एसकेएम ने एमएसपी पर समिति की 22 अगस्त की बैठक खारिज की, कहा-उससे कोई उम्मीद नहीं |

एसकेएम ने एमएसपी पर समिति की 22 अगस्त की बैठक खारिज की, कहा-उससे कोई उम्मीद नहीं

एसकेएम ने एमएसपी पर समिति की 22 अगस्त की बैठक खारिज की, कहा-उससे कोई उम्मीद नहीं

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:52 PM IST, Published Date : August 16, 2022/5:20 pm IST

नयी दिल्ली, 16 अगस्त (भाषा) संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेताओं ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गठित समिति की अगले सप्ताह होने वाली बैठक का मंगलवार को विरोध किया और समिति को एक ‘‘दिखावा’’ बताते हुए कहा कि बातचीत से कुछ भी निर्णायक नहीं निकलेगा।

नेताओं ने कहा कि वे ‘‘किसान विरोधी समिति’’ को पहले ही खारिज कर चुके हैं और 22 अगस्त की बैठक में शामिल नहीं होंगे। एसकेएम 40 से अधिक किसान संघों का एक निकाय है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, एमएसपी पर समिति की पहली बैठक भविष्य की रणनीतियों पर चर्चा के लिए 22 अगस्त को होने वाली है। सूत्रों ने बताया कि बैठक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर (एनएएससी) में पूर्वाह्न साढ़े दस बजे होगी।

सूत्रों ने बताया कि पहली बैठक में, समिति सदस्यों का परिचय देगी, ‘‘भविष्य की रणनीतियों’’ पर विचार-विमर्श करेगी और विचारार्थ विषयों में उल्लेखित व्यापक मुद्दों को समायोजित करने के लिए उप-समिति के गठन पर चर्चा करेगी।

इस बीच, सरकार एसकेएम को समिति की कार्यवाही में भाग लेने के लिए राजी करने में लगी है। यह अभी स्पष्ट नहीं है कि क्या वह अपना विचार बदलेगा और तीन प्रतिनिधियों को नामित करेगा, जैसा कि सहमति के तहत आवश्यक है।

एसकेएम नेता हन्नन मोल्ला ने सरकार के सुझाव को खारिज कर दिया और कहा कि किसान संगठन भविष्य के कदम के बारे में फैसला कर रहा है।

मोल्ला ने कहा, ‘हमने पहले ही समिति को खारिज कर दिया है और हमने स्पष्ट रूप से कहा है कि हम वार्ता में हिस्सा नहीं लेंगे। इसलिए आगामी बैठक में हिस्सा लेने का कोई सवाल ही नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने कुछ तथाकथित किसान नेताओं को समिति में शामिल किया है, जिनका तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर आयोजित हमारे आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम आगे के कदम पर निर्णय करेंगे और तय करेंगे कि हम कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कैसे करेंगे।’’

एक अन्य किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि 2021 के हिंसा मामले के खिलाफ उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में 75 घंटे के विरोध प्रदर्शन के बाद किसान संगठन भविष्य का कदम तय करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम किसान विरोधी समिति को कोई समर्थन नहीं दे रहे। हमारा विरोध जारी है क्योंकि केंद्र पिछले साल किए गए अपने वादों से मुकर रहा है।’’

पाल ने कहा, ‘‘हम पिछले साल कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने, आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं।’’

पिछले साल नवंबर में तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के एमएसपी मुद्दे को देखने के लिए एक समिति गठित करने का वादा किया था।

पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में समिति का गठन 18 जुलाई को प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने, देश की बदलती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए फसल चक्र में बदलाव करने और एमएसपी को और अधिक ‘‘प्रभावी तथा पारदर्शी’’ बनाने के लिए किया गया था।

समिति में एक अध्यक्ष सहित 26 सदस्य हैं और एसकेएम के प्रतिनिधियों के लिए तीन सदस्यों की जगह रखी गई है।

समिति के सदस्यों में नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद, भारतीय आर्थिक विकास संस्थान के कृषि-अर्थशास्त्री सी एस सी शेखर और आईआईएम-अहमदाबाद के सुखपाल सिंह और कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) के वरिष्ठ सदस्य नवीन पी सिंह भी शामिल हैं।

किसान प्रतिनिधियों में, समिति में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किसान भारत भूषण त्यागी और अन्य किसान संगठनों के पांच सदस्य – गुणवंत पाटिल, कृष्णवीर चौधरी, प्रमोद कुमार चौधरी, गुनी प्रकाश और सैय्यद पाशा पटेल हैं।

भाषा अमित मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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