भोपाल : Ram Van Gaman Path MP : 500 सालों बाद अयोध्या में रामलला एक बार फिर विराजमान हो रहे हैं और देखिए पूरा देश राममय हो चुका है। अयोध्या में राम मंदिर का काम तेजी से चल रहा है, तो ऐसे में एक बार फिर मध्यप्रदेश में भी श्रीराम से जुड़ी स्मृतियों को सहेजने की कवायद तेज़ हो गई है। इसी कड़ी में मोहन सरकार ने आज चित्रकूट में श्रीरामचंद्र पथगमन न्यास” की पहली बैठक ली। जिसमें चित्रकूट से लेकर अमरकंटक तक मध्यप्रदेश के कुल 360 किलो मीटर के उस पथ को संवारने की योजना बना रही है।जिस रास्ते श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ गुजरे थे। यानि अब मध्यप्रदेश में राम वनगमन पथ का काम तेजी से होगा, लेकिन बड़ा सवाल ये कि आखिर अचानक से राम वनगमन पथ पर सरकार इतना ध्यान क्यों दे रही है। जबकि इसकी शुरुआत तो अक्टूबर 2007 को शिवराज सरकार में पहली बार हुई थी। जब शिवराज सरकार ने राम पथ गमन बनाने की घोषणा की थी। साल 2022 में 300 करोड़ का बजट भी मिला लेकिन नतीजा जस का तस रहा। ऐसे में अब कांग्रेस इस प्रोजेक्ट के टाइमिंग पर सवाल उठा रही है और इसे बीजेपी का हिडन हिंदु अजेंडा बता रही है।तो क्या ’24’ का विजय रथ.. मोहन के राम पथ से ही मिलेगा।
Ram Van Gaman Path MP : रामायण में श्रीराम, सीताऔर लक्ष्मणने वनवास के समय अयोध्या से लंका तक की यात्रा की थी। इस लंबी यात्रा में वे मध्यप्रदेश के कई स्थानों पर ठहरे थे, कई ऋषि-मुनियों से मिले थे, उनके आश्रमों में रुके । श्रीराम वनवास के दौरानमप्र के जिन 23 स्थानों से गुजरे थे जहां-जहां रुके उन स्थलों को राम वन गमन पथ कहा जाता है। 7 हज़ार साल पुराने इसी राम के पथ को खोजने और संवारने के लिए मप्र की मोहन यादव सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। चित्रकूट में भगवान कामतानाथ मंदिर और कामद गिरि पर्वत के 5 किलोमीटर परिक्रमा पथ, बृहस्पति कुंड और पवित्र मंदाकिनी नदी के रामघाट, पयस्वनी नदी के संगम पर घाटों के विकास पर आज बैठक में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने चर्चा की है।
यह वही स्थान है जहां भगवान श्रीराम ने उनके पिता राजा दशरथ का पिंडदान किया था। भगवान श्रीराम ने वनवास के 14 वर्ष में से 11 साल 11 महीने 11 दिन मंदाकिनी नदी के किनारे चित्रकूट में गुजारे थे। चित्रकूट में वाल्मीकि आश्रम, मांडव्य आश्रम, भरत कूप हैं। चित्रकूट में श्रीराम भ्रमण के कई प्रमाणिक स्थान हैं। रामचरित मानस में इस बात का वर्णनहै कि यहां राम को मनाने के लिए भरत अपनी सेना के साथ पहुंचे थे। यहीं से वह राम की चरण पादुका लेकर लौटे। यहां राम साढ़े ग्यारह साल रहे। इसके बाद सतना, पन्ना, शहडोल, जबलपुर, विदिशा के वन क्षेत्रों से होते हुए वह दंडकारण्य चले गए। जबलपुर, शहडोल होते हुए राम अमरकंटक भी गए थे। जहां से वे छत्तीसगढ़ चले गए थे। चित्रकूट से अमरकंटक के बीच 10 स्थानों की विकास योजनाओं में तीर्थयात्रियों के लिए धर्मशालाओं का निर्माण करना भी विकासकामों में शामिल है।
Ram Van Gaman Path MP : मप्र में श्रीराम गमन पथका सिलसिला यहां से शुरू हुआ। 1 अक्टूबर 2007 को शिवराज सरकार में पहली बार राम पथ गमन बनाने की घोषणा कीगई थी। मप्र में राम वनगमन पथ का संस्कृति विभाग द्वारा गठित समिति ने मार्च 2009 से दिसंबर 2010 तक दो चरणों में सर्वे किया। राम वन गमन पथ के आसपासके इलाकों का योजना के तहत विकास किया जाना है। बीते 14 सालों में महज पथ की पहचान करने के बाद न्यास को मंजूरी देकर उसका गठन ही किया गया। न्यास का अध्यक्ष मुख्यमंत्री को बनाया गया। न्यास का काम केंद्र सरकार की तरफ से प्रदेश में चिह्नित श्री राम वन गमन पथ के 23 स्थलों का विकास करना है। संस्कृति, पर्यटन, पंचायत, नगरीय प्रशासन, लोक निर्माण विभाग सहित अन्य विभाग को श्रीराम वन गमन पथ का विकास करना है। 22 महीने तक चले इस सर्वे के बाद पहली बार सरकार के सामने श्रीराम वनगमन पथ की तस्वीर साफ हुई। मप्र में वनवास काल के दौरान भगवान श्रीराम मप्र में जिन जगहों से गुजरे, उसे श्रीराम वन गमन पथ कहा जाता है। -मप्र में पहली बार इस बारे में 2004 में चर्चा शुरू हुई।
इसके बाद 2007 और 2008 में इस काम के लिए 11 सदस्यों की एक समिति गठित की गई। 15 महीने की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में इसमें तेजी आई और 22 करोड़का बजट आवंटित हुए,मगर काम आगे नहीं बढ़ा। शिवराज सिंह चौहान सरकारने 2022 में 300 करोड़ का बजट स्वीकृत किया, जिससे मूलभूत सुविधाओं का काम शुरू हो सके,लेकिन बात जस की तस रही। -सर्वे के आधार पर भगवान श्रीराम के 14 सालके वनवास के दौरान वे जिन रास्तों से गुजरे, उनमें दस जिलों सतना, विदिशा, होशंगाबाद, जबलपुर, कटनी, शहडोल, अनूपपुर, पन्ना, उमरिया,रीवा काचयन राम वन गमन पथ का निर्धारण किया गया है। चित्रकूट में स्फटिक शिला, गुप्त गोदावरी, अत्रि आश्रम, ऋषि शरभंग आश्रम, अश्वमुनि आश्रम, सुतीक्ष्ण आश्रम, सिद्धा पहाड़, सीता रसोई, रामसेल, राम जानकी मंदिर, बृहस्पति कुंड, अगस्त्य आश्रम, शिव मंदिर, श्रीराम मंदिर, मार्कंडय आश्रम, दशरथ घाट,सीतामढ़ी शामिल है। विदिशा में चरण तीर्थ थे, यहां से श्रीराम दंडकारण्य वन में गए थे,शोध समिति ने रिपोर्ट 2011 में सरकार को सौंपी जिस पर कोई काम नहीं हुआ।
Ram Van Gaman Path MP : वनवास के बाद भले ही रामकी अयोध्या में 14 साल में ही वापसी हो गई हो, लेकिन अब 500 सालों के संघर्ष के बाद राम अपनी जन्मस्थली पर विराजित हो रहे हैंऔर यही वजह है कि बीजेपी इस पूरे आयोजन को दिवाली के उत्सव की तरह मना रही है।श्रीराम गमन पथ की खोज को योजना को जहां बीजेपी इसे 150 करोड़ हिंदुओं की आस्था बता रही है। वहीं कांग्रेस इसेबीजेपी का चुनावी हिडन हिंदू एजेंडा करार दे रही है।
14 साल पहले शिवराज सरकार में रामवनगमन पथ की घोषणा हुई थी लेकिन अब तक अमल नहीं हुआ। अब जब अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है तो मोहन सरकार पुरानी घोषणा और चुनावी वादे पर अमल करती दिखाई दे रही है। जाहिर है चार महीने बाद लोकसभा चुनाव है चुनौती डॉ मोहन यादव के सामने है कैसे राम के सूबे में माहौल बनाया जाए।
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