इडुक्की में अदालत परिसर के निर्माण की प्रक्रिया दयनीय स्थिति को दर्शाती है: उच्च न्यायालय |

इडुक्की में अदालत परिसर के निर्माण की प्रक्रिया दयनीय स्थिति को दर्शाती है: उच्च न्यायालय

इडुक्की में अदालत परिसर के निर्माण की प्रक्रिया दयनीय स्थिति को दर्शाती है: उच्च न्यायालय

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:52 PM IST, Published Date : November 16, 2021/6:34 pm IST

कोच्चि, 16 नवंबर (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि इडुक्की जिले में एक अदालत परिसर के निर्माण के लिए 1997 में लाया गया प्रस्ताव राज्य में ”लालफीताशाही नियमों” के कारण ”दयनीय स्थिति” को दर्शाता है।

अदालत ने यह टिप्पणी राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देते हुए की कि आदेश प्राप्त होने के छह महीने के भीतर इडुक्की में अदालत परिसर के निर्माण के लिए भूमि आवंटित की जाए।

इसने यह भी आदेश दिया कि एक बार भूमि आवंटित हो जाने के बाद, सक्षम प्राधिकारी ‘यह देखने के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाएगा कि वकीलों, अधिवक्ता क्लर्कों आदि सहित वादी जनता का सपना पूरा हो और भूमि आवंटित होने की तारीख से कम से कम एक वर्ष के भीतर एक नया अदालत परिसर बन जाए।’’

न्यायमूर्ति पी वी कुन्हीकृष्णन ने यह निर्देश इडुक्की बार एसोसिएशन की उस याचिका पर दिया, जिसमें न्यायिक परिसर के निर्माण के लिए निर्धारित दो एकड़ जमीन के आवंटन को रद्द करने के आदेश को चुनौती दी गई थी।

एसोसिएशन की असेर से अधिवक्ता जॉर्ज मैथ्यू ने याचिका में कहा था कि पॉक्सो अधिनियम के तहत विशेष न्यायालय, प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत और मुंसिफ अदालत तथा इन अदालतों से जुड़े सरकारी वकीलों और अभियोजकों के संबंधित कार्यालय इडुक्की जिला मुख्यालय के बाहर स्थित हैं।

याचिका में कहा गया था कि मामले को 1997 में इडुक्की विकास प्राधिकरण (आईडीए) के समक्ष उठाया गया था।

आईडीए ने परिसर के निर्माण के लिए दो एकड़ जमीन आवंटित की थी और जमीन का कब्जा लेने सहित पूरी प्रक्रिया सितंबर 2019 तक पूरी कर ली गई थी।

याचिका में कहा गया था कि हालांकि, इस साल जून में सरकार ने भूमि के आवंटन को रद्द कर दिया और परिसर के निर्माण के संबंध में एक नए संशोधित प्रस्ताव की बात कही।

इस मामले में 2007 में आईडीए के भंग होने के बाद स्थानीय स्वशासन विभाग ने कहा था कि परिसर के लिए आवंटित जमीन का मालिकाना हक जिला पंचायत के पास होगा।

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि वह स्थानीय स्वशासन विभाग के अगस्त 2019 के आदेश को रद्द करने के सरकार के रुख का समर्थन नहीं कर सकता, जिसमें इस साल जून में जमीन का कब्जा देने का आदेश दिया गया था।

न्यायमूर्ति कुन्हीकृष्णन ने कहा, ‘..उचित न्यायिक बुनियादी ढांचे और न्याय उपलब्ध कराने के लिए उचित माहौल के बिना, न्यायपालिका कार्य नहीं कर सकती। मुझे यकीन है कि सरकार पांचवें प्रतिवादी (उच्च न्यायालय रजिस्ट्री) के साथ सहयोग करेगी और देखेगी कि इडुक्की के लोगों के सपने को पूरा करने के लिए एक नया अदालत परिसर जल्द ही पूरा हो।’

भाषा

नेत्रपाल नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)