मुंबई,10 जनवरी (भाषा) महाराष्ट्र सरकार ने विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेन्द्र फडणवीस और उनके परिवार, उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाइक, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे की सुरक्षा घटा दी है, वहीं भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख चंद्रकांत पाटिल की सुरक्षा वापस ले ली है। सरकार के इस कदम पर निशाना साधते हुए भाजपा ने इसे ”राजनीतिक प्रतिशोध” करार दिया है।
वहीं, राज ठाकरे नीत महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने सुरक्षा घटाए जाने को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा और इसे ”छोटी सोच” करार दिया।
मनसे के नेता बाला नंदगांवकर ने फेसबुक पर कहा, ” पाकिस्तान और असामाजिक तत्वों से राज ठाकरे की जान को खतरा है।”
उन्होंने राज्य सरकार द्वारा कुछ नए लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने और कुछ की सुरक्षा बढ़ाए जाने को लेकर भी आश्चर्य व्यक्त किया।
आठ जनवरी को जारी सरकारी अधिसूचना के अनुसार फडणवीस को अब ‘जेड-प्लस’ श्रेणी के बजाए ‘एस्कॉर्ट के साथ वाई-प्लस श्रेणी’ की सुरक्षा मिलेगी। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी अमृता फडणवीस और बेटी दिविजा की सुरक्षा ‘एस्कॉर्ट के साथ वाई-प्लस’ श्रेणी से घटा कर ‘एक्स’ श्रेणी कर दी गई है।
इसी तरह भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे, राज्य भाजपा प्रमुख चंद्रकांत पाटिल और पार्टी के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार की सुरक्षा वापस ले ली गई है। राणे के पास ‘वाई-प्लस’ श्रेणी की सुरक्षा थी।
अधिसूचना के अनुसार सरकार ने दो लोगों की सुरक्षा बढ़ाई है, 11 की सुरक्षा कम की गई है, 16 लोगों की सुरक्षा वापस ली गई है, वहीं 13 नए लोगों को सुरक्षा दी गई है।
सरकार के इस निर्णय पर फडणवीस ने कहा कि उन्हें किसी प्रकार की कोई शिकायत नहीं हैं और न ही किसी प्रकार की चिंता है।
उन्होंने कहा,‘‘ मैं जनता का आदमी हूं और इससे लोगों से मिलने के लिए होने वाली यात्रा(कार्यक्रमों) पर कोई असर नहीं पड़ेगा।’’
भाजपा की राज्य इकाई के प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने आरोप लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता की सुरक्षा ‘‘बदले की राजनीति’’ की तहत घटाई गई है।
उन्होंने कहा,‘‘ यह निर्णय दिखाता है कि सरकार की सोच कैसी है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है। कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान फडणवीस राज्य के हर स्थान का दौरा कर रहे थे, जबकि ठाकरे घर में बैठे थे।’’
फडणवीस ने कहा कि उन्होंने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रहने के दौरान भी सुरक्षा नहीं ली थी।
उन्होंने कहा, ” मैंने वर्ष 2014 में महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार सुरक्षा ली थी और बाद में मुंबई बम धमाके के दोषी याकूब मेमन को फांसी दिए जाने और नक्सलियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के खतरे के मद्देनजर सुरक्षा प्रदान की गई।”
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ” मुझे लगता है कि खतरे को देखते हुए सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए लेकिन अब सरकार राजनीतिक आधार पर सुरक्षा प्रदान कर रही है। कई लोगों को कोई जोखिम नहीं होने के बावजूद उनके सुरक्षा घेरे को बढ़ाया जा रहा है।”
राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने उपाध्ये के आरोपों पर नागपुर में संवाददाताओं से कहा कि नेताओं और प्रमुख लोगों की सुरक्षा की समीक्षा का निर्णय उन पर खतरे के अनुमान के आधार पर किया गया है, इसका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है।
भाजपा नेता नारायण राणे ने कहा कि अगर उन्हें कुछ भी होता है तो राज्य सरकार इसके लिए जिम्मेदार होगी।
उन्होंने कहा कि आतंकवादियों की धमकी के चलते मुंबई पुलिस ने उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई थी।
वहीं, सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि नक्सलियों से खतरे के चलते उन्हें सुरक्षा दी गई थी।
इस बीच, राज्य सरकार की सहयोगी पार्टी कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सचिन सावंत ने आरोप लगाया कि महा विकास अघाडी (एमवीए) सरकार नहीं बल्कि मोदी सरकार ने राजनीतिक प्रतिशोध के तहत कार्रवाई की थी।
सावंत ने कहा, ” विपक्षी भाजपा सुरक्षा समीक्षा के बाद उसके नेताओं की सुरक्षा कम किए जाने का विलाप कर रही है जबकि गांधी परिवार और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को खतरा होने के बावजूद उनकी सुरक्षा घटा दी गई।”
भाषा शफीक प्रशांत
प्रशांत
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