Tribute To Lata Mangeshkar : Was rejected by saying thin voice

यादों में भारत रत्न लता मंगेशकर.. पतली आवाज कहकर हुई थी रिजेक्ट, जानें जीवन के अनसुने किस्से..

Tribute To Lata Mangeshkar : लता मंगेशकर भारत देश की सबसे अनमोल और सबसे सुरीली आवाज वाली गायिका रहीं, उनकी आवाज की दुनिया दीवानी है

:   Modified Date:  December 4, 2022 / 10:26 AM IST, Published Date : December 4, 2022/10:26 am IST

मुंबई। भारत रत्न लता मंगेशकर स्वयं भी किसी अनमोल रत्न से कम नहीं रहीं। लता जी के गले में मां सरस्वती का निवास था, जिसके फलस्वरूप उनकी वाणी सबसे मधुर रही। लता मंगेशकर भारत देश की सबसे अनमोल और सबसे सुरीली आवाज वाली गायिका रहीं, उनकी आवाज की दुनिया दीवानी है। और सदा रहेगी। कैसा रहा स्वर कोकिला का सुरीला सफर… चलिए जानते हैं..

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नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा… मेरी आवाज ही मेरी पहचान है, गर याद रहें…
– सुरों की सम्राट, हिन्दुस्तान की सबसे मशहूर आवाज, भारत रत्न जिन्हें हम लता मंगेशकर के नाम से जानते हैं, जिनका जन्म 28 सितंबर 1929 में हुआ था। लता जी के पिता का नाम पंडित दीनानाथ मंगेशकर एक क्लासिकल गायक थे। बहुत कम उम्र से ही उनके पिता ने उन्हें संगीत सिखाना शुरू कर दिया था।

संगीत क्षेत्र का चमत्कार
लता मंगेशकर संगीत क्षेत्र का कोहिनूर हीरा हैं। इसमें कोई शक नहीं है। अपने पिता से गायिकी की प्रारंभिक सीख और सतत रियाज की विरासत को लता ने खूब तराशा और मंगेशकर घऱाने का नाम अमर कर दिखाया।

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फिल्म का पहला गीत
पिता दिनानाथ मंगेशकर का स्वर्गवास होने के बाद 1942 में महज 13 साल की उम्र में ही में फिल्म किती हासल? के लिए गीत गाया।

फिल्मों के सुप्रसिद्ध गीत

लता जी ने बॉलीवुड की फिल्मों में एक से बढ़कर एक सुपरहिट गानों को अपनी आवाज दी। जिनमें से मुख्य रूप से महल, मधुमती,बीस साल बाद, मुगल-ए-आजम, बरसात, अनारकली, अमर प्रेम, आशा, गाइड, प्रेमरोग, कोरा कागाज, परिचय, सत्यम् शिवम् सुन्दरम् पाकीजा के साथ-साथ दिल तो पागल है, वीर जारा जैसी कई फिल्मों में अपनी आवाज का जादू बिखेरा।

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संगीत के शिक्षक
-पिता दीनानाथ मंगेशकर, उस्ताद अमानत अली खान, गुलाम हैदर और पंडित तुलसीदास शर्मा से संगीत की शिक्षा ली।

लता जी ने गाने का बनाया रिकॉर्ड
लता मंगेशकर ने करीब करीब हर भाषा में गाने गए हैं जो की अपने आप में एक रिकॉर्ड है। लता जी ने करीब 30,000 से भी ज्यादा गाने गाएं हैं। उन्होंने मराठी फिल्म ‘पहली मंगला गौर’ से एक्टिंग की शुरुआत की थी।

हर किसी के मन में ये सवाल उठता है कि लता जी की आवाजा इतनी सुरीली कैसे थी तो उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि वो हरी मिर्च खूब खाया करती थीं क्योंकि उससे आवाज सुरीली होती थी।

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स्कूल नहीं गई, मगर उनके नाम है कई अंतर्रराष्ट्रीय मानक उपाधियां

जी हां ये सच है किहीं कारणों से लता मंगेशकर कभी स्कूल की शिक्षा पूरी नहीं कर पाईं, लेकिन कहते हैं ना किस्मत को कौन रोक सकता है। जिस लता मंगेशकर ने स्कूल की शक्ल तक नहीं देखी थी आज उसी लता मंगेशकर के नाम न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी सहित छह विश्वविद्यालयों की मानक उपाधि है।

कई पुरस्कारों से नवाजी जा चुकी हैं लता मंगेशकर
लता मंगेशकर को अब तक कई बड़े पुरस्कार मिल चुके हैं गायिकी के क्षेत्र में लगभग उन्हें हर अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। 1969 में पद्म भूषण, 1989 में दादा साहब फाल्के अवार्ड, 1999 में पद्म विभूषण, 1972, 1974 और 1990 में राष्ट्रीय अवार्ड से भी सम्मानित किया गया और साल 2001 में ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया था, इसके अलावा भी लता मंगेश्कर को कई पुरस्कारों से नवाजा जा गया।

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पतली आवाज कहकर हुई थी रिजेक्ट
आज संगीत की दुनिया में राज करने वाली लता मंगेशकर को एक वक्त उन्हें गाने के लिए रिजेक्ट कर दिया गया था। फिल्म ‘शहीद’ के निर्माता ‘सशधर मुखर्जी’ ये कहते हुए लता मंगेशकर को रिजेक्ट कर दिया था कि उनकी आवाज पतली है। लेकिन आज देखिए उनकी आवाज ही उनकी पहचान बन गई। ये आवाज हिन्दुस्तान के दिलों में हमेशा बसी रहेगी।

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