वेंकैया नायडू : अब तक का सफर, इन 5 बातों ने बनाया उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार | Venkaiah Naidu: The journey till now, these 5 things made the vice-presidential candidate

वेंकैया नायडू : अब तक का सफर, इन 5 बातों ने बनाया उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार

वेंकैया नायडू : अब तक का सफर, इन 5 बातों ने बनाया उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:56 PM IST, Published Date : July 17, 2017/4:26 pm IST

 

एनडीए की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार घोषित किए गए वेंकैया नायडू का जन्म 1 जुलाई 1949 को आंध्रप्रदेश के नेल्लोर जिले के चावटपलेम में हुआ। उन्होंने पोलटिकल साइंस से फर्स्ट डिवीजन में ग्रेजुएशन करने के अलावा कानून की डिग्री भी ली है…। 1974 में वे आंध्र विश्वविद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुये। वेंकैया नायडू की पहचान हमेशा एक आंदोलनकारी के रूप में रही है। छात्र जीवन में उन्होने आपातकाल विरोधी आंदोलन में हिस्सा लिया और जेल गए। आपातकाल के बाद वे 1977 से 1980 तक जनता पार्टी के युवा शाखा के अध्यक्ष रहे। वर्ष 2002 से 2004 तक उन्होने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का उतरदायित्व निभाया। वे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रहे और वर्तमान में वे भारत सरकार के अंतर्गत शहरी विकास, आवास तथा शहरी गरीबी उन्‍मूलन तथा संसदीय कार्य मंत्री है। 

इसके अलावा नायडू पार्टी के कई अहम पदों पर भी रह चुके हैं, 1980 से 1983 के बीच नेशनल बीजेपी यूथ विंग के उपाध्यक्ष, आंध्र प्रदेश 1980 से 85 विधानसभा में बीजेपी के नेता प्रतिपक्ष, 1988 से 1993 के बीच वह आंध्र प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष भी बने. 1993 से 2000 तक नायडू बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव बने, 2002 में वे पहली बार बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. वे दिसंबर 2002 तक अध्यक्ष रहे. इसके बाद 2004 में दोबारा वे अध्यक्ष बने। अप्रैल 2005 के बाद वे बीजेपी के सीनियर उपाध्यक्ष बनाए गए, 2006 के बाद वेंकैया को बीजेपी पार्लियामेंट्री बोर्ड का सदस्य और केंद्रीय चुनाव समिति का सदस्य बनाया गया। 

वेंकैया नायडू आंध्रप्रदेश से हैं. एनडीए राष्ट्रपति पद के लिए पहले ही उत्तर भारत से रामनाथ कोविंद ऐलान कर चुकी है. उम्मीद है कि वह राष्ट्रपति बन भी जाएंगे. पूरे देश में अपनी जड़ें मजबूत करने की कोशिश करने का प्लान कर रही बीजेपी के लिए ये एक मौका है. अगर बीजेपी दक्षिण का दांव चलती है तो 2019 के लिए भी एक रास्ता तैयार होगा।

2. राज्यसभा का अनुभव

वेंकैया नायडू चार बार राज्यसभा के सांसद रह चुके हैं. वह राजस्थान से सांसद हैं. बीजेपी के पास राज्यसभा में नंबर की भी कमी है, अगर राज्यसभा का कोई अनुभवी नेता इस पद पर चुना जाता है तो सदन चलाने के लिए आसानी होगी. नायडू पहली बार राज्यसभा के लिए 1998 में चुने गए थे इसके बाद से ही 2004, 2010 और 2016 में वह राज्यसभा के सांसद बने. इसके अलावा भी वेंकैया नायडू कई कमेटियों का हिस्सा रह चुके हैं।

3. पार्टी का भरोसेमंद चेहरा

संघ और बीजेपी के बीच हुई बैठक के बाद खबरें थी कि बीजेपी चाहती है कि कोई ऐसा चेहरा आगे आए जो संघ और बीजेपी की विचारधारा को समझता हो. नायडू 1975 के दौरान इमरजेंसी में जेल भी गए थे. 1977 से 1980 के बीच जनता पार्टी के समय में वे यूथ विंग के प्रेसिडेंट भी रहे. 1978 में वे विधायक भी चुने गए थे।

इसके अलावा नायडू पार्टी के कई अहम पदों पर भी रह चुके हैं, 1980 से 1983 के बीच नेशनल बीजेपी यूथ विंग के उपाध्यक्ष, आंध्र प्रदेश 1980 से 85 विधानसभा में बीजेपी के नेता प्रतिपक्ष, 1988 से 1993 के बीच वह आंध्र प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष भी बने. 1993 से 2000 तक नायडू बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव बने, 2002 में वे पहली बार बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. वे दिसंबर 2002 तक अध्यक्ष रहे. इसके बाद 2004 में दोबारा वे अध्यक्ष बने।

अप्रैल 2005 के बाद वे बीजेपी के सीनियर उपाध्यक्ष बनाए गए, 2006 के बाद वेंकैया को बीजेपी पार्लियामेंट्री बोर्ड का सदस्य और केंद्रीय चुनाव समिति का सदस्य बनाया गया।

4. सरकार का बड़ा चेहरा

पार्टी के साथ-साथ वेंकैया नायडू सरकार में भी बड़ा चेहरा हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, वित्तमंत्री अरुण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बाद वेंकैया ही सबसे सीनियर मंत्री हैं. वेंकैया अटल सरकार के दौरान ग्रामीण विकास मंत्री थे, वहीं मोदी सरकार के दौरान उन्होंने शहरी विकास मंत्रालय की बागडोर संभाली. इसके अलावा नायडू ने संसदीय कार्यमंत्री, सूचना प्रसारण मंत्री का कार्यभार भी संभाला.

5. राज्यसभा में फायदा, मंत्रिमंडल में नुकसान

अगर बीजेपी नायडू का चेहरा आगे करती है तो राज्यसभा में कम संख्या होने के बावजूद भी वे स्थिति को संभालने में कारगर साबित होंगे. हालांकि मोदी के लिए उनके कैबिनेट में एक झटका होगा, क्योंकि तीन साल के कार्यकाल में कई मौकों पर नायडू पीएम मोदी के लिए विपक्ष को मुंहतोड़ जवाब देते नजर आए हैं।