देखिए अभनपुर के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड, क्या कहता है जनता का मूड मीटर | Watch Video :

देखिए अभनपुर के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड, क्या कहता है जनता का मूड मीटर

देखिए अभनपुर के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड, क्या कहता है जनता का मूड मीटर

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:23 PM IST, Published Date : June 12, 2018/1:53 pm IST

रायपुर। विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड जानने आज हम पहुंचे हैं अभनपुर विधानसभा सीट। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगा अभनपुर विधानसभा क्षेत्र बेहद अहम सियासी केंद्र रहा है। पिछले तीन दशक से यहां सियासत के दो बड़े सूरमाओं के बीच मुकाबला होता रहा है और एक बार फिर इन्हीं दोनों के बीच मुकाबले के आसार बन रहे हैं। एक तरफ कांग्रेस विधायक धनेंद्र साहू है तो दूसरी तरफ बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व विधायक चंद्रशेखर साहू। चुनाव नतीजों पर गौर करें तो अभनपुर की राजनीति में हमेशा से जातिवाद पूरी तरह से हावी है। ऐसे में आगामी चुनाव में बड़ा सवाल यही रहेगा कि यहां विकास बनाम जातिवाद में किसका पलड़ा भारी होगा।

दो सियासी चेहरे हैं, जो कई सालों से अभनपुर की सियासत में राज कर रहे हैं। एक हैं कांग्रेस विधायक धनेंद्र साहू और दूसरे हैं बीजेपी के कद्दावर नेता चंद्रशेखर साहू। इसकी सबसे बड़ी वजह है यहां का जाति समीकरण।अभनपुर विधानसभा क्षेत्र में साहू मतदाता सबसे बड़ी ताकत हैं। यहां करीब 50 फीसदी साहू वोटर हैं और उनकी ताकत का अंदाजा यहां के सियासी इतिहास को पलट कर देखने पर भी जाहिर हो जाती है।

दरअसल पिछले तीन दशक में यहां सभी विधायकों के नाम के पीछे साहू जरूर जुड़ा रहा है। 1985 में बीजेपी के चंद्रशेखऱ साहू ने यहां से अपना पहला चुनाव जीता। 1990 में भी उन्होंने अपनी सफलता को बरकरार रखा और कांग्रेस के धनेंद्र साहू को मात दी लेकिन 1993 में यहां बाजी पलटी और धनेंद्र साहू ने चंद्रशेखर साहू को मात दी। 1998 में बीजेपी ने चंद्रशेखर साहू की जगह अशोक बजाज को मौका दिया है लेकिन वो धनेंद्र साहू से हार गए। 2003 में फिर धनेंद्र साहू और चंद्रशेखर साहू का मुकाबला हुआ जिसमें धनेंद्र साहू ने जीत हासिल की। 2008 में चंद्रशेखर साहू ने फिर से धनेंद्र साहू को हराया, जिसका इनाम उन्हें बीजेपी सरकार में कृषि मंत्री के पद के तौर पर मिला।

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2013 में एक बार फिर धनेंद्र साहू और चंद्रशेखर साहू के बीच मुकाबला हुआ और लेकिन इस बार धनेंद्र साहू चंद्रशेखर साहू को 8 हजार से ज्यादा वोटों से मात देकर चौथी बार विधायक बने। 2018 के सियासी महासमर में फिर उम्मीद यही जताई जा रही है कि एक बार फिर अभनपुर में इन चिर प्रतिद्वंदियों के बीच ही मुकाबला  होगा हालांकि जिस तरह के सियासी हालात बन रहे हैं मुकाबले में तीसरा कोण बनना भी तय माना जा रहा है।

अभनपुर विधानसभा क्षेत्र में मुद्दों की कोई कमी नहीं है। यहां पेयजल और सिंचाई के लिए पानी की कमी सबसे बड़ा मुद्दा है, जिसके चलते इस विधानसभा के लोगों को हर वक्त काफी परेशानी होती है। वहीं कई इलाकों में भूजल स्तर काफी नीचे है। नवापारा और अभनपुर शहर में साल भर पानी टंकी की सप्लाई होती है। वहीं युवाओं की बेरोजगारी का मुद्दा भी यहां चरम पर है। स्थानीय लोगों का साफतौर पर कहना है कि आज तक किसी भी पार्टी के विधायक ने अपने से कोई काम नहीं किया

राजधानी रायपुर से लगा अभनपुर विधानसभा क्षेत्र मूलत: कृषि प्रधान इलाका है। खेती पर निर्भर इस इलाके में चुनावी मुद्दे भी इसी के आसपास घूमते हैं। बात चाहे पानी की हो या फिर बोनस का। आने वाले चुनाव में भी सारी सियासी लड़ाई मुद्दों के इन्हीं हथियारो के साथ लड़ी जानी तय है। इन दिनों पानी की समस्या ने अभनपुर के किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीर खींच दी है। यहां के किसान गंगरेल बांध से पानी नहीं मिलने से परेशान हैं। उनको अब ये चिंता सताने लगी है कि वो अपना कर्ज कैसे चुकाएं।

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ऐसा नहीं है कि अभनपुर में पानी की कमी से खेतों मे सिंचाई पर असर पड़ रहा है। शहर में भी पीने की पानी को लेकर हंगामा मचा है। अभनपुर शहर और गोबरा-नवापारा इलाके में पानी की किल्लत बनी हुई है, जिसे लेकर लोगों में बेशुमार शिकायतें हैं।

चुनावी साल है तो मौके की नजाकत को देखते हुए अभनपुर में पानी के मुद्दे को लेकर सियासत भी तेज हो गई है। कांग्रेस विधायक जहां बीजेपी नेता और नगर पालिका के अधिकारियों को इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं तो वहीं बीजेपी इसे पूरी तरह कांग्रेस विधायक की नाकामी बता रही है। जाहिर है अभनपुर में इस बार किसानों और उनसे जुड़े मुद्दे ही  बड़े चुनावी मुद्दे बनने जा रहे हैं। इसके अलावा सड़क, पानी जैसे बुनियादी मुद्दों को लेकर भी लोग विधायक से कई सवाल पूछने वाले हैं।

आगामी विधानसभा में अब महज कुछ महीनों का वक्त बचा है। ऐसे में अभनपुर में नेताओं के बीच टिकट को लेकर तैयारियां तेज हो गई है। अब तक यहां चंद्रशेखर साहू और धनेंद्र साहू के बीच मुकाबला होता रहा है। लेकिन इस बार दोनों पार्टियों से कुछ नेता अपनी दावेदारी को मजबूत बता रहे है। वहीं जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ भी अपना प्रत्याशी मैदान में उतारने को तैयार है।

भनपुर की सियासत के दंगल में पिछले तीन दशक से साहू समाज का दबदबा रहा है। वर्तमान विधायक धनेंद्र साहू भी इसी वर्ग से आते हैं और पिछले सात चुनावों में से चार चुनाव जीत कर सीट पर सबसे ज्यादा विधायक बनने का रिकार्ड बना चुके हैं और आने वाले चुनाव में कांग्रेस से उनको टिकट मिलना लगभग तय माना जा रहा है क्योंकि फिलहाल कांग्रेस के कोई भी नेता खुलकर दावेदारी नहीं कर रहा है। धनेंद्र साहू ने भी आने वाले चुनाव के लिए क्षेत्र में अपनी तैयारियां शुरू कर दी है।

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कांग्रेस से धनेंद्र साहू का टिकट लगभग तय माना जा रहा है, लेकिन वहीं दूसरी ओर बीजेपी से तीन बार विधायक और पूर्व कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू की दावेदारी सबसे मजबूत है। टिकट बंटवारे को लेकर चंद्रशेखर साहू का कहना है कि प्रत्याशी कौन होगा, इसका फैसला पार्टी हाईकमान करेगा। हालांकि इस बार बीजेपी में चंद्रशेखर साहू के अलावा भी कई नेता अभनपुर से चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर कर चुके हैं। इसमें 1998 में चुनाव लड़ चुके अशोक बजाज का नाम सबसे आगे चल रहा है। अशोक बजाज के साथ उनके समर्थक भी क्षेत्र में सक्रिय नजर आने लगे हैं।

अभनपुर में अब तक बीजेपी-कांग्रेस के बीच ही सियासी घमासान होता रहा है, लेकिन इस बार जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ भी यहां ताल ठोक रही है। फिलहाल जेसीसीजे का उम्मीदवार यहां तय नहीं हुआ है। लेकिन चंद्रिका साहू और राधाकृष्ण टंडन की तैयारियों जोरों से चल रही है। चुनाव के पहले कांग्रेस-बीजेपी से जितनी भी सियासी कवायद हो लेकिन यदि सब कुछ ठीक रहा तो अभनपुर में एक बार फिर धनेंद्र साहू और चंद्रशेखर साहू के बीच ही भिडंत होनी तय है। लेकिन जेसीसीजे के कारण अभनपुर में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला होने की पूरी संभावना है।

वेब डेस्क, IBC24