महज इस आधार पर किसी को हिरासत में नहीं रखा जा सकता कि वह सहयोग नहीं कर रहा है: अदालत |

महज इस आधार पर किसी को हिरासत में नहीं रखा जा सकता कि वह सहयोग नहीं कर रहा है: अदालत

महज इस आधार पर किसी को हिरासत में नहीं रखा जा सकता कि वह सहयोग नहीं कर रहा है: अदालत

:   Modified Date:  May 14, 2024 / 08:57 PM IST, Published Date : May 14, 2024/8:57 pm IST

मुंबई, 14 मई (भाषा) धन शोधन के एक मामले में एक व्यक्ति के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जारी किये गये ‘लुक आउट सर्कुलर (एलओसी)’ को रद्द करते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि किसी व्यक्ति को महज इस आधार पर हिरासत में नहीं लिया जा सकता है कि वह (जांच में) कथित रूप से सहयोग नहीं कर रहा है।

धनशोधन का यह मामला गुजर चुके मादक पदार्थ तस्कर इकबाल मेमन उर्फ इकबाल मिर्ची से जुड़ा है।

संजय कुमार अग्रवाल नाम के व्यक्ति ने उसके खिलाफ जनवरी, 2021 में ईडी द्वारा जारी किये गये लुक आउट सर्कुलर को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। अग्रवाल ने कहा कि वह 1995 से बहरीन एवं दुबई में काम कर रहे हैं और अब एलओसी के कारण उन्हें भारत में हिरासत में ले लिया गया है एवं वह बेरोजगार हो गये हैं।

अग्रवाल को 2020 में ईडी ने पूछताछ के लिए तलब किया था। अग्रवाल ने दावा किया कि उन्हें इस मामले में बतौर आरोपी आरोपित भी नहीं किया गया है।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की पीठ ने 17 अप्रैल को अपने फैसले में कहा कि ईडी 2019 से इस मामले की जांच कर रही है और उसके सामने अग्रवाल के पेश होने के बावजूद उसे उनके खिलाफ कोई सामग्री नहीं मिली है।

पीठ ने कहा कि ऐसे में उन्हें हिरासत में और रखना उपयुक्त नहीं होगा। उच्च न्यायालय के इस आदेश की प्रति मंगलवार को उपलब्ध करायी गयी।

पीठ ने कहा, ‘‘ याचिकाकर्ता को दिसंबर, 2020 से ही आजीविका से वंचित कर दिया गया है। वह दो दशक से अधिक समय से पश्चिम एशिया में काम रहे रहे हैं।’’

ईडी ने यह कहते हुए अग्रवाल की अर्जी का विरोध किया कि वैसे इस मामले में उन्हें नामजद नहीं किया गया है, लेकिन वह जांच में सहयोग भी नहीं कर रहे हैं।

पीठ ने कहा कि वह इस दलील को स्वीकार नहीं कर सकती है।

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘ किसी व्यक्ति को महज इस आधार पर हिरासत में नहीं लिया जा सकता है कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रहा है। असहयोग की वजह यह भी हो सकती है कि व्यक्ति के पास संबंधित मामले के संबंध में जानकारी न हो।’’

अर्जी के मुताबिक, अग्रवाल 1995 से बहरीन में काम कर रहे थे और 2012 में वह समूह वित्तीय नियंत्रक के रूप में ‘इंपेरियल सूट्स होटल’ (जिसका कथित रूपसे मालिक मिर्ची था) से जुड़े थे।

अग्रवाल ने दावा किया कि उन्हें नहीं पता था कि उक्त होटल का मालिक कौन है, वह तो बस आसिफ मेमन और जुनैद मेमन (मिर्ची के बेटों स) से निर्देश लिया करते थे।

उन्होंने दावा किया कि उन्हें इकबाल मेमन उर्फ मिर्ची या उनके परिवार के किसी सदस्य के निजी कारोबार/धंधे के बारे में कुछ पता नहीं था तथा उन्होंने मिर्ची से न कभी मुलाकात की और न ही बातचीत की।

अगस्त, 2019 में ईडी ने धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत मिर्ची की वित्तीय संपत्तियों एवं सौदों/कारोबार की जांच शुरू की थी। मिर्ची की 2013 में मौत हो गयी थी।

जुलाई, 2020 में अग्रवाल को ईडी से समन मिला, जिसके बाद वह कई बार पूछताछ के लिए निदेशालय के सामने पेश हुए। जनवरी, 2021 में ईडी के इशारे पर अग्रवाल के खिलाफ एलओसी जारी किया गया। अग्रवाल के मुताबिक, एलओसी के कारण वह बहरीन एवं दुबई नहीं लौट पाये और उनका काम छूट गया।

भाषा

राजकुमार दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)