रद्द करने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत

न्यायालय निषेधाज्ञा आदेशों को रद्द करने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत
Modified Date: April 19, 2024 / 05:41 pm IST
Published Date: April 19, 2024 5:41 pm IST

नयी दिल्ली, 19 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय उस याचिका पर सुनवाई करने के लिए शुक्रवार को सहमत हो गया जिसमें सिर्फ चुनाव होने के आधार पर, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत जारी किये गए निषेधाज्ञा आदेशों को रद्द करने का अनुरोध किया गया है।

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने यह निर्देश भी दिया कि सक्षम प्राधिकार चुनावों के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से यात्रा या जन सभाएं आयोजित करने के लिए अनुमति मांगने वाली अर्जी पर तीन दिनों के अंदर निर्णय करे।

पीठ सामाजिक कार्यकर्ता अरूणा राय और निखिल डे की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में, लोकसभा या विधानसभा चुनावों से पहले और परिणामों की घोषणा होने तक बैठकों, सभाओं, जुलूस या धरने को निषिद्ध करने के लिए मजिस्ट्रेट और राज्य सरकारों द्वारा सीआरपीसी की धारा 144 लागू करने के लिए धड़ल्ले से आदेश जारी किये पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है।

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दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 उपद्रव की आशंका होने पर लागू की जाती है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पीठ से कहा, ‘‘कुछ बहुत शानदार हो रहा है। पिछले छह महीनों में, निर्वाचन आयोग के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करने से लेकर चुनावों के समापन की पूरी अवधि तक (सीआरपीसी की) धारा 144 लागू करने का धड़ल्ले से आदेश जारी किया जा रहा है।’’

उन्होंने कहा कि यह धारा चुनावों के दौरान हर तरह की सभाओं, बैठकों और प्रदर्शनों को निषिद्ध करती है।

पीठ ने कहा, ‘‘इस तरह का आदेश कैसे जारी किया जा सकता है।’’

भूषण ने कहा कि शीर्ष अदालत की संविधान पीठ के तीन निर्णय हैं जिनमें कहा गया है कि जब तक शांति भंग होने की प्रबल आशंका न हो यह आदेश जारी नहीं किया जा सकता।

उन्होंने राजस्थान में 16 मार्च को सीआरपीसी की धारा 144 के तहत आदेश जारी किये जाने का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है कि यह आदेश 16 मार्च को प्रभावी होगा और छह जून तक पूरे बाड़मेर में प्रभावी रहेगा।

भूषण ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने पिछले साल के विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं के लोकतांत्रिक अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए एक यात्रा की इजाजत लेने के वास्ते आवेदन दिया था।

उन्होंने कहा कि अधिकारियों को इस तरह के आवेदनों पर एक निर्धारित समय सीमा के भीतर निर्णय लेना चाहिए।

पीठ ने विषय की सुनवाई दो हफ्ते बाद के लिए निर्धारित कर दी।

भाषा सुभाष नरेश

नरेश


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