वेब डेस्क। सोमवार को पुणे के पास हुई छुटपुट हिंसक घटनाओं ने मंगलवार होते-होते लगभग पूरे महाराष्ट्र को अपनी चपेट में ले लिया। घटनाओं का आलम यह है कि मुंबई में ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पूरी तरह जाम कर दिया गया। जिसके बाद पत्थरबाजी और आगजनी की खबरें भी आती रही।
देखें –
Maharashtra: Violence between two groups during an event to mark 200 years of the Bhima Koregaon battle near Pune yesterday, vehicles set on fire pic.twitter.com/5RpITAK4qB
— ANI (@ANI) January 2, 2018
जैसे-जैसे मंगलवार का दिन बढ़ता गया प्रदर्शन और झड़प की खबरें भी अलग-अलग क्षेत्रों से आती रही, रिपब्लिकन पार्टी आॅफ इंडिया के कार्यकर्ताओं ने मुंबई के थाणे में प्रदर्शन किया।
देखें –
Maharashtra: Republican Party of India workers protest in Thane #BhimaKoregaonViolence pic.twitter.com/ZerAx9p7p6
— IBC24 (@IBC24News) January 2, 2018
प्रदर्शन धीरे-धीरे उग्र होता गया और कोरेगांव की आग पूरे मुंबई को आपनी चपेट में लेने लगी, प्रदर्शनकारियों ने हार्बर लाइन सेवा भी ठप कर दी।
देखें –
मुंबई में भीमा कोरेगांव की आग कई जगह फैल गई है. हार्बर लाइन सेवा प्रभावित हुई, जिससे आम लोगों दिक्कत हो रही है.#BhimaKoregaon pic.twitter.com/8RwukS7Mn9
— IBC24 (@IBC24News) January 2, 2018
इसी के साथ आत्मदाह, गाडियों में तोड़फोड़ और आगजनी की खबरें शहरभर से आती रही, प्रदेशभर में हो रही घटनाओं के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कोरेगांव हिंसा की न्यायिक जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अर्जी लगाते हुए युवाओं की मौत के मामले में सीआईडी जांच की बात कहीं है। वहीं हिंसा में मारे गए मृतकों के परिवार को 10 लाख का मुआवजा देने की भी घोषणा मुख्यमंत्री ने की है। इसी बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए भाजपा और आरएसएस पर दलितों और पिछड़ों को दबाकर रखने का आरोप लगाया।
देखें –
महाराष्ट्र हिंसा को लेकर @OfficeOfRG का बयान- आरएसएस और बीजेपी दलितों को समाज में सबसे नीचे पायदान पर रखना चाहती है. ऊना, रोहित वेमुला और भीमा कोडेगांव की हिंसा दलितों के प्रतिरोध के प्रबल उदाहरण हैं.
— IBC24 (@IBC24News) January 2, 2018
आपको बता दें कि वर्ष 1818 में भीमा-कोरेगांव युद्ध हुआ था जिसमें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी तथा पेशवा सैनिकों के बीच युद्ध हुआ, जिसमें पेशवाओं को हार मिली और अंग्रेजी फौजों की तरफ से लड़ रहे दलित सैनिकों को जीत। दलित इसी युद्ध की वर्षगांठ विजय दिवस के तौर पर मनाते है। इसी विजय दिवस की 200वी वर्षगांठ मनाने इकठ्ठा हो रहे कुछ दलितों पर सोमवार को कथिततौर पर हमला हुआ जिसके बाद क्षेत्र में फैली हिंसा मुंबई तक पहुंच गई।
वेब डेस्क, IBC24