पीएनबी धोखाधड़ी मामले में नीरव मोदी की कंपनी का अधिकारी सीबीआई हिरासत में |

पीएनबी धोखाधड़ी मामले में नीरव मोदी की कंपनी का अधिकारी सीबीआई हिरासत में

पीएनबी धोखाधड़ी मामले में नीरव मोदी की कंपनी का अधिकारी सीबीआई हिरासत में

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:00 PM IST, Published Date : April 12, 2022/7:37 pm IST

मुंबई, 12 अप्रैल (भाषा) एक विशेष अदालत ने 7,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी मामले में मंगलवार को भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के सहयोगी सुभाष शंकर परब को 26 अप्रैल तक केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की हिरासत में भेज दिया।

सीबीआई के अधिकारियों के अनुसार इससे पहले परब को मिस्र के काहिरा से भारत लाया गया। वह नीरव मोदी से जुड़ी एक फर्म फायरस्टार डायमंड में उप महाप्रबंधक (वित्त) था।

परब को एक वांछित आरोपी के रूप में दिखाया गया क्योंकि वह कथित धोखाधड़ी के सामने आने से ठीक पहले देश छोड़कर चला गया था। मंगलवार सुबह भारत पहुंचने के बाद, परब को विशेष सीबीआई न्यायाधीश वी सी बर्दे के समक्ष पेश किया गया।

केंद्रीय जांच एजेंसी का प्रतिनिधित्व कर रहे विशेष अभियोजक ए लिमोसिन ने 14 दिनों के लिए उसकी हिरासत देने का अनुरोध किया।

सीबीआई ने अदालत को बताया कि परब अप्रैल 2015 से फायरस्टार में उप महाप्रबंधक था और तीन आरोपी कंपनियों, डायमंड्स आर यूएस, स्टेलर डायमंड और सोलर एक्सपोर्ट्स की बैंकिंग से संबंधित गतिविधियों को देखता था।

सीबीआई ने कहा कि उसने बैंकिंग संचालन विभाग का नेतृत्व किया, जिसने उनके निर्देश पर सहायक दस्तावेजों के साथ लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) के लिए आवेदन तैयार किए। परब को पता था कि इन तीन कंपनियों के पास पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के साथ कोई क्रेडिट सुविधा नहीं है और वे एलओयू जारी करने के लिए 100 प्रतिशत नकद मार्जिन प्रदान नहीं करने वाले।

केंद्रीय जांच एजेंसी ने यह भी दावा किया कि परब नीरव मोदी द्वारा बनाई गई हांगकांग की छह और दुबई की 13 छद्म कंपनियों के वित्तीय मामलों को संभालने में सहायक था। सीबीआई ने कहा कि फर्जी एलओयू जारी करने और जाली कंपनियों के माध्यम से लेनदेन के कारण पीएनबी को 6,498.20 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

परब की ओर से पेश वकील रेशमा मुथा ने दलील दी कि वह केवल नीरव मोदी की कंपनी का कर्मचारी था, एलओयू पर हस्ताक्षर करने के लिए अधिकृत नहीं था और उसकी भूमिका केवल परिचालन दस्तावेज तैयार करने और उन्हें बैंक को देने की थी।

अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आरोपी को 26 अप्रैल तक सीबीआई की हिरासत में भेज दिया।

नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी पर मुंबई में पीएनबी की ब्रैडी हाउस शाखा में इसके अधिकारियों को रिश्वत देकर लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) और विदेशी लेटर ऑफ क्रेडिट (एफएलसी) का उपयोग करके बैंक को 13,000 करोड़ रुपये का चूना लगाने का आरोप है।

अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई की एक टीम 50 वर्षीय परब को वापस लाने के लिए मिस्र की राजधानी गई थी, जिसे कथित तौर पर भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव ने काहिरा के एक उपनगर में अवैध रूप से बंधक बनाकर रखा था।

अधिकारियों ने कहा कि परब को पीएनबी को 7,000 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी करने के लिए सौंपे गए ‘लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग’ का एक प्रमुख गवाह माना जाता है। उन्होंने कहा कि भारत ने परब पर नजर रखने और उसे वापस लाने के लिए उसके खिलाफ ‘इंटरपोल रेड नोटिस’ जारी करवाया था।

अधिकारियों ने कहा कि भारतीय प्राधिकारों को सूचना मिली थी कि नीरव मोदी के लोग परब को दुबई से मिस्र ले गए थे और भारत ने उसकी सुरक्षा के लिए चिंता व्यक्त की थी। लंबी कूटनीतिक और कानूनी प्रक्रिया के बाद सीबीआई उसका प्रत्यर्पण कराने में कामयाब हुई।

भाषा आशीष नरेश

नरेश

 

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