सरकार और राज्यपाल के बीच तनातनी जारी, अब मांगा गया विधायी कार्य का ब्योरा, सीएम ने कही ये बड़ी बात
AAP government and Governor : पंजाब में 'आप' सरकार और राज्यपाल के बीच बीते कुछ दिनों से तनातनी देखने को मिल रही है।
AAP government and Governor
नई दिल्ली : AAP government and Governor : पंजाब में ‘आप’ सरकार और राज्यपाल के बीच बीते कुछ दिनों से तनातनी देखने को मिल रही है। पंजाब के राज्यपाल कार्यालय ने 27 सितंबर के विधानसभा सत्र में होने वाले विधायी कार्य का ब्योरा मांगा है। इससे पहले राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने 22 सितंबर को विधानसभा की विशेष बैठक के लिए अनुमति नहीं दी थी। अब राज्यपाल द्वारा ब्योरा मांगने पर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि यह हद पार करने जैसा है। मान ने एक ट्वीट में कहा कि एक दिन राज्यपाल ‘‘मंजूरी देने के लिए सभी भाषण मांगेंगे।’’
Gov/Presi consent before any session of Legislature is a formality. In 75 years, no Presi/Gov ever asked list of Legislative business before calling session. Legislative business is decided by BAC and speaker. Next Gov will ask all speeches also to be approved by him.its too much
— Bhagwant Mann (@BhagwantMann) September 23, 2022
राजभवन के कदम को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी सरकार
AAP government and Governor : बता दें कि, पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने 27 सितंबर को एक सत्र बुलाने का फैसला किया है। इससे पहले सरकार ने विश्वास मत हासिल करने के लिए 22 सितंबर को विधानसभा की विशेष बैठक बुलायी थी। लेकिन राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने इसकी अनुमति नहीं दी थी। सरकार ने यह भी कहा कि वह राजभवन के कदम को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कही ये बात
AAP government and Governor : इससे पहले, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा था कि 27 सितंबर के सत्र में पराली जलाने और बिजली आपूर्ति जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। पंजाब राजभवन द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार राज्यपाल कार्यालय ने पंजाब विधानसभा के सचिव को पत्र लिखकर 27 सितंबर को प्रस्तावित सत्र में होने वाले विधायी कार्य का विवरण मांगा। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मान ने ट्वीट किया कि विधायिका के किसी भी सत्र से पहले राज्यपाल या राष्ट्रपति की सहमति एक “औपचारिकता” है। 75 सालों में, किसी भी राष्ट्रपति या राज्यपाल ने सत्र बुलाने से पहले विधायी कार्यों की सूची नहीं मांगी।

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