MP Khajuraho G20 Summit : खजुराहो। मध्यप्रदेश के खजुराहों में होने वाले जी20 सम्मेलन को लेकर छतरपुर के जिला कलेक्ट्रेट ने आज से 25 फरवरी तक धारा 144 लगा दी है। धारा 144 लगने के बाद तय कानूनी नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी और दंडात्मक कार्रवाई भी जाएगी। इसके अलावा खजुराहो के आस पास तीन किमी तक क्षेत्र को रेड जोन और नो फ्लाइंग जोन घोषित किया गया है। बता दूं कि जी20 सम्मेलन के शामिल होने के लिए विदेशी मेहमानों का आगमन शुरू हो चुका है।
MP Khajuraho G20 Summit : बुंदलखण्ड के नृत्य पूरे प्रदेश ही नहीं देश में मशहूर है। जिसे राजकीय नृत्य का दर्जा भी दिया गया है। बुंदेलखंड में ढिमरयाई, राई, दिवारी और तमूरा गायनों का प्रचलन अधिक तौर पर देखा जाता है। जो बुंदेलखंड को एक नई पहचान देते है। ‘राई’ प्रदेश का राजकीय नृत्य भी है। जानकारी के लिए बता दूं कि ‘राई’ का पहले लोग गलत भावना से देखते और परखते थे परन्तु समय के साथ जब बुंदेलखंड में ‘राई’ ने अपनी एक अलग और नई पहचान बनाई तो धीरे धीरे यह पूरे प्रदेश में विख्यात हो गई।
MP Khajuraho G20 Summit : खजुराहो बुंदेलखंड का ही एक अंश है। जिसे दुनियाभर के धरोहरों में शामिल किया गया है। खजुराहो के मंदिर पूरी दुनिया में अपनी शैली और कलाकृति के लिए जाने जाते है। खजुराहो को दुनिया में और नामी पहचान मिले इसलिए प्रदेश सरकार ने इस बार जी20 सम्मेलन का आयोजन खजुराहो में किया है। विदेशी मेहमानों का आगमन प्रारंभ हो गया है जिसे बुंदेलखंड का सुप्रिसिद्ध नृत्य ‘राई’ और ढिमरयाई धुन से विदेशी मेहमानों का स्वागत किया गया है जिसका वीडियो काफी वायरल हो रहा है।
बुंदेलखण्ड के इस प्रख्यात नृत्य की जब धुन कलाकारों ने पारंपरिक वेशभूषा में बजाना शुरू की जब विदेशी मेहमान भी अपने कदमों को रोक नहीं पाए और डांस करने पर महबूर हो गए। बुंदेलखंड की ‘राई’ जब कलाकारों ने गाई और धुन बजाई तो महिला और पुरूष विदेशी मेहमानों ने एयरपोर्ट पर ही नृत्य करना शुरू कर दिया।
चमकीले गुलाबी, पीले, हरे और नीले रंग की पारंपरिक बुंदेली पोशाक पहने हुए, झांसी की महिलाएं तबला, हारमोनियम, नगड़िया, मंजीरा, रामतूला और लोकगीतों की थाप पर थिरकती हैं और मुस्कुरा कर शरमाते हुऐ अपने साथी की तरफ देखती हैं। बुंदेली राई के नाम से जाना जाने वाले इस नृत्य को गाँवों में खुशी का जश्न मनाने के लिए महिलाएं और पुरुष करते हैं। बुंदेली राई बुंदेलखंड का पारंपरिक लोक नृत्य है। राई का मतलब सरसों होता है। जिस तरीके से तश्तरी में रखे सरसों के दाने घूमते हैं, उसी तरह नर्तक भी नगाड़िया, ढोलक, झीका और रामतूला के पारंपरिक वाद्ययंत्रों की थाप पर नाचते हैं।
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