विशाखापत्तनम में जैव प्रौद्योगिकी, कैंसर जीवविज्ञान अनुसंधान के लिए अत्याधुनिक प्रयोगशाला स्थापित |

विशाखापत्तनम में जैव प्रौद्योगिकी, कैंसर जीवविज्ञान अनुसंधान के लिए अत्याधुनिक प्रयोगशाला स्थापित

विशाखापत्तनम में जैव प्रौद्योगिकी, कैंसर जीवविज्ञान अनुसंधान के लिए अत्याधुनिक प्रयोगशाला स्थापित

:   Modified Date:  June 12, 2023 / 04:51 PM IST, Published Date : June 12, 2023/4:51 pm IST

(कुणाल दत्त)

(तस्वीरों के साथ)

विशाखापत्तनम, 12 जून (भाषा) आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में एक प्रमुख शैक्षणिक परिसर में जैव प्रौद्योगिकी, भौतिक विज्ञान और कैंसर जीव विज्ञान जैसे क्षेत्रों में ‘अभूतपूर्व अनुसंधान’ के लिए एक अत्याधुनिक प्रयोगशाला स्थापित की गई है।

इस प्रयोगशाला को ‘मल्टीडिसिप्लिनरी यूनिट ऑफ रिसर्च ऑन ट्रांसलेशनल इनीशिएटिव्स’ (मूर्ति) नाम दिया गया है, जो गीतम विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय) के सचिव एस चंद्रशेखर ने शनिवार को ‘मूर्ति’ के द्वितीय चरण का उद्घाटन किया था। उन्होंने कहा कि इस तरह का पारिस्थितिकी तंत्र स्टार्ट-अप को सक्षम बनाएगा और गीतम स्थानीय विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों को मामूली शुल्क में प्रयोगशाला का उपयोग करने की अनुमति दे सकता है।

फार्मेसी विभाग के भूतल पर स्थित प्रयोगशाला को खोलने के बाद यहां पीटीआई-भाषा से बातचीत में उन्होंने यह भी कहा कि पिछले तीन महीने में ‘साथी’ योजना के तहत करीब 150-200 आवेदन प्राप्त हुए हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की ‘साथी’ योजना के तहत साझा और पेशेवर रूप से प्रबंधित, विज्ञान और प्रौद्योगिकी अवसंरचना सुविधा को अकादमिक, स्टार्ट-अप, निर्माण इकाइयों, उद्योगों और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं के लिए आसानी से सुलभ बनाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि केंद्र निजी विश्वविद्यालयों को ‘साथी’ कार्यक्रम के लिए आवेदन करने के वास्ते प्रोत्साहित करता है जिससे कि स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए कोई ऐसी सुविधाएं बना सके और निजी उद्योगों को इसमें कुछ पैसा लगाने के लिए प्रोत्साहित कर सके।

प्रतिष्ठित वैज्ञानिक चंद्रशेखर ने कहा, ‘‘सरकार के पास सीमित प्रयोगशालाएं हैं। हमारे पास लगभग 1,000 प्रयोगशालाएं, राष्ट्रीय संस्थान और केंद्रीय संस्थान हैं, लेकिन ये सभी अनुसंधानकर्ताओं की जरूरतों को पूरा नहीं करते हैं। आज, हम खुश हैं कि गीतम ने सर्वोत्तम विश्लेषणात्मक सुविधाओं के निर्माण की पहल की है।’’

गीतम के निदेशक (अनुसंधान और विकास) राजा पी पप्पू ने कहा कि ‘मूर्ति’ अत्याधुनिक उपकरणों से लैस है, जिसमें चार परिष्कृत उपकरण-लिक्विड क्रोमैटोग्राफी-मास स्पेक्ट्रोमेट्री (एलसीएमएस), हाई रिज़ॉल्यूशन मास स्पेक्ट्रोमेट्री (एचएसएमएस), स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (एसईएम), और 500 मेगाहर्ट्ज एनएमआर शामिल हैं।

‘मूर्ति’ के पहले चरण का उद्घाटन इस साल फरवरी में किया गया था जहां जैव प्रौद्योगिकी, सूक्ष्म जीव विज्ञान, खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी, रसायन विज्ञान, भौतिकी, पर्यावरण विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास कार्य होंगे।

गीतम के एक प्रवक्ता ने कहा कि ‘मूर्ति’ कैंसर जीव विज्ञान, सामग्री विज्ञान, संक्रामक जीव विज्ञान, पर्यावरण और वायुमंडलीय विज्ञान, रासायनिक पारिस्थितिकी, संक्रामक जीव विज्ञान, दवा खोज और अभिकलनात्मक भाषाविज्ञान अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करेगी।

महात्मा गांधी के नाम पर स्थापित गांधी प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थान (गीतम) ने विशाखापत्तनम में 1980 में एक इंजीनियरिंग संस्थान के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी। गांधीवादी एवं पूर्व लोकसभा सदस्य एमवीवीएस मूर्ति ने इसकी स्थापना की थी।

प्रयोगशाला का नाम संस्था के संस्थापक को श्रद्धांजलि है, जिनका 2018 में निधन हो गया था।

यह पूछे जाने पर कि इस तरह की प्रयोगशालाएं समाज और बड़े पैमाने पर वैज्ञानिक एवं अनुसंधान समुदाय को कैसे लाभान्वित कर सकती हैं, डीएसटी सचिव चंद्रशेखर ने कहा, ‘अगर कुछ निजी विश्वविद्यालयों ने इतना पैसा खर्च किया है, तो अब हम इसे भी प्रोत्साहित करते हैं और आंध्र विश्वविद्यालय जैसे स्थानीय विश्वविद्यालय, आसपास के छोटे कॉलेज, जेएनटीयू (जवाहरलाल नेहरू प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय), काकीनाडा — वे सभी आ सकते हैं तथा कम शुल्क पर इस सुविधा का उपयोग कर सकते हैं।’

प्रयोगशाला के खुलने को एक ‘अच्छा कदम’ करार देते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को विश्वास है कि यह पारिस्थितिकी तंत्र ‘बुनियादी ढांचे के कारण कुछ स्टार्ट-अप को यहां आने में सक्षम बनाएगा’।

विशाखापत्तनम में 100 एकड़ के परिसर में फैले गीतम की दो प्रयोगशालाओं में संस्थान के बाहर के अनुसंधानधकर्ताओं और नवप्रवर्तकों को भी आकर्षित करने की संभावना है।

चंद्रशेखर ने कहा कि गीतम यह सब हर रोज इस्तेमाल नहीं कर सकता, इसलिए यह अन्य के लिए भी खोला जाना चाहिए।

संस्थान ने कहा कि ‘मूर्ति’ की स्थापना के पीछे राष्ट्रीय और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर चर्चा करने और स्थायी समाधान के साथ गीतम के संकाय और छात्रों के लिए एक साझा मंच तैयार करना है।

इसने कहा कि ‘मूर्ति’ प्रमुख जैव-प्रौद्योगिकी उद्योगों के साथ भी साझेदारी कर रही है।

भाषा नेत्रपाल माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)