गांधीनगर, 18 मई (भाषा) यूनेस्को के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को भारत से अनुरोध किया कि वह ‘समुद्र में डूबे सांस्कृतिक विरासत संरक्षण सम्मेलन, 2001’ की पुष्टि करे और अपनी समुद्री विरासतों जैसे डूबे हुए जहाजों, टूटे-फूटे जहाजों, पानी में डूबी अन्य कलाकृतियों तथा ऐतिहासिक स्थलों का संरक्षण करे।
यूनेस्को के निदेशक और भूटान, भारत, मालदीव और श्रीलंका के प्रतिनिधि एरिक फॉल्ट ने यह भी कहा कि भारत सरकार गुजरात के लोकनृत्य गरबा को यूनेस्को के ‘कंवेंशन फॉर द सेफगार्डिंग ऑफ द इनटेंजिबल कल्चरल हेरिटेज’ (अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने के लिए सम्मेलन’ में शामिल कराने की प्रक्रिया में है। उन्होंने इसके लिए भारत को शुभकामनाएं दीं।
‘वडनगर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए फॉल्ट ने गुजरात के लोथल में ‘राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर’ बनाने के केन्द्र के फैसले की प्रशंसा की और कहा कि भारत को इसमें और विस्तार करके 2001 के सम्मेलन की पुष्टि करनी चाहिए और अपनी समुद्री विरासतों की रक्षा करनी चाहिए।
‘वडनगर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन’ का उद्घाटन गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने किया।
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा में समुद्र में डूबी विरासत के संरक्षण और उसके नियमन आदि के लिए कानूनी रूपरेखा तैयार करने के लक्ष्य से ‘समुद्र में डूबे सांस्कृतिक विरासत संरक्षण सम्मेलन’ को नवंबर, 2001 में अपनाया गया था।
भाषा अर्पणा पवनेश नरेश
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