अपर्याप्त सबूतों के कारण बाल यौन उत्पीड़न के रोजाना चार पीड़ित हुए न्याय से वंचित | Four victims of child sexual assault denied justice daily due to insufficient evidence

अपर्याप्त सबूतों के कारण बाल यौन उत्पीड़न के रोजाना चार पीड़ित हुए न्याय से वंचित

अपर्याप्त सबूतों के कारण बाल यौन उत्पीड़न के रोजाना चार पीड़ित हुए न्याय से वंचित

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:32 PM IST, Published Date : March 8, 2021/11:08 am IST

नयी दिल्ली, आठ मार्च (भाषा) सबूतों के अभाव में मामले बंद हो जाने के कारण बाल यौन उत्पीड़न के रोजाना चार पीड़ित न्याय से वंचित हुए हैं।

एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया हैं

‘कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन्स फाउंडेशन’ (केएससीएफ) ने ‘पुलिस द्वारा मामलों के निपटारे का तरीका: पॉक्सो कानून, 2012 के तहत दायर मामलों की जांच’ शीर्षक के तहत 2017 से 2019 तक पुलिस द्वारा पॉक्सो मामलों के निपटारे के तरीके का विश्लेषण किया है और यह विश्लेषण ‘राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो’ (एनसीआरबी) द्वारा प्रकाशित सूचना के आधार पर किया गया है।

‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ के मौके पर जारी इस अध्ययन के निष्कर्ष में कहा गया है, ‘‘ऐसा पाया गया है कि 2017 से 2019 के बीच उन मामलों की संख्या बढ़ी है जिन्हें पुलिस ने आरोप पत्र दायर किए बिना जांच के बाद बंद कर दिया।’’

आंकड़ों के अनुसार, देश में पिछले कुछ साल में यौन अपराध के मामले बढ़े हैं।

अध्ययन में कहा गया है, ‘‘हालांकि सरकार विशेष कानून की आवश्यकता को समझती है और उसने बच्चों के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए एक विशेष कानून बाल यौन उत्पीड़न रोकथाम कानून, 2012 (पॉक्सो) लागू किया, लेकिन हकीकत में इसका खराब क्रियान्वयन निराशाजनक है।’’

इसमें कहा गया कि पॉक्सो के हर साल कम से कम 3,000 ऐसे मामले निष्पक्ष सुनवाई के लिए अदालत ही नहीं पहुंच सके, जिन्हें दर्ज किया गया था और जिनकी जांच की गई थी। देश में बाल यौन उत्पीड़न के रोजाना चार पीड़ित न्याय से इसलिए वंचित हुए क्योंकि सबूतों के अभाव में पुलिस ने उनके मामलों को बंद कर दिया।

अध्ययन में कहा गया है, ‘‘एनसीआरबी आंकड़ों से यह खुलासा हुआ कि पुलिस ने बिना आरोप पत्र दायर किए जो पॉक्सो मामले बंद किए हैं या जिनका निपटारा किया है, उनमें से बड़ी संख्या में मामलों को बंद करने का कारण दिया गया है कि ‘मामले सही हैं, लेकिन अपर्याप्त सबूत हैं’।’’

इसमें बताया कि अदालत में दायर अंतिम रिपोर्टों के अनुसार पुलिस ने 2019 में 43 प्रतिशत मामले इसी आधार पर बंद किए। यह संख्या 2017 और 2018 में इस आधर पर बंद किए गए मामलों से अधिक है।

अध्ययन में बताया किया कि इसके अलावा पॉक्सो मामलों को बंद करने के लिए दूसरे नंबर पर जो कारण सबसे अधिक बार दिया गया, वह है- झूठी शिकायत, लेकिन इस आधार पर बंद किए गए मामलों की संख्या में कमी आई है। वर्ष 2017 में इस आधार पर 40 प्रतिशत और 2019 में 33 प्रतिशत मामले बंद किए गए थे।

केएससीएफ ने इसी अवधि के लिए पॉक्सो मामलों के एक अन्य विश्लेषण में कहा कि अदालतों को न्याय देने की प्रक्रिया में तेजी लाने की आवश्यकता है, क्योंकि बाल यौन उत्पीड़न के 89 प्रतिशत मामलों के पीड़ित 2019 के अंत तक न्याय का इंतजार कर रहे थे।

अध्ययन के मुताबिक, पॉक्सो के तहत 51 प्रतिशत मामले मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में दर्ज किए गए।

भाषा सिम्मी नरेश

नरेश

 

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