नयी दिल्ली, 17 अप्रैल (भाषा) विभिन्न पर्यावरण और नागरिक समाज संस्थाओं ने नागरिकों से 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने से पहले, बीते कुछ वर्षों में पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र के संबंध में भारत के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने का बुधवार को आग्रह किया।
सत्तर से अधिक पर्यावरण और नागरिक समाज संस्थाओं ने नागरिकों से स्वच्छ पर्यावरण, स्थिर जलवायु के लिए मतदान करने का आग्रह किया। इन संगठनों में नेशनल अलायंस ऑफ पीपुल्स मूवमेंट्स, पीपल फॉर अरावली, यूथ फॉर हिमालय, क्लाइमेट फ्रंट इंडिया, फ्राइडेज फॉर फ्यूचर, एलायंस फॉर रिवर्स इन इंडिया, इंडियन सोशल एक्शन फोरम, यूनाइटेड कंजर्वेशन मूवमेंट (कर्नाटक), आरे कंजर्वेशन ग्रुप, युग्मा कलेक्टिव, सेव पुणे हिल्स (महाराष्ट्र), एनडेंजर्ड हिमालय (हिमाचल प्रदेश), वन गुज्जर ट्राइबल युवा संगठन (उत्तराखंड), छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, झारखंड किसान परिषद, जन विकास शक्ति संगठन (बिहार) तथा यूपी लैंड राइट फोरम आदि शामिल हैं।
इन संस्थाओं ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘‘देश के नागरिक इस वर्ष के लोकसभा चुनाव में मतदान करने की तैयारी कर रहे हैं। हमारे लोकतंत्र के भविष्य, विशेषकर युवाओं और आने वाले वर्षों में स्वच्छ वायु और जल सुरक्षा के उनके अधिकार पर विचार करना महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारा देश अप्रत्याशित बारिश, पिघलते ग्लेशियर, बढ़ते प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के अत्यधिक प्रभावों का सामना कर रहा है।’’
बयान में नागरिकों से पिछले कुछ वर्षों में पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र के संबंध में भारत के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण कारकों जैसे ‘‘जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि या कमी, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, राष्ट्र के लोकतांत्रिक ढांचे, रोजगार सृजन, नागरिकों के अधिकार’’ आदि पर विचार करने को कहा।
इन संस्थाओं ने कहा कि नवीनतम वैज्ञानिक और पर्यावरण डेटा के आधार पर, भारत 2022 के पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (ईपीआई) में 180 देशों में सबसे नीचे है।
बयान में कहा गया है, ‘‘भारत बिगड़ती वायु गुणवत्ता, तेजी से बढ़ते ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, भूजल की कमी, सूखती और प्रदूषित नदियों और जल निकायों और हर जगह कचरे के पहाड़ों के साथ सूची में सबसे नीचे है।’’
इसमें दावा किया गया है कि देश के प्राचीन जंगलों, नदियों, पहाड़ों और रेगिस्तानों का कोयले के लिए दोहन किया जा रहा है। इन संस्थाओं ने दावा किया कि भारत जबरदस्त जल संकट का सामना कर रहा है।
स्विस वायु गुणवत्ता निगरानी निकाय, ‘आईक्यू एयर’ द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में भारत को तीसरा सबसे प्रदूषित देश घोषित किया गया था जबकि 2022 में यह आठवें स्थान पर था। दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से 42 शहर अब भारत में हैं।
इन संस्थाओं ने राजनीतिक नेताओं से सभी स्थानीय और राष्ट्रीय विकास कार्यों से संबंधित निर्णय लेने की प्रक्रिया में समुदाय और नागरिक समाज को शामिल करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि ग्राम सभा की सहमति के बिना वन और कृषि भूमि के संबंध में कोई परिवर्तन नहीं हो।
भाषा देवेंद्र मनीषा
मनीषा
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