Follow these four measures in the worship of Pitru Paksha

पितृ पक्ष की पूजा में अपनाएं ये चार उपाय, कभी नहीं पडेगा अशुभ प्रभाव

worship of Pitru Paksha : 10 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है। इस दौरान विधि-विधान पूर्वक श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 12:59 AM IST, Published Date : September 13, 2022/7:37 am IST

नई दिल्ली : worship of Pitru Paksha : 10 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है। इस दौरान विधि-विधान पूर्वक श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। कई बार जानकारी के अभाव में विधि-विधान के साथ श्राद्ध नहीं हो पाता है। ठीक से पूजा नहीं होने की स्थिति में पितृ दोष निर्मित होता है, जिसके चलते जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आज हम आपको चार ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं जिनको करने से आप पितृ पक्ष के अशुभ प्रभाव से बच सकते हैं।

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आइए जानिए इन उपायों के बारे में…

अमावस्या पर करें पितरों की पूजा

worship of Pitru Paksha : धर्म ग्रंथों के अनुसार, अमावस्या को पितरों की तिथि माना गया है यानी इस तिथि के स्वामी पितृ देवता ही है। प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन अमावस्या तिथि आती है। इस दिन पितृ देवताओं की पूजा करें। गाय के गोबर से बने कंडे को जलाकर उस पर गूग्गल के साथ घी व गुड़ की धूप दें। इससे भी पितृ प्रसन्न होते हैं पितृ दोष का अशुभ प्रभाव कम हो सकता है।

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इस स्थान में रोजाना लगाएं एक दिया

worship of Pitru Paksha : जिस स्थान पर आप पीने का पानी रखते हैं, वहां रोज शाम को शुद्ध घी का दीपक लगाएं। इस स्थान को पितरों से संबंधित माना जाता है। ये उपाय रोज करने से पितरों की कृपा आप पर हमेशा बनी रहेगी। इस बात का ध्यान रखें कि इस स्थान पर झूठे बर्तन भूलकर भी न रखें, नहीं तो पितृ दोष का अशुभ असर और बढ़ सकता है।

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जरुरतमंद लोगों को दे दान

worship of Pitru Paksha :  अमावस्या तिथि पर जरुरतमंद लोगों को पका हुआ भोजन, अनाज, कपड़े, बर्तन, जूते-चप्पल आदि का दान करें। इसके अलावा गाय को हरा चारा खिलाएं। मछलियों के लिए तालाब या नदी में आटे की गोलियां बनाकर डालें। कुत्ते को रोटी खिलाएं। इन छोटे-छोटे उपायों से पितृ दोष का अशुभ प्रभाव कम हो सकता है।

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भगवान विष्णु को जरूर चढ़ाएं तिल

worship of Pitru Paksha : धर्म ग्रंथों में तिल का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा कहा जाता है कि तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के शरीर से हुई है। इसलिए इसका उपयोग सभी शुभ कार्यों में जरूर किया जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, पितृ कर्म में तिल का उपयोग करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। पितृ दोष से बचने के लिए भगवान विष्णु की पूजा में तिल जरूर चढ़ाएं। संभव हो तो तिल का दान भी करें। इससे भी पितृ दोष का प्रभाव कम होता है।

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