Renaming of Railway Stations: लोकसभा चुनाव से पहले सरकार का अहम फैसला, बदले जाएंगे अंग्रेजों के जमाने के 8 रेलवे स्टेशनों के नाम... |Renaming of Railway Stations

Renaming of Railway Stations: लोकसभा चुनाव से पहले सरकार का अहम फैसला, बदले जाएंगे अंग्रेजों के जमाने के 8 रेलवे स्टेशनों के नाम…

Renaming of Railway Stations: लोकसभा चुनाव से पहले सरकार का अहम फैसला, बदले जाएंगे अंग्रेजों के जमाने के रेलवे स्टेशनों के नाम...

Edited By :   Modified Date:  March 13, 2024 / 09:11 PM IST, Published Date : March 13, 2024/8:55 pm IST

Renaming of Railway Stations: मुंबई। महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने मुंबई के आठ उपनगरीय रेलवे स्टेशनों के ब्रिटिशकालीन नाम बदलने के प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया। इसके अलावा मंत्रिमंडल ने एक नयी मराठी भाषा नीति को भी मंजूरी दी, जिसका लक्ष्य इसे अगले 25 वर्षों में ज्ञान अर्जन और रोजगार की भाषा के रूप में स्थापित करना है। जिन आठ स्टेशन के नाम बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी है, वे मध्य रेलवे और पश्चिमी रेलवे द्वारा संचालित मुंबई के उपनगरीय नेटवर्क की पश्चिमी, मध्य और हार्बर लाइन पर स्थित हैं।

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प्रस्ताव के अनुसार, करी रोड स्टेशन का नाम बदलकर लालबाग, सैंडहर्स्ट रोड स्टेशन का नाम डोंगरी रखा जाएगा, जबकि मरीन लाइन्स स्टेशन का नाम बदलकर मुंबादेवी, चर्नी रोड का नाम गिरगांव, कॉटन ग्रीन स्टेशन का कालाचौकी, डॉकयार्ड रोड स्टेशन का मझगांव और किंग्स सर्कल का नाम तीर्थंकर पार्श्वनाथ किया जाएगा। सैंडहर्स्ट रोड स्टेशन को दो स्टेशन के रूप में माना गया है क्योंकि यह सेंट्रल और हार्बर दोनों लाइन से जुड़ा है। विधायी मंजूरी के बाद यह प्रस्ताव केंद्रीय गृह मंत्रालय और रेल मंत्रालय को भेजा जाएगा।

राज्य सरकार पहले ही मुंबई सेंट्रल स्टेशन का नाम बदलकर नाना जगन्नाथ शंकरसेठ स्टेशन करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज चुकी है। केंद्र सरकार ने 2017 में शहर के एलफिंस्टन रोड उपनगरीय स्टेशन का नाम बदलकर पास के प्रभादेवी मंदिर के नाम पर प्रभादेवी स्टेशन कर दिया था। लॉर्ड एलफिंस्टन, 1853 से 1860 तक बॉम्बे प्रेसीडेंसी के गवर्नर रहे थे।

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Renaming of Railway Stations: नयी मराठी भाषा नीति का उद्देश्य चैटजीपीटी जैसी आधुनिक तकनीक का उपयोग करके मराठी की विभिन्न बोलियों के संरक्षण और प्रचार के लिए कदम उठाना भी है। नीति का उद्देश्य न केवल शिक्षा के लिए, बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी के लिए भी मराठी को बढ़ावा देना, संरक्षित करना और विकसित करना है। इसका उद्देश्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और चिकित्सा सहित विभिन्न धाराओं में उच्च शिक्षा को मराठी भाषा में उपलब्ध कराकर मराठी को ज्ञान अर्जन और रोजगार की भाषा के रूप में स्थापित करना है।

 

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