Manmohan singh LPG Reforms budget

90 के दशक का गेम चेंजर साबित हुआ ये बजट, जिसने बदल दी थी देश की दिशा, ऐसे पटरी पर आई थी भारत की अर्थव्यवस्था

Manmohan singh LPG Reforms budget 1991 में देश की अर्थव्यवस्था को पटरा पर लाना बाला गेम चेंजर बजट, मनमोहन सिंह ने किए थे कई बदलाव

Edited By :   Modified Date:  January 31, 2023 / 08:29 PM IST, Published Date : January 31, 2023/8:29 pm IST

Manmohan singh LPG Reforms budget: 1991 में जब भारत अर्थिक संकट से जूझ रहा था तब देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की जिम्मेदारी मनमोहन सिंह को सौंपी गई थी। जिसके बाद स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे बड़ा बदलाव आया था। उस समय गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहा भारत को नई दिशा और नेतृत्व की उम्मीद थी। तो वहीं आशा की नई किरण मनमोहन सिंह का बजट बना। जो एक गेम चेंजर भी साबित हुआ। इस समय देश को बजट से कई उम्मीदें थीं कि इससे अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए बेहतर प्रयास किए जाएंगे। इस समय प्रधानमंत्री नरसिंहा राव थे और उन्होंने देश की अर्खव्यवस्था की कमान मनमोहन सिंह को सौंपी और उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया साथ ही सभी जरूरी कदम उठाने की छूट भी दी। गौरतलब है कि इससे पहले मनमोहन सिंह रिजर्व बैंक के गवर्नर रह चुके थे।

LPG कैटेगरी में किए थे बड़े बदलाव

Manmohan singh LPG Reforms budget: वहीं, आर्थिर संकट से जूझ रहे देश को और पीएम राव को वित्तमंत्री मनमोहन सिंह ने भी निराश नहीं किया और ये बजट इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा गया। ये ऐसा बजट था दिसने देश की दिशा ही मोड़ दी थी। उस समय बैलेंस ऑफ पेमेंट्स को संतुलित करने के लिए कई कदम उठाने पड़े। बजट में कई बड़े सुधार हुए और कई नई घोषणाएं हुईं। इस बजट की सबसे बड़ी खूबी यह रही है कि इसमें शार्ट टर्म के अलावा लांग टर्म ऑब्जेक्टिव्स को भी पाने की कोशिश की गई। मनमोहन सिंह ने तीन कैटेगरी में बड़े बदलाव किए। ये थे – उदारीकरण, वैश्वीकरण और निजीकरण जिसे LPG के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही सिंह ने इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट पॉलिसी में बदलाव कर भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया के लिए खोल दिया। इसी बजट की बदौलत भारत की अर्थव्यवस्था ने गति पकड़ी और देश में आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने का खाका तैयार हुआ।

2 अलग-अलग दल ने किया था प्रस्तुत

Manmohan singh LPG Reforms budget: लेकिन डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा तैयार किया गया बजट सदन में वे पूरा प्रस्तुत नहीं कर पाए। 1991 में डॉ. मनमोहन सिंह भारत के वित्तमंत्री बने थे इस दौरान चुनाव की विवशता के कारण पहली बार वे 1991-92 के लिए अंतरिम बजट ही प्रस्तुत कर सके। 1991-92 में अंतरिम और फाइनल बजट को अलग-अलग दलों के वित्तमंत्रियों ने संसद में रखा। अंतरिम बजट यशवंत सिन्हा जबकि फाइनल बजट को मनमोहन सिंह ने प्रस्तुत किया। तत्कालीन वित्तमंत्री मनमोहन सिंह ने बजट 1992-93 में अर्थव्यवस्था को मुक्त कर दिया। उन्होंने विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया और आयात कर को कम करते हुए 300 से अधिक प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक किया।

बजट में ये हुए थे बदलाव

दुनिया की कंपनियों के लिए खुला भारत का बाजार

Manmohan singh LPG Reforms budget: 1991-92 के ऐतिहासिक बजट में दुनिया भर की कंपनियों के लिए भारतीय बाजार खोल दिया गया। अब विदेशी कंपनियां भी आसानी से भारतीय बाजार में कारोबार कर सकती थीं।

बैंकों पर आरबीआई का नियंत्रण कम हुआ

Manmohan singh LPG Reforms budget: 1991-92 के बजट में बैंकों पर आरबीआई के नियंत्रण को भी कम किया गया। पहले आरबीआई ही जमा और कर्ज पर इंट्रेस्ट रेट और कर्ज की राशि तय करती थी लेकिन इस बजट में बैंकों को यह अधिकार दे दिया गया। नए निजी बैंक खोलने के नियम भी आसान किए गए। बैंकों को नए ब्रांच खोलने की छूट दी गई।

सेबी को मिली स्वायत्तता

Manmohan singh LPG Reforms budget: नरसिंहन समिति की सिफारिशों को मानते हुए सरकार ने कैपिटल मार्केट पर सीधा नियंत्रण खत्म कर दिया। कैपिटल मार्केट से जुड़े सभी अधिकार अब सेबी को दे दिए गए। सेबी की स्थापना 1988 में की गई थी लेकिन उसे स्टेटुचरी रिकग्निशन 1992 में मिली।

लाइसेंस-परमिट राज की समाप्ति

Manmohan singh LPG Reforms budget: 1991-92 के बजट में केंद्र सरकार ने लाइसेंस-परमिट राज समाप्त कर दिया। लाइसेंस-परमिट राज में किसी भी कंपनी को शुरू या विस्तार करने के लिए सरकार से इजाजत लेनी होती थी और सरकार ही यह निर्धारित करती थी कि उत्पादन कितना करना है। इसके अलावा सरकार ही उत्पादित वस्तुओं की कीमत तय करती थी। 1991-92 के बजट में इसे बाजार के हवाले छोड़ दिया गया। अब यह बाजार के आधार पर तय होने लगा कि उत्पादित वस्तुओं का मूल्य क्या होगा। केंद्र सरकार ने 18 इंडस्ट्रीज को छोड़कर शेष के लिए लाइसेंस की अनिवार्यता को खत्म कर दिया था।

निजीकरण

Manmohan singh LPG Reforms budget: इस बजट का ये बहुत बड़ा फैसला था। इसकी वजह से निजी कंपनियों का विस्तार हुआ। केंद्र सरकार ने 1991-92 के बजट में सिर्फ कुछ संवेदनशील क्षेत्रों को छोड़कर शेष क्षेत्रों में निजी कंपनियों को भी कारोबार की अनुमति दे दी। जिन क्षेत्रों में निजी कंपनियों को प्रवेश की अनुमति नहीं मिली उनमें रक्षा, परमाणु ऊर्जा और रेलवे से संबंधित थे। पहले प्रतिबंधित सेक्टर 17 थे जिसे इस बजट में घटाकर 8 कर दिया गया। अब निजी कंपनियां पहले प्रतिबंधित 17 सेक्टर में से 9 सेक्टर में कारोबार कर सकती थीं।

विनिवेश की मंजूरी

Manmohan singh LPG Reforms budget: केंद्र सरकार ने सरकारी कंपनियों को विनिवेश करने की भी मंजूरी दी। सरकारी कंपनियों को अधिक स्वतंत्रता दी गई।

आयात शुल्क में भारी गिरावट

Manmohan singh LPG Reforms budget: केंद्र सरकार ने आयात शुल्क में भारी गिरावट की। इसके तहत केंद्र ने 300 फीसदी से लेकर 150 फीसदी तक आयात शुल्क में कटौती की।

रुपये का अवमूल्यन

Manmohan singh LPG Reforms budget: इस बजट में रुपये का अवमूल्यन फैसला सबसे अधिक विवादित रहा। केंद्र सरकार ने बैलेंस ऑफ पेमेंट्स को सुधारने के लिए रुपये के अवमूल्यन का फैसला किया था। इसके तहत रुपये की कीमत 20 फीसदी तक कम की गई।

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