पंजाब कांग्रेस के कुछ नेताओं ने मंत्रिमंडल में राणा गुरजीत सिंह को शामिल करने का विरोध किया |

पंजाब कांग्रेस के कुछ नेताओं ने मंत्रिमंडल में राणा गुरजीत सिंह को शामिल करने का विरोध किया

पंजाब कांग्रेस के कुछ नेताओं ने मंत्रिमंडल में राणा गुरजीत सिंह को शामिल करने का विरोध किया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:25 PM IST, Published Date : September 26, 2021/5:17 pm IST

चंडीगढ़, 26 सितंबर (भाषा) चरणजीत सिंह चन्नी नीत पंजाब सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार से कुछ घंटे पहले रविवार को पिछली अमरिंदर सिंह सरकार के मंत्रियों के समूह ने उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर निकाले जाने पर सवाल उठाया है।

इससे पहले, राज्य के कांग्रेस नेताओं के एक वर्ग ने प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को पत्र लिखकर मांग की कि ”दागी” छवि वाले पूर्व मंत्री राणा गुरजीत सिंह को फिर से मंत्रिमंडल में शामिल न किया जाए। इन नेताओं का कहना है कि मंत्री पद उनकी (राणा गुरजीत) जगह साफ छवि वाले दलित नेता को दिया जाना चाहिए। इस पत्र की प्रति मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को भी भेजी गई है।

एक अन्य घटनाक्रम में, पिछली अमरिंदर सिंह मंत्रिपरिषद में मंत्री रहे बलबीर सिंह सिद्धू और गुरप्रीत सिंह कांगड़ ने कैबिनेट विस्तार से कुछ समय पहले यहां संयुक्त संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया और पूछा कि उनकी क्या गलती थी कि उन्हें पद से हटा दिया गया।

बलबीर सिद्धू ने भावुक होते हुए कहा, ”मेरा क्या कसूर है?” जबकि कांगड़ ने भी यही सवाल किया।

सूत्रों ने बताया कि पंजाब मंत्रिमंडल में सात नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है जबकि पांच मंत्री जो अमरिंदर सिंह नीत सरकार का हिस्सा थे, उन्हें संभवत: हटा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि परगट सिंह, राज कुमार वेरका, गुरकीरत सिंह कोटली, संगत सिंह गिलजियान, अमरिंदर सिंह राजा वारिंग, कुलजीत नागरा और राणा गुरजीत सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।

सूत्रों के अनुसार, नयी कैबिनेट में जगह न मिलने से नाराज अमलोह सीट से विधायक रणदीप सिंह नाभा को अब मंत्रिमंडल में जगह मिलने की उम्मीद है। उन्हें कुलजीत नागरा के स्थान पर मंत्री बनाया जा सकता है, जो पहले संभावितों की सूची में थे।

हालांकि, नामों की सूची की अभी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।

बलबीर सिद्धू के पास स्वास्थ्य विभाग था और राजस्व विभाग कांगड़ के पास था। दोनों ने लोगों के कल्याण के लिए की गई कई पहलों का विवरण दिया और कहा कि उन्होंने कड़ी मेहनत की है और कोई कसर नहीं छोड़ी है।

सिद्धू ने कहा, ”मैं पार्टी आलाकमान से पूछना चाहता हूं कि मेरी गलती क्या है और मुझे क्यों बाहर रखा गया है।”

उन्होंने कहा, ”मैं सोनिया गांधी का सिपाही हूं।”

सिद्धू ने कहा, ”उन्हें मेरा इस्तीफा मांगना चाहिए था और मैं खुशी-खुशी दे देता… मेरे क्षेत्र के लोग निराश हैं। मैं अपना विभाग खोने से परेशान नहीं हूं, मुझे सत्ता का कोई लालच नहीं है। लेकिन मैं पूछना चाहता हूं कि क्या जरूरत थी हमें अपमानित करने की ?”

इस बीच, प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने सिद्धू को पत्र लिखकर राणा गुरजीत को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करने का आग्रह किया।

बालू खनन ठेकों की नीलामी में अनियमितता के आरोपों को लेकर विपक्ष की आलोचनाओं का सामना करने के बाद राणा गुरजीत सिंह को 2018 में अमरिंदर सिंह के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था। तब वह सिंचाई एवं ऊर्जा मंत्री थे।

सिद्धू को भेजे पत्र में इन नेताओं ने कहा है कि राणा गुरजीत सिंह ‘‘दोआबा के भ्रष्ट एवं दागी नेता हैं’’ तथा उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।

यह पत्र पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मोहिंदर सिंह कायपी, विधायक नवतेज सिंह चीमा, बलविंदर सिंह धालीवाल, बावा हेनरी, राज कुमार, शाम चौरसी, पवन आदिया और सुखपाल सिंह खैरा ने लिखा है।

खैरा हाल ही में आम आदमी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आए हैं।

भाषा जोहेब दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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