प्रयागराज, 17 जुलाई (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कानपुर के बिकरू कांड के बाद मुठभेड़ में मारे गये अमर दुबे की पत्नी को जमानत देने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।
पुलिस की एक टीम दो जुलाई, 2020 की रात गैंगस्टर विकास दुबे के घर पर दबिश देने के लिए पहुंची थी। इसी दौरान विकास दुबे ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर पुलिस दल पर हमला कर दिया जिसमें आठ पुलिसकर्मी मारे गये थे और छह अन्य घायल हो गये थे। इस हमले में अमर दुबे भी शामिल था जो बाद में मुठभेड़ में मारा गया था।
न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने अमर दुबे की पत्नी खुशी द्वारा दाखिल पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी। यह याचिका निचली अदालत द्वारा जमानत की अर्जी खारिज किए जाने के खिलाफ दाखिल की गई थी।
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि घटना के दिन खुशी की उम्र करीब 16 साल 10 महीने थी और इस घटना से कुछ ही दिन पूर्व उसका विवाह विकास दुबे के रिश्तेदार अमर दुबे से हुआ था। वकील ने कहा कि वह विकास दुबे के गिरोह की सदस्य नहीं थी, बल्कि उसका पति विकास का रिश्तेदार था और घटना के दिन वे लोग विकास के घर गए थे।
वकील ने दावा किया कि इस घटना में उसकी (खुशी) कोई भूमिका नहीं थी।
राज्य सरकार के वकील ने जमानत याचिका का इस आधार पर विरोध किया कि घटना में जीवित बचे पुलिसकर्मियों के बयान के मुताबिक, ‘‘हमले में खुशी सक्रिय रूप से शामिल थी और वह किसी भी पुलिसकर्मी को नहीं छोड़ने के लिए लोगों को उकसा रही थी।’’
संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कहा, “इस मामले की परिस्थितियों पर गौर करने से यह तथ्य दिमाग में आता है कि जिस कृत्य में याचिकाकर्ता शामिल थी, वह कोई साधारण कृत्य नहीं था। आठ पुलिसकर्मियों की हत्या और छह पुलिसकर्मियों को घायल करना एक भयानक अपराध है जिससे समाज की रूह कांप गई। इस घटना ने सरकार की जड़ें हिला दी थी।”
भाषा राजेंद्र
देवेंद्र
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