'महाभारत काल की खोज' को मिली बड़ी सफलता, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को खोदाई में मिले 3800 साल पुराने अवशेष | The discovery of Mahabharata period was a huge success, Archaeological Survey of India found 3800 years old remains

‘महाभारत काल की खोज’ को मिली बड़ी सफलता, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को खोदाई में मिले 3800 साल पुराने अवशेष

'महाभारत काल की खोज' को मिली बड़ी सफलता, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को खोदाई में मिले 3800 साल पुराने अवशेष

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:46 PM IST, Published Date : January 29, 2020/9:37 am IST

लखनऊ। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) को खोदाई में 3800 साल पुराने अवशेष मिले हैं, जो महाभारत काल के बताए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के सिनौली में मिले इन अवशेषों की जांच के लिए लैब भेजा गया था, जहां इनकी कार्बन डेटिंग के आधार पर 3800 साल पुराने होने की पुष्टि हुई है। यहां महाभारत काल की खोज को लेकर खोदाई की जा रही है।

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वहीं सिनौली की खोदाई में मिले एक हौद के बारे में सीक्रेट चैम्बर होने के बारे में पता चला है। इस चैम्बर का उपयोग अंतिम संस्कार के लिए शव को लाए जाने के बाद लेप आदि लगाने के लिए किया जाता था। इसके बाद इसे ताबूत में रख कर जमीन में गाड़ दिया जाता था। इस चैम्बर में दक्षिण दिशा से प्रवेश के संकेत मिले हैं।

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बागपत के सिनौली में दो साल तक लगातार खोदाई हुई है। इसमें शाही ताबूत, दो ताबूतों के साथ रथ,धनुष बाण, तलवार, युद्ध में पहना जाने वाले हेलमेट आदि ऐसी चीजें मिली हैं जो ताबूतों में रखे शवों के योद्धाओं के होने की ओर इशारा करती हैं। इन ताबूतों के साथ मिट्टी के बर्तनों में जले हुए कुछ अवशेष मिले थे। ये कितने पुराने हैं इनकी जांच के लिए एएसआइ ने इनके तीन सैंपल लखनऊ स्थित बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान को भेजे थे। जिनकी रिपोर्ट में इन अवशेषों के 3800 साल पुराने होने की बात कही गई है।

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सिनौली में एएसआइ को दूसरी बार यहां हुई खोदाई में ताबूतों से कुछ दूरी तक एक आयताकार पक्की मिट्टी का एक हौद मिला था। मगर उस समय इस हौद के बारे में जानकारी नहीं जुटाई जा सकी थी कि इसका उपयोग क्या रहा होगा। मगर लगातार जारी अध्ययन में इस हौद के सीक्रेट चैंबर होने की बात सामने आई है।

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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अतिरिक्त महानिदेशक का कहना है कि हम यह दावा नहीं कर सकते कि सिनौली में मिले साक्ष्य महाभारत के योद्धाओं के हैं। मगर हम यह जरूर कह रहे हैं जो साक्ष्य मिल रहे हैं वे उसी काल से संबंधित हैं जाे समय हम महाभारत का आंकते हैं। अब कार्बन डेटिंग में भी इस बात की पुष्टि हुई है।