विशेषज्ञों ने साठ वर्ष से अधिक आबादी के टीकाकरण की गति धीमी होने पर चिंता जताई | Experts express concern over slow pace of vaccination for more than 60 years of population

विशेषज्ञों ने साठ वर्ष से अधिक आबादी के टीकाकरण की गति धीमी होने पर चिंता जताई

विशेषज्ञों ने साठ वर्ष से अधिक आबादी के टीकाकरण की गति धीमी होने पर चिंता जताई

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:48 PM IST, Published Date : June 26, 2021/12:17 pm IST

(उज्मी अतहर)

नयी दिल्ली, 26 जून (भाषा) कोविड-19 से बचाव के लिए 60 साल से अधिक आबादी के टीकाकरण की गति शुरुआत में उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद पिछले कुछ हफ्तों में धीमी हो गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इसके लिए टीकाकरण केन्द्र तक आने-जाने की समस्या और टीके के बारे में गलत सूचना तथा निराधार आशंकाओं को जिम्मेदार ठहराया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अब तक 2.29 करोड़ बुजुर्गों को पूरी तरह से टीका लगाया जा चुका है, जबकि 6.71 करोड़ लोगों को अब तक कोविड-19 टीके की सिर्फ एक खुराक मिली है। भारत में 60 वर्ष से अधिक जनसंख्या 2021 में 14.3 करोड़ होने का अनुमान था, इसका मतलब यह होगा कि उनमें से केवल 16 प्रतिशत को अब तक पूरी तरह से टीका लगाया गया है।

सरकारी और निजी दोनों केंद्रों पर एक मार्च से 60 वर्ष से अधिक लोगों और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए टीकाकरण शुरू हुआ था। आंकड़ों के अनुसार, 13 मार्च से दो अप्रैल के बीच प्रति सप्ताह औसतन लगभग 80.77 लाख टीके की खुराक 60 वर्ष से अधिक आबादी को दी गई, लेकिन पांच जून से 25 जून के बीच साप्ताहिक आंकड़ा लगभग 32 लाख तक गिर गया।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने 60 से अधिक लोगों के टीकाकरण की धीमी जगह पर चिंता व्यक्त की। ‘द कोलिशन फॉर फूड एंड न्यूट्रिशन सिक्योरिटी’ (सीएफएनएस) के कार्यकारी निदेशक डॉ सुजीत रंजन ने कहा कि कोविड-19 टीकों के बारे में मिथक, गलत धारणाएं और अफवाहें टीकाकरण कवरेज के लिए सबसे बड़ी बाधा हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग सोचते हैं कि वे कभी भी कोविड-19 से संक्रमित नहीं होंगे । वैज्ञानिक रूप से स्वीकृत टीकों का तर्कहीन अविश्वास भी एक कारक है। जबकि हमारे देश में टीका हिचकिचाहट हमेशा एक मुद्दा रहा है।’’

अस्पतालों ने 60 वर्ष से अधिक लोगों के टीकाकरण की धीमी गति पर चिंता व्यक्त की है, जिनमें से अधिकतर गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होते हैं।

उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ अस्पताल के संस्थापक निदेशक डॉ. शुचिन बजाज ने कहा कि बुजुर्ग आबादी में टीके को लेकर हिचकिचाहट एक बहुत ही वास्तविक मुद्दा है। बजाज ने कहा कि 60 से अधिक आयु वर्ग के लिए टीकाकरण केन्द्र तक आना-जाना भी एक बहुत बड़ा मुद्दा है।

उन्होंने कहा, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण समस्या आने-जाने की है क्योंकि वे वास्तव में स्वयं टीकाकरण केंद्रों पर जाने में सक्षम नहीं हैं और उन्हें यह भी डर है कि अगर वे भीड़-भाड़ वाली जगह पर गए तो वे कोविड से संक्रमित हो जायेंगे। हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हम उन्हें विभिन्न जोखिम वाले कारकों के बारे में शिक्षित करें और उनके घर पर टीकाकरण प्रदान करने का प्रयास करें।’’

कोलंबिया एशिया अस्पताल, पालम विहार, गुरुग्राम में सीनियर कंसल्टेंट- पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर, डॉ. पीयूष गोयल ने कहा कि बड़े पैमाने पर टीके की पहुंच के लिए टीके को लेकर हिचकिचाहट सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है। उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि हाल ही में 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में टीकाकरण की गति में गिरावट आई है, ऐसी आशंकाएं हैं कि टीके को लेकर हिचकिचाहट इस जनसंख्या समूह के कवरेज में बाधा उत्पन्न कर सकती है।’’

वसंत कुंज स्थित इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर में एनेस्थेसियोलॉजिस्ट डॉ. एच.के. महाजन ने कहा कि टीके को लेकर दो प्रमुख बातों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए – टीके कोविड-19 के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं और टीके सुरक्षित हैं। महाजन ने कहा कि भारत में 60 साल से अधिक उम्र के लोगों में टीके को लेकर हिचकिचाहट गलत सूचना, मिथक और संदेह के कारण भी हो सकती है।

इससे निपटने के लिए, महाजन ने सुझाव दिया कि अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्यकर्मियों और अस्पतालों को टीकाकरण के पक्ष में बयान जारी करना चाहिए।

भाषा

देवेंद्र उमा

उमा

 

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