नई दिल्ली: Atal Bihari Vajpayee Se Jude Kuch Rochak Kisse भारत के सबसे सफल प्रधानमंत्री में से एक अटल बिहारी वाजपेयी का आज जन्मदिन है। देशभर के नेता अटली बिहारी वाजपेयी को सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दे रहे हैं। वहीं, दिल्ली में मौजूद कुछ नेता पूर्व पीएम वाजपेयी को उनकी समाधि स्थल पर जाकर श्रद्धांजलि देंगे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म आज ही के दिन 1924 को हुआ था। देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के पास कई उपलब्धियां हैं, लेकिन उनमें से एक भारत और पाकिस्तान के बीच बेहतर संबंधों को बढ़ावा देने के लिए प्रसिद्ध दिल्ली-लाहौर बस सेवा शुरू करना भी था। तो चलिए आपको बताते हैं अटल बिहारी वाजपेयी के कुछ रोचक किस्से।
Atal Bihari Vajpayee Se Jude Kuch Rochak Kisse दरअसल साल 2014 के बाद से अटका सार्क सम्मेलन कब होगा कोई नहीं जानता है। भारत, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, मालदीव और श्रीलंका जैसे देशों से बना दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन यानी सार्क अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। साल 2016 में इसे पाकिस्तान में आयोजित होना था लेकिन उसी साल पहले पठानकोट में भारतीय वायुसेना के बेस और फिर उरी में आर्मी कैंप पर आतंकी हमला हुआ। इन हमलों की वजह से भारत ने इस सम्मेलन में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया। आज अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मतिथि के मौके पर सार्क, पाकिस्तान और वहां पर पनपे आतंकवाद का जिक्र न हो, ऐसा नामुमकिन है। साल 2002 में यानी ठीक 20 साल पहले भी यही हालात थे। उस समय पाकिस्तान के जनरल जो देश के राष्ट्रपति बन चुके थे, परवेज मुशर्रफ और वाजपेयी के सार्क में हुए हैंडशेक ने दुनिया को एक नई उम्मीद दी थी। सबको लगने लगा था कि रिश्तों पर जमी बर्फ शायद अब पिघल जाए। मगर सब भुल रहे थे कि वह पाकिस्तान था जो दो दशकों बाद भी वैसे का वैसा ही है। मुशर्रफ ने खुद उस हैंडशेक को अपने लिए काफी मुश्किल पल बताया था। आज जानिए इतिहास का वही रोचक किस्सा।
वहीं, अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़े किस्सों में भारत और पाकिस्तान के बीच बेहतर संबंधों को बढ़ावा देने के लिए प्रसिद्ध दिल्ली-लाहौर बस सेवा शुरू करना भी था। वाजपेयी ने 19 फरवरी 1999 को अपने उद्घाटन के दौरान बस से पाकिस्तान की यात्रा भी की थी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ ने उनकी अगवानी की थी। रूपा द्वारा प्रकाशित किताब ‘अटल बिहारी वाजपेयी: ए मैन फॉर ऑल सीजन्स’ का यह अंश बताता है कि कैसे पूर्व प्रधानमंत्री ने अपनी यात्रा के दौरान सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया था। पाकिस्तान में अटल के समकक्ष नवाज शरीफ का भी मानना था कि दोनों देशों को अच्छे संबंधों को बढ़ावा देना चाहिए। शरीफ ने अटल को पाकिस्तान आने का निमंत्रण भेजा।
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पाकिस्तान नई भाजपा सरकार की प्रतिबद्धता का परीक्षण करना चाहता था। अटल ने पूरे दिल से जवाब दिया और 19 फरवरी 1999 की दोपहर को बस से पंजाब में अटारी-वाघा सीमा पार की। उनके साथ 22 प्रतिष्ठित भारतीय थे, जिनमें कुलदीप नैयर जैसे पत्रकार, मल्लिका साराभाई जैसी सांस्कृतिक हस्तियां और देव आनंद और फिल्मी हस्तियां शामिल थीं। जावेद अख्तर. अटल जिस बस से गए थे, वह दिल्ली से लाहौर और वापस आने के लिए रोजाना की सुविधा बननी थी। बस सेवा लोगों से लोगों के बीच बेहतर संपर्क को बढ़ावा देने के लिए थी, जिसमें सीमा के दोनों ओर रहने वाले परिवारों को एक-दूसरे से मिलने की अनुमति देना शामिल था।
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सीमा पार करने के तुरंत बाद, जहां उनका स्वागत नवाज शरीफ ने किया, अटल ने कहा, ‘यह दक्षिण एशियाई इतिहास में एक निर्णायक क्षण है और हमें चुनौती के लिए उठना होगा।’अटल के सहयोगी सुधींद्र कुलकर्णी ने बाद में याद किया कि कैसे पाकिस्तान के सूचना मंत्री मुशहिद हुसैन ने उनसे कहा था, ‘वाजपेयी जी में इस तरह और इस समय पाकिस्तान आने की सच्ची हिम्मत है।’ इस ऐतिहासिक घटना को देखने के लिए सैकड़ों लोग सीमा पर खड़े थे।
अटल बिहारी वाजपेयी को लाहौर के किले में सम्मानित किया गया। नवाज ने उन्हें बताया कि यह वही किला है जहां शाहजहां पैदा हुए और कई सालों तक अकबर ने समय बिताया। गवर्नर हाउस में एक स्वागत समारोह में अटल ने अपनी कविता ‘अब जंग ना होने देंगे हम’ का पाठ किया। अटल जी ने पाकिस्तानी आवाम के सामने भाषण पढ़ना शुरू किया। दर्शक उनके भाषण से इतने प्रभावित हुए कि एक पल के लिए भी नजरें अटल जी से नहीं हटी। खुद नवाज शरीफ ने भी भाषण की तारीफ की। साथ ही चुटकी लेते हुए कहा, ‘वाजपेयी साहब अब तो पाकिस्तान में भी चुनाव जीत सकते हैं।’