हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार में नेता तोड़ रहे हैं भाषायी मर्यादा, नाम लेकर किए जा रहे हैं निजी हमले |

हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार में नेता तोड़ रहे हैं भाषायी मर्यादा, नाम लेकर किए जा रहे हैं निजी हमले

हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार में नेता तोड़ रहे हैं भाषायी मर्यादा, नाम लेकर किए जा रहे हैं निजी हमले

:   Modified Date:  May 16, 2024 / 06:50 PM IST, Published Date : May 16, 2024/6:50 pm IST

(भानु पी. लोमी)

शिमला, 16 मई (भाषा) हिमाचल प्रदेश की चार लोकसभा सीट और छह विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए राजनीतिक दलों के प्रचार अभियान में भाषायी मर्यादा टूटती दिख रही है और नेता नाम लेकर ‘काले नाग’, ‘बिगड़ा शहजादा’ और ‘हुस्न परी’ जैसे कटाक्ष के साथ एक दूसरे पर निजी हमले कर रहे हैं।

राज्यसभा की एक सीट के लिए फरवरी में हुए चुनाव में कांग्रेस के छह बागियों द्वारा विरोधी खेमे के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान (क्रॉस-वोटिंग) के बाद भाषणों और बातचीत में आई कटुता लोकसभा चुनाव अभियान में भी जारी है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने यहां कहा कि राजनीति का स्तर हर दिन गिरता जा रहा है।

यहां तक कि जो नेता अपने कटु भाषणों और नाम लेकर आलोचना करने की वजह से सुर्खियों में रहते हैं, उनपर जब इसी तरह की भाषा का इस्तेमाल होता है तो वे भी कहते हैं कि ऐसा व्यवहार अवांछित है।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी मौजूदा चुनावों के लिए प्रचार के दौरान बयानबाजी के स्तर पर आपत्ति जताई है।

सुक्खू ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा कि हिमाचल प्रदेश में चुनाव के दौरान कभी ऐसी भाषा सुनने को नहीं मिली और इस तरह का व्यवहार राज्य की संस्कृति के खिलाफ है। लेकिन राज्यसभा चुनाव में ‘क्रॉस वोटिंग’ करने वाले कांग्रेस नेताओं के खिलाफ सुक्खू की भाषा को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी ‘अपमानजनक’ करार दिया है।

सुक्खू ने उनकी सरकार को गिराने की कोशिशों से नाराज होकर कांग्रेस के बागियों को ‘काले नाग’और ‘बिकाऊ’ करार दिया था और अपने चुनावी अभियान के दौरान भी ‘‘बिकाऊ बनाम टिकाऊ’’ के नारे का इस्तेमाल कर रहे हैं।

राज्यसभा की एक सीट के लिए 27 फरवरी को हुए मतदान के दौरान कांग्रेस के छह और तीन निर्दलीय सहित नौ विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में मतदान किया था। बाद में वे सभी भाजपा में शामिल हो गए। कांग्रेस के छह पूर्व विधायक अब अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों से भाजपा के टिकट पर विधानसभा उपचुनाव लड़ रहे हैं।

कुटलेहड़ विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कांग्रेस के बागी देविंदर कुमार भुट्टो कर रहे थे। उन्हें पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने पर सदन से अयोग्य करार दिया गया था। कुटलेहड़ में आयोजित एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए सुक्खू ने कथित तौर पर कहा था कि ‘‘भुट्टो को कूटो’’।

भाजपा ने सुक्खू पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाते हुए राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास शिकायत दर्ज कराई थी।

लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन के बाद से विवादों में घिरी एक और नेता हैं मंडी से भाजपा उम्मीदवार और बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत। भाजपा द्वारा उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित किए जाने के तुरंत बाद कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने रनौत की तस्वीर के साथ पोस्ट किया, ‘‘मंडी में भाव क्या चल रहा है।’’

इस पोस्ट को अपमानजनक माना गया और लोगों ने इसपर तीखी प्रतिक्रिया दी जिसके बाद श्रीनेत को अपनी इन टिप्पणियों को हटाना पड़ा। उन्होंने दावा किया कि ये पोस्ट उनके द्वारा नहीं, बल्कि किसी और व्यक्ति द्वारा पोस्ट किए गए थे, जिसकी उनके सोशल मीडिया खातों तक पहुंच थी।

रनौत भी नाम लेकर निजी टिप्पणी करने में पीछे नहीं रहीं और कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और मंडी सीट से उनके प्रतिद्वंद्वी विक्रमादित्य सिंह को क्रमश: ‘बड़ा पप्पू’ और ‘छोटा पप्पू’ कहा।

उन्होंने अपने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान पूर्व प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनके पिता मोतीलाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी सहित गांधी-नेहरू परिवार को निशाना बनाया और कांग्रेस को ‘एक बीमारी’ और अंग्रेजों द्वारा छोड़ी गई ‘दीमक’ करार दिया जो उनके मुताबिक 2014 तक ‘देश को खा रही थी’।

अभिनेत्री ने विक्रमादित्य को ‘बिगड़ा शहजादा’भी कहा है। उन्होंने उनपर तंज कसते हुए कहा कि वह अपने पिता या पति के प्रभाव के कारण राजनीति में नहीं आई हैं। विक्रमादित्य के पिता वीरभद्र सिंह राज्य के चार बार मुख्यमंत्री रहे हैं और उनकी मां प्रतिभा सिंह मंडी से मौजूदा सांसद हैं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा ने रनौत को ‘परी’ करार देते हुए कहा है कि लोग केवल उन्हें देखने आते हैं।

प्रतिभा के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कि कंगना की मां आशा रनौत ने कहा कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता ‘ये हुस्न परी है’, और ‘ये क्या चीज है’ जैसी टिप्पणियां कर रही हैं और यह भूल गई हैं कि उनके घर में भी बेटियां हैं। उन्होंने कहा, ‘‘एक मां होने के नाते मुझे दुख होता है और मुझे लगता है कि ऐसी टिप्पणियों से अन्य मांएं भी दुखी हो रही हैं।’’

कई वरिष्ठ नागरिकों ने इस चुनाव में अभद्र भाषा के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई है। पेशे से कारोबारी 88 वर्षीय ओम प्रकाश सूद ने कहा, ‘‘भद्रता की सीमाएं लांघ दी गई हैं, हमने हिमाचल प्रदेश में जिसे ‘देवभूमि’ के तौर पर जाना जाता है, इतना निम्न स्तर का चुनाव प्रचार कभी नहीं देखा, यहां के लोग सम्मानित और भद्र हैं।’’

भाषा धीरज प्रशांत

प्रशांत

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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