After increasing DA pensioner are not happy: भोपाल। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने अपने कर्मचारियों का 3 फीसदी महंगाई भत्ता बढ़ा दिया है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार की सहमति से पौने पांच लाख पेंशनर की महंगाई राहत भी 3 फीसदी बढ़ाने की बात कही है। लेकिन इससे पेंशनर खुश नहीं है क्योकिं उन्हें फिर दो राज्यों के बिच सहमति के लिए झूलना बढ़ेगा और 21 साल से यह झूलते आ रहे है। एमपी सरकार के पिछले प्रस्ताव पर भी छत्तीसगढ़ सरकार ने सिर्फ पांच फीसदी महंगाई भत्ता बढ़ाने की घोषणा की थी अब एक बार फिर 3 फीसदी महंगाई भत्ता देने का प्रस्ताव एमपी सरकार छत्तीसगढ़ को भेजेगी।
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After increasing DA pensioner are not happy: दरअसल 21 साल बाद भी मध्यप्रदेश के पेंशनरों को पूरा महंगाई भत्ता नहीं मिल रहा है। एमपी के पेंशनरों को करीब दो साल से महंगाई भत्ता नहीं मिला है। दरअसल वर्ष 2000 में एमपी से अलग होकर छत्तीसगढ़ बना, कर्मचारियों का बंटवारा 74 और 26 फीसदी के हिसाब से हुआ। तय हुआ कि जिस दिन से छग बना उसके पहले के पेंशन के मामलों में 74 फीसदी राशि मध्यप्रदेश और 26 फीसदी छत्तीसगढ़ मिलाएगा। वहीं, मध्यप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 पेंशनर्स के महंगाई राहत बढ़ाए जाने में आड़े आ रही है।
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After increasing DA pensioner are not happy: केंद्र सरकार के गृह विभाग के द्वारा जारी इस अधिनियम के तहत दोनों राज्यों की सरकार यह कहती रही है कि जब तक दोनों राज्य पेंशनर्स के महंगाई राहत बढ़ाने पर सहमत नहीं होते तब तक बढ़ी हुई महंगाई राहत नहीं दी जाएंगी। इसी के चलते 21 सालों से पेंशनर्स के महंगाई राहत के मामले छह महीने से साल भर लटकते रहे हैं। वर्तमान में मध्यप्रदेश सरकार के नियमित कर्मचारियों को 34 फीसदी महंगाई भत्ता मिल रहा है। जबकि मप्र के पेंशनर्स को 17 फीसदी मंहगाई भत्ता मिल रहा है। मप्र के पेंशनर्स का महंगाई भत्ता नियमित कर्मचारियों के बराबर 34 फीसदी होना चाहिए। लेकिन पेंशनर्स 17 फीसदी पीछे चल रहे है।
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After increasing DA pensioner are not happy: मध्यप्रदेश के पेंशनरों ने नाराजगी दिखाते हुए धारा 49 को समाप्त करने की मांग की है। पेंशनर एसोसिएशन ने आंदोलन की चेतावनी दी है। बीजेपी का कहना है कि सरकार संवेदनशीलता के साथ कर्मचारी और पेंशनर के हितों में निर्णय कर रही है। कांग्रेस को छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार से कहना चाहिए की वह सहमति दे। वहीं कांग्रेस मप्र सरकार पर सवाल खड़े कर पेंशनर की मांग को जायज बताते हुए सरकार पर सवाल खड़े कर रही है।
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