उदयपुर, एक अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व सरकार्यवाह एवं अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश जोशी ‘भैयाजी’ ने शुक्रवार को कहा, “देशभक्ति सिर्फ विचार-विमर्श और बुद्धि के विलास का विषय नहीं है। यह आचरण का विषय है।”
उन्होंने कहा कि व्यक्ति के आचरण में जब देशहित का भाव निहित होगा, तब देशभक्ति के आचरण से ओतप्रोत समाज का निर्माण होगा और आज समाज में इसी बदलाव की जरूरत है।
उदयपुर के हिरण मगरी स्थित विद्या निकेतन में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भैयाजी जोशी ने कहा, “स्वयंसेवक अपने जीवन की ऊर्जा को इस बदलाव का साधन बनाएं। देशभक्ति के आचरण से प्रतिबद्ध शक्ति ही देश के उत्थान का मार्ग प्रशस्त करती है।”
उन्होंने कहा, “धर्म को सुनना-समझना आसान है, लेकिन उसे स्वीकार कर जीवन में उतारना आसान नहीं है। सुनने-समझने वाले भी कह देते हैं कि यह हमारे लिए नहीं है।”
भैयाजी जोशी ने कहा कि ऐसे लोगों को धर्म-देश की रक्षा के लिए छत्रपति शिवाजी तो चाहिए, लेकिन वे यह नहीं चाहते कि शिवाजी उन्हीं के घर में तैयार हों।
संघ की ओर से जारी एक बयान में उन्होंने स्वयंसेवकों से नवसंत्वसर पर राष्ट्र के प्रति अपने धर्म को सुनने, समझने और उसे स्वीकार कर आचरण का हिस्सा बनाने का संकल्प लेने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रधर्म को आचरण में धारण करने वाला समाज ही हमारी संस्कृति को सुरक्षित और समृद्ध रखने में सक्षम होगा।
भैयाजी जोशी ने कहा, “हिंदू चिंतन में अधिकार शब्द का कोई स्थान नहीं है। हिंदू चिंतन संस्कार, आचरण, करणीय कार्य और कर्तव्यों की बात करता है।”
उन्होंने कहा, “यह चिंतन हमें ‘मैं’ से निकालकर ‘हम’ की ओर ले जाता है। ‘मैं’ से ‘हम’ होते ही सभी की पीड़ा हमारी पीड़ा बन जाती है।”
भाषा
कुंज कुंज बिहारी पारुल
पारुल
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