सई परांजपे की फिल्म में वित्तीय कामकाज संभालती थीं अमृता प्रीतम | Amrita Pritam, who handles financial work in Sai Paranjpe's film

सई परांजपे की फिल्म में वित्तीय कामकाज संभालती थीं अमृता प्रीतम

सई परांजपे की फिल्म में वित्तीय कामकाज संभालती थीं अमृता प्रीतम

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:30 PM IST, Published Date : February 14, 2021/1:50 pm IST

नयी दिल्ली, 14 फरवरी (भाषा) अमृता प्रीतम अपनी कविताओं, कहानियों और निबंधों की सौ से अधिक किताबों के लिए मशहूर हैं लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि दिल्ली में सई परांजपे की फिल्म “स्पर्श” की शूटिंग के दौरान वह वित्तीय कामकाज भी संभालती थीं।

यह उस समय की बात है जब परांजपे “स्पर्श” के लिए निर्माता की खोज कर रही थीं और बासु भट्टाचार्य इसके लिए तैयार हो गए।

खबर फैलने के बाद परांजपे को कई लोगों ने आगाह किया कि भट्टाचार्य किसी को पैसे नहीं देते लेकिन उन्होंने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया।

भट्टाचार्य जुगाड़ लगाने में भी माहिर व्यक्ति थे।

शूटिंग के लिए फिल्म की टीम जब दिल्ली पहुंची, तब परांजपे ने प्रीतम के रहने की व्यवस्था की।

परांजपे के एक नजदीकी दोस्त सुशील कुमार चक्रवर्ती एक सफल उद्योगपति थे और गोल्फ लिंक्स क्षेत्र में उनका बड़ा सा घर था।

दिल्ली में शूटिंग के दौरान चक्रवर्ती ने अपना घर परांजपे को इस्तेमाल के लिए दे दिया था।

भट्टाचार्य ने इस मौके का तत्काल फायदा उठाया और ओम पुरी, साउंड रिकार्डिस्ट सुधांशु और कैमरामैन को परांजपे के साथ फ्लैट में रहने को कह दिया।

उन्होंने मुख्य किरदार निभाने वाले नसीरुद्दीन शाह और शबाना आजमी को दिल्ली के सुंदरनगर में सुरेश जिंदल के घर पर ठहरा दिया।

दरअसल, दिल्ली में किसी को भी ठहराने के लिए भट्टाचार्य को पैसे नहीं खर्च करने पड़े।

इन घटनाओं को परांजपे ने अपने संस्मरण “ए पैचवर्क क्विल्ट : ए कोलाज ऑफ माई क्रिएटिव लाइफ” में लिखा है जो हार्पर कॉलिन्स ने प्रकाशित की है।

परांजपे की किताब के अनुसार, “बासु की सोच के मुताबिक कुछ भी खरीदना या काम लेने के लिए किसी को पैसे देना बुरी चीज थी। वह कहते थे कि सभी अभिनेता अपने कॉस्ट्यूम खुद लेकर आएंगे। उनकी हर फिल्म में इसी तरह काम होता था। मुझे ग्लानि होती थी। यह थिएटर में चल सकता था लेकिन एक फीचर फिल्म में इस प्रकार की कंजूसी करना विचित्र बात थी और ऐसा नहीं होता था।”

प्रीतम, भट्टाचार्य की अच्छी दोस्त थीं और वह उन्हें शूटिंग के दौरान वित्तीय कामकाज संभालने को कहते थे।

पद्म भूषण से सम्मानित परांजपे ने कहा, “यह व्यवस्था ठीक रही क्योंकि सुरेश स्याल (प्रबंधक) खर्च किए गए पैसों का हिसाब देते थे और उन्हें अगली किस्त दे दी जाती थी।”

भट्टाचार्य परांजपे से हंसते हुए कहा करते थे, “तुमने देश की एक बड़ी कवयित्री को अकाउंटेंट बना दिया है।”

सई की मां शकुंतला परांजपे विख्यात लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता थीं तथा उनके पिता युरा स्लेप्टजोफ रूसी कलाकार थे।

सई ने अपने करियर की शुरुआत आकाशवाणी, पुणे से की थी। उन्होंने शहर में बच्चों का थिएटर भी शुरू किया था।

भाषा यश नीरज

नीरज

 

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