नवीकरणीय ऊर्जा दरों को मुद्रास्फीति से संबद्ध करने से वितरण कंपनियों को हो सकता है लाभ | Associating renewable energy rates with inflation could benefit distribution companies

नवीकरणीय ऊर्जा दरों को मुद्रास्फीति से संबद्ध करने से वितरण कंपनियों को हो सकता है लाभ

नवीकरणीय ऊर्जा दरों को मुद्रास्फीति से संबद्ध करने से वितरण कंपनियों को हो सकता है लाभ

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:49 PM IST, Published Date : October 21, 2020/3:28 pm IST

नयी दिल्ली, 21 अक्टूबर (भाषा) नवीकरणीय बिजली की मुद्रास्फीति-संबद्ध दर लागू करने से देश की विद्युत वितरण कंपनियों को अगले पांच साल में 21,880 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है।

इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी एकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आईईईएफए) और सीईईडब्ल्यू-सेंटर फॉर एनर्जी फाइनेंस (सीईएफ) ने एक संयुक्त अध्ययन में यह कहा है।

अध्ययन के अनुसार मुद्रास्फीति से संबद्ध यानी अन्य वस्तुओं के दाम में बदलाव के आधार पर भविष्य की सौर क्षमता के लिये शुल्क निर्धारण की व्यवस्था संकट में फंसी वितरण कंपनी क्षेत्र के लिये वित्तीय राहत प्रदान करेगी। साथ ही इससे भारत को कोयला आधारित बिजलीघरों से आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।

रिपोर्ट लिखने वाले सीईईडब्ल्यू-सीईएफ के सलाहकार गगन सिद्धू और आईईईएफए के शोध विश्लेषक कशीष शाह ने कहा कि शून्य मुद्रास्फीति से संबद्ध शुल्क की व्यवस्था भारत में कई साल से है।

भारत में सौर बिजली शुल्क जून 2020 में 2.36 रुपये प्रति यूनिट के रिकार्ड निम्न स्तर पर चला गया। पच्चीस साल के लिये निर्धारित यह शुल्क मुद्रास्फीति से संबद्ध नहीं था।

अध्ययन के अनुसार हालांकि सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली वितरण कंपनिया (डिस्कॉम) नई सस्ती नवीकरणीय ऊर्जा का लाभ उठा पाने में असमर्थ हैं। इसका कारण तापीय बिजली से जुड़ा अनुबंध है, जिसके तहत नियत क्षमता शुल्क का प्रावधान है। यानी अगर बिजली नहीं ली जाती है, तो भी यह शुल्क देना होगा।

सिद्धू ने कहा कि वितरण कंपनियों के समक्ष दोहरी समस्या हैं। एक तरफ कोविड-19 संकट के कारण बिजली मांग कम है और दूसरी तरफ बिजली खरीद समझौते के तहत उन्हें महंगी और बिना उपयोग वाली बिजली के लिये शुल्क का भुगतान करना है। यह स्थिति तब है जब नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वकांक्षी लक्ष्य रखा गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा विश्लेषण कहता है कि सौर दरों में घटने की प्रवृत्ति के साथ आंशिक रूप से शुल्क ढांचे को मुद्रास्फीति से जोड़कर वितरण कंपनियां अगले पांच साल में 21,880 करोड़ रुपये (3 अरब डॉलर) तक बचा सकती हैं…..।’’

सिद्धू ने कहा, ‘‘इसमें हमने माना है कि सौर ऊर्जा की दरें अगले पांच वर्ष तक साल-दर साल 2.5 प्रतिशत घटेगी और 2025-26 तक 2.13 रुपये यूनिट तक पहुंच जाएगी।’’

अध्ययन के अनुसार वितरण कंपनियों वित्तीय दबाव को कम करने के लिये यह अंतरिम समाधान है।

भाषा

रमण मनोहर

मनोहर

 

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