Lohri 2023: लोहड़ी से जुड़ी इन 4 परंपराओं के बारे में जानकर दंग रह जाएंगे आप, जानें इस बार कब मनाई जाएगी लोहड़ी |

Lohri 2023: लोहड़ी से जुड़ी इन 4 परंपराओं के बारे में जानकर दंग रह जाएंगे आप, जानें इस बार कब मनाई जाएगी लोहड़ी

इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को होने से लोहड़ी 14 जनवरी, शनिवार को मनाई जाएगी। इस त्योहार से कई परंपराएं जुड़ी हैं, जो इसे विशेष बनाती हैं।

Edited By :   Modified Date:  January 9, 2023 / 02:21 PM IST, Published Date : January 9, 2023/2:19 pm IST

Lohri 2023: पंजाब में कई विशेष त्योहार भी मनाए जाते हैं जो देश भर से अलग होते हैं। ऐसा ही एक त्योहार है लोहड़ी (Lohri 2023)। ये त्योहार मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है। इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को होने से लोहड़ी 14 जनवरी, शनिवार को मनाई जाएगी। इस त्योहार से कई परंपराएं जुड़ी हैं, जो इसे विशेष बनाती हैं। आज हम आपको इस त्योहार से जुड़ी कुछ खास परंपराओं के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

1. लोहड़ी के गीत (lohri songs)

मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर गांव या परिवार के लोग एक स्थान पर इकट्ठा होते हैं और इस मौके पर एक-दूसरे के पैर छूकर लोहड़ी की बधाइयां देते हैं। परिवार के बुजुर्गों बच्चों की खुशहाली के लिए कामना करते हैं। इस मौके पर कुछ खास गीत गाए जाते हैं, जो लोहड़ी के इस पर्व को और अधिक विशेष बना देते हैं। इन गीतों को सुनकर हर कोई खुश हो जाता है।

2. लोहड़ी के पारंपारिक नृत्य (lohri dance)

लोहड़ी के मौके पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में वाद्ययंत्रों पर लोकनृत्य किया जाता है। पुरुष जहां भांगड़ा नृत्य करते हैं। वहीं महिलाएं गिद्दा नृत्य की प्रस्तुति देते हैं। ये पंजाब के लोकनृत्य हैं जो खास मौके जैसे लोहड़ी और वैसाखी पर ही किए जाते हैं। इन लोकनृत्य में पंजाब की विशेष शैली देखने को मिलती है।

3. अग्नि को समर्पित करते हैं तिल (Lohri traditions)

लोहड़ी के दौरान आग जलाई जाती है और तिल, मूंगफली आदि अग्नि को समर्पित किया जाता है। इस परंपरा के पीछे माना जाता है कि लोग अग्निदेव को प्रसन्न करने के लिए ये काम करते हैं। अग्नि को समर्पित करने के बाद इन्हीं चीजों को प्रसाद के रूप में बांटा और खाया भी जाता है।

4. पंजाबी योद्धा दुल्ला भट्टी को किया जाता है याद

लोहड़ी के मौके पर दुल्ला भट्टी को जरूर याद किया जाता है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, दुल्ला भट्टी एक मुस्लिम राजपूत थे, जो मुगलों के अत्याचारों का विरोध करते थे। उन्होंने कई हिंदू लड़कियों का विवाह करवाया। इसी वजह से दुल्ला भट्टी को नायक की उपाधि से सम्मानित किया जाने लगा।

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