छत्तीसगढ़ में 1.22 लाख परिवारों को 100 दिनों से अधिक का रोजगार, मनरेगा में 19,799 परिवारों को 100 दिनों से ज्यादा का काम | 1.22 lakh families in Chhattisgarh employ more than 100 days

छत्तीसगढ़ में 1.22 लाख परिवारों को 100 दिनों से अधिक का रोजगार, मनरेगा में 19,799 परिवारों को 100 दिनों से ज्यादा का काम

छत्तीसगढ़ में 1.22 लाख परिवारों को 100 दिनों से अधिक का रोजगार, मनरेगा में 19,799 परिवारों को 100 दिनों से ज्यादा का काम

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:49 PM IST, Published Date : November 27, 2020/12:25 pm IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के अंतर्गत चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में अब तक एक लाख 21 हजार 740 परिवारों को 100 दिनों से अधिक का रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है। सर्वाधिक परिवारों को 100 दिनों का रोजगार मुहैया कराने के मामले में छत्तीसगढ़ देश में छठवें स्थान पर है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में मनरेगा के साथ ही अन्य विभागों की योजनाओं के अभिसरण से ग्रामीण श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही उनकी आजीविका का संवर्धन भी किया जा रहा है। मनरेगा के जरिए सीधे रोजगार देने के साथ ही उनकी आमदनी के स्थाई साधनों को और मजबूत किया जा रहा है।

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प्रदेश में वन अधिकार पट्टाधारी परिवारों को भी मनरेगा के तहत बड़ी संख्या में काम दिया जा रहा है। इस साल अब तक ऐसे 19 हजार 799 परिवारों को 100 दिनों से अधिक का रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है। इस मामले में छत्तीसगढ़ देश में ओड़िशा के बाद दूसरे स्थान पर है। देश में मनरेगा के तहत 100 दिनों का रोजगार हासिल करने वाले कुल वन अधिकार पट्टाधारी परिवारों में अकेले छत्तीसगढ़ की हिस्सेदारी 23 प्रतिशत से अधिक है।

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पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने कोविड-19 के चलते लागू देशव्यापी लॉक-डाउन के दौरान ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गतिमान बनाए रखने व्यापक स्तर पर मनरेगा कार्य शुरू करने के निर्देश दिए थे। इससे गांवों और वनांचलों में लगातार लोगों को काम मिलते रहा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुचारू रूप से चलती रही। चालू वित्तीय वर्ष के शुरूआती सात-आठ महीनों में ही मनरेगा श्रमिकों को 100 दिनों से ज्यादा का रोजगार मिलने से उन्हें बड़ा आर्थिक संबल मिला। इस दौरान कार्यस्थलों पर कोरोना संक्रमण से बचने के उपायों के साथ ही सभी सावधानियां अपनाई गई थीं।

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प्रदेश में मनरेगा श्रमिकों को 100 दिनों से अधिक का रोजगार देने में कबीरधाम जिला सबसे आगे है। वहां इस वर्ष अब तक 8971 परिवारों को 100 दिनों से ज्यादा का काम उपलब्ध कराया जा चुका है। राजनांदगांव में 7780, बिलासपुर में 7088, धमतरी में 5802, रायपुर में 5506, बलौदाबाजार-भाटापारा में 5348, मुंगेली में 5142, सुकमा में 5012, जशपुर में 4918, सूरजपुर में 4754, कोरिया में 4729, बस्तर में 4345, रायगढ़ में 4172, महासमुंद में 4168 और बलरामपुर-रामानुजगंज में 4158 परिवारों ने योजना के तहत 100 दिनों से अधिक काम किया है। वहीं गरियाबंद जिले में इस साल 3917, कोंडागांव में 3805, बीजापुर में 3791, कांकेर में 3697, दंतेवाड़ा में 3621, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में 3492, जांजगीर-चांपा में 3268, कोरबा में 3026, बालोद में 3000, बेमेतरा में 2449, सरगुजा में 2260, दुर्ग में 2181 तथा नारायणपुर में 1340 परिवारों को 100 दिनों से ज्यादा का रोजगार उपलब्ध कराया गया है।

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मनरेगा के अंतर्गत वन अधिकार पट्टाधारी परिवारों को भी बड़ी संख्या में काम दिया जा रहा है। प्रदेश के ऐसे 19 हजार 799 परिवारों को 100 दिनों से अधिक का रोजगार मुहैया कराया जा चुका है। कोंडागांव जिले में 2286, बस्तर में 1417, सुकमा में 1371, धमतरी में 1359, दंतेवाड़ा में 1308, कोरबा में 1176, सूरजपुर में 1026, बीजापुर में 1008, राजनांदगांव में 959, गरियाबंद में 931, कांकेर में 912, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही और कबीरधाम में 878-878, बलरामपुर-रामानुजगंज में 822, कोरिया में 705, जशपुर में 569, सरगुजा में 558, नारायणपुर में 400, बिलासपुर में 327, रायगढ़ में 237, मुंगेली में 222, महासमुंद में 207, बालोद में 123 एवं बलौदाबाजार-भाटापारा में 105 वन अधिकार पट्टाधारी परिवारों को 100 दिनों से अधिक का रोजगार दिया गया है।

 
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