‘हनुमान चालीसा’ विवाद: धार्मिक भावनाओं को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने की आवश्यकता नहीं है: पवार |

‘हनुमान चालीसा’ विवाद: धार्मिक भावनाओं को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने की आवश्यकता नहीं है: पवार

‘हनुमान चालीसा’ विवाद: धार्मिक भावनाओं को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने की आवश्यकता नहीं है: पवार

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:22 PM IST, Published Date : April 25, 2022/5:04 pm IST

पुणे, 25 अप्रैल (भाषा) महाराष्ट्र में ‘हनुमान चालीसा’ के पाठ को लेकर राजनीतिक विवाद के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को कहा कि सार्वजनिक रूप से धार्मिक भावनाओं को प्रदर्शित करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

पवार ने साथ ही राज्य में विपक्षी दल भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि सत्ता गंवाने के बाद कुछ लोग चिंतित हो रहे हैं।

उन्होंने एक कार्यक्रम से इतर पत्रकारों से कहा कि यह अच्छी बात है कि राज्य सरकार ने धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाने का फैसला किया है और यदि बैठक से कुछ अच्छा निकलता है तो वह बहुत खुश होंगे।

‘हनुमान चालीसा’ के पाठ को लेकर विवाद जैसे मुद्दों के मद्देनजर राज्य में व्याप्त माहौल के बारे में पूछे जाने पर, पवार ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति की अपने धर्म के बारे में अपनी भावनाएं होती हैं, लेकिन यह अच्छी बात है कि व्यक्ति उस भावना को अपने दिल और अपने घर में रखे। इसे (सार्वजनिक रूप से) प्रदर्शित करने की कोई आवश्यकता नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर समुदायों या वर्गों के खिलाफ नफरत फैलाने की कोशिश की जाती है, तो समाज में प्रतिकूल प्रभाव देखा जाएगा। महाराष्ट्र ने कभी इस तरह की स्थिति का अनुभव नहीं किया। हाल में, ऐसी चीजें हो रही हैं। मैं इस पर हैरान हूं।’’

पवार ने कहा कि यदि कोई धार्मिक कार्यक्रम करना चाहता है तो वह अपने घर में भी कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन, अगर आप मेरे दरवाजे पर उस धार्मिक कार्यक्रम को आयोजित करने का फैसला करते हैं, तो मुझ पर विश्वास रखने वाले लोग चिंतित हो सकते हैं। दुर्भाग्य से, कुछ लोग इस तरह का माहौल बना रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि उनके जैसे लोग हमेशा राज्य में लोगों के बीच नफरत और मतभेदों को रोकने और दोस्ती की भावना रखने की पुरानी परंपरा को बहाल करने का प्रयास करते हैं।

विपक्षी नेताओं के इस बयान के बारे में पूछे जाने पर कि महाराष्ट्र में मौजूदा स्थिति में राष्ट्रपति शासन की आवश्यकता है, पवार ने कहा कि यह सच है कि सत्ता से बाहर होने के बाद कुछ लोग चिंतित हो रहे हैं।

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह कोई नई बात नहीं है। हर कोई मेरे जैसा नहीं है। वर्ष 1980 में हमारी (राज्य) सरकार बर्खास्त होने के बाद, मुझे देर रात साढ़े 12 बजे इसके बारे में बताया गया था। मैंने तुरंत अपने दोस्तों के साथ (मुख्यमंत्री) आवास खाली कर दिया और अगले दिन किसी अन्य स्थान पर चले गए। हम सभी वानखेड़े स्टेडियम में एक क्रिकेट मैच देखने गए और पूरे दिन का आनंद लिया था।’’

राकांपा प्रमुख ने कहा कि सत्ता आती है और जाती है, चिंता करने की जरूरत नहीं है।

वर्ष 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद, शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद साझा करने के मुद्दे पर लंबे समय से सहयोगी रहे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नाता तोड़ लिया था। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने राज्य में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार बनाने के लिए राकांपा और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था।

मुंबई में हुई कुछ घटनाओं को लेकर भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल के केंद्रीय गृह सचिव से मिलने के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा कि यह स्पष्ट है कि कुछ ‘‘चिंतित लोग’’ जाएंगे और अपने विकल्प तलाशेंगे, लेकिन इस संबंध में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है।

राज्य की राजधानी में हाल में धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल और ‘हनुमान चालीसा’ के पाठ को लेकर राजनीतिक विवाद देखा गया था।

पवार ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति शासन लगाने की धमकी हमेशा दी जाती है, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकलता है। अगर मध्यावधि चुनाव की स्थिति पैदा होती है, तो हाल में कोल्हापुर उपचुनाव परिणाम से पता चलता है कि किस तरह का परिणाम होगा।’’

महाराष्ट्र की कोल्हापुर उत्तर विधानसभा सीट के उपचुनाव में हाल में कांग्रेस ने भाजपा को हराकर सीट बरकरार रखी थी।

पवार ने यह भी कहा कि हर किसी को नीतिगत मोर्चे पर मुख्यमंत्री की आलोचना करने का अधिकार है, लेकिन मुख्यमंत्री पर व्यक्तिगत हमला ठीक नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री एक संस्था है। जब मैं मुख्यमंत्री के पद को देखता हूं, तो मैं उद्धव ठाकरे को नहीं देखता, यह एक संस्था है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए। लेकिन, कुछ लोगों ने इसका सम्मान नहीं करने का रूख अपनाया है।’’

महाराष्ट्र में बिजली की समस्या पर पवार ने कहा कि देश में गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे कई राज्य बिजली संकट का सामना कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इसके दो कारण हैं। पहला बढ़ते तापमान के कारण उच्च बिजली की मांग है और दूसरा कच्चे माल की कमी है। राज्य सरकार और केंद्र क्या कह रहे हैं, इसके विवरण में मैं नहीं जाना चाहता। मुझे लगता है, हर कोई एक साथ बैठकर बिजली संकट का समाधान खोजना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य की अर्थव्यवस्था पर इसका प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।’’

पवार ने कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे संकट का समाधान खोजने के लिए प्रयास कर रहे हैं और स्थिति में सुधार होगा।

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)