कोच्चि, 20 सितंबर (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने कहा है कि राज्य सरकार शांति भंग होने और हिंसा की आशंकाओं का हवाला देकर न्यायिक निर्देशों को लागू करने में लाचारी प्रकट नहीं कर सकती, ऐसे में जबकि उसके पास वैध आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए तंत्र है।
न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने एर्नाकुलम के वाडावुकोड में सेंट मैरी ऑर्थोडॉक्स गिरजाघर के एक समूह द्वारा धार्मिक परंपरा और उपासना के लिए पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। उच्च न्यायालय के समक्ष इस संबंध में कई मामले लंबित हैं। एक मामले में मलंकारा सीरियन ऑर्थोडॉक्स चर्च से जुड़े गिरजाघरों में धार्मिक सेवाओं के पालन के लिए सुरक्षा की मांग की गई है क्योंकि इस संबंध में ऑर्थोडॉक्स और जैकोबाइट गुट के बीच मतभेद है।
ऑर्थोडॉक्स समूह, मलंकारा ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च के 1934 के संविधान का पालन कर रहे हैं जबकि जैकोबाइट समूह का दावा है कि चर्च में उनके द्वारा अपनाए गए 2002 के नियमों का पालन होना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने 2017 में इस मुद्दे पर निर्णय दिया था कि मलंकारा ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च से संबंधित गिरजाघरों में 1934 के संविधान का पालन किया जाएगा। हालांकि, शीर्ष अदालत के फैसले को लागू करने के लिए विभिन्न गिरजाघरों के ऑर्थोडॉक्स गुट ने धार्मिक परंपरा के पालन के लिए सुरक्षा दिए जाने का अनुरोध करते हुए अदालतों का रुख किया है।
सरकार की दलीलों पर न्यायमूर्ति रामचंद्रन ने कहा, ‘‘सरकार शांति भंग होने और हिंसा की आशंकाओं का हवाला देकर न्यायिक निर्देशों को लागू करने में लाचारी प्रकट नहीं कर सकती, ऐसे में जबकि उसके पास वैध आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए तंत्र है।’’ अदालत ने 29 सितंबर तक मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। राज्य सरकार से शीर्ष अदालत के आदेश की तामील के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताने को कहा गया है।
भाषा आशीष दिलीप
दिलीप
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