नयी दिल्ली, 21 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने आम्रपाली समूह के निदेशकों एवं अन्य अधिकारियों के खिलाफ घर खरीदारों द्वारा दर्ज कराए गए 80 से अधिक आपराधिक मुकदमों की सुनवाई एक ही अदालत में स्थानांतरित करने का आदेश देने से इंकार कर दिया।
रियल एस्टेट कंपनी की जेल में बंद एक अधिकारी शिव प्रिया की ओर से दलील पेश करते हुए उनके अधिवक्ता ने अनुरोध किया कि कोयला घोटाला की तरह इस मामले में भी 85 आपराधिक मामलों की सुनवाई को सात अलग-अलग अदालतों से राष्ट्रीय राजधानी की किसी एक अदालत में स्थानांतरित किया जा सकता है। हालांकि, न्यायमूर्ति उदय उमेश, न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने इससे असहमति जताई।
पीठ ने कहा कि कोयला घोटाला में सरकारी कर्मचारी भी आरोपी थे और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में मुकदमों की एक अदालत में सुनवाई के लिए स्थानांतरित किए जाने का प्रावधान है जबकि निजी कंपनी के निदेशकों के खिलाफ जिन प्रधावनों के अंतर्गत मुकदमा दर्ज है, उसमें ये विकल्प मौजूद नहीं है।
पीठ ने कहा, ” हर शिकायतकर्ता के अपने अलग-अलग बयान होंगे और ये अदालत के लिए समस्या खड़ी कर देगा। ऐसे में संबंधित न्यायाधीश फैसला सुनाने में असमर्थ नहीं होंगे। हम ऐसा नहीं कर सकते।”
भाषा शफीक उमा
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